हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ में मंडी के अनिल सिंह का घर उनकी आंखों के सामने बह गया. सुरेश की जीवन भर की कमाई चंद सेकेंडों में डूब गई. वो समझ नहीं पा रहे कि परिवार के लिए सिर छुपाने की व्यवस्था कैसे हो पाएगी? इस प्राकृतिक आपदा से पीड़ित अनिल अकेले व्यक्ति नहीं हैं. बाढ़ और भूस्खलन की तबाही से राज्य में 5000 से अधिक लोगों के आशियाने उजड़ गए.
अगर अनिल ने प्राकृतिक आपदा के जोखिम को कवर करने के लिए घर का बीमा लिया होता तो आज उनके सामने यह नौबत नहीं आती. अनिल ही नहीं, बहुत कम लोग हैं जो अपने मकान और दुकान का बीमा कराते हैं.
भारत में कितना गैप? एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण वैश्विक स्तर पर 22.56 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. इसमें 10.25 लाख करोड़ रुपए का बीमा कवर था. यानी बिना बीमा कवर का नुकसान 54 फीसद था. भारत में 2020 में बाढ़ से कुल 52,500 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ था. लेकिन बीमा कवर सिर्फ 11 फीसद था. इस बार बाढ़ और भूस्खलन से देश में 15,000 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान होेने का अनुमान है. जबकि बीमा कवर सिर्फ 8% संपत्ति का है. इस तरह देश में बीमा का गैप 92 फीसद है.
प्राकृतिक आपदाओं में कहां खड़ा है भारत? भारत दुनाय में अमेरिका और चीन के बाद ऐसा तीसरा देश है जिसे 1990 के बाद से सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है. इनमें बाढ़, भूस्खलन, तूफान, भूकंप और सूखा जैसी आपदाएं शामिल हैं. देश में 1900 के बाद से प्राकृतिक आपदाओं के 764 मामले सामने आए. साल 1900 से 2000 तक भारत में 402 प्राकृतिक आपदाएं आईं. वहीं 2001 से 2022 तक देश में 361 ऐसी घटनाएं हुईं. भारत में प्राकृतिक आपदाओं के रूप में सबसे ज्यादा बाढ़ का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट बताती है कि करीब 41% प्राकृतिक आपदाएं बाढ़ के रूप में आईं. इसके बाद देश में सबसे ज्यादा तूफान आते हैं.
भारत में हर साल 1900 से प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान (अरब डॉलर में) बाढ़ 92.1 तूफान 44.7 सूखा 6.5 भूकंप 5.3 source: EM-DAT, SBI Research
क्यों जरूरी है ये बीमा? बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस के चीफ टेक्नीकल ऑफिसर (CTO) टीए रामलिंगम कहते हैं कि भारत में प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम अन्य देशों की तुलना में ज्यादा बड़ा है. घर का सपना पूरा करने में अधिकतर लोगों के जीवन भर की पूंजी लग जाती है. साथ ही होम लोन भी लेना पड़ता है. जिस तरह गाड़ी लेते समय आप उसका इंश्योरेंस खरीदते हैं, ठीक वैसे ही घर के लिए बीमा खरीदना जरूरी है. यह आपके घर और उसमें रखी कीमती वस्तुओं को होने वाले नुकसान की भरपाई करता है.. होम इंश्योरेंस घर के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है.
कैसे चुनें सही बीमा? बाजार में प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कई तरह के बीमा उत्पाद हैं. घर के बीमा के लिए ‘भारत गृह रक्षा’ एक स्टैंडर्ड पॉलिसी है. सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां इसे एक ही नाम से बेच रही हैं. इसमें घर का ढांचा और उसमें लगे कंटेंट जैसे बिजली, बाथरूम और गैराज आदि फिटिंग के आइटम कवर होते हैं. कुछ बीमा उत्पाद ऐसे भी हैं जिनमें सभी तरह के जोखिमों को कवर किया जाता है. ये हाउस होल्ड पॉलिसी होती है. इनमें से आप अपनी जरूरत के हिसाब से विकल्प का चुनाव कर सकते हैं. कुछ जरूरी राइडर लेकर अपने बीमा के दायरे को बढ़ा सकते हैं.
कितना महंगा बीमा इंश्योरेंस एक्सपर्ट टीए रामलिंगम कहते हैं कि प्रॉपर्टी का बीमा लंबी अवधि के लिए होता है. आमतौर पर इसके लिए सिंगल प्रीमियम पॉलिसी होती है. स्टैंडर्ड बीमा पालिसी भारत गृह रक्षा 10 साल की पॉलिसी है. इसका प्रीमियय मोटे तौर पर 17 पैसे प्रति हजार के आसपास आता है जबकि हाउस होल्ड पॉलिसी के लिए यह दर 25 पैसे प्रति हजार है. कुल मिलाकर इस बीमा का प्रीमियम काफी सस्ता होता है. उदाहरण के तौर अगर आप गृह रक्षा पॉलिसी खरीद रहे हैं.. और आपके फ्लैट की कीमत 40 लाख रुपए है तो इसके लिए 10 साल का बीमा कवर करीब 10,000 रुपए में मिल जाएगा. इस तरह रोजाना एक चाय की कीमत से कम पैसे में घर के लिए बीमा ले सकते हैं.
घर के लिए बीमा क्यों नहीं लेते लोग? एक्सपर्ट के अनुसार होम इंश्योरेंस के बारे में लोगों के बीच जागरूकता नहीं है. सरकार और बीमा नियामक इरडा की पहल से अप्रैल, 2021 में भारत गृह रक्षा के रूप में स्टैंडर्ड पॉलिसी लांच की थी. लेकिन बीमा कंपनियां इस पॉलिसी को बेचने में रुचि नहीं दिखा रही हैं. एक वजह ये भी है लोग सोचते हैं कि हिमाचल जैसी आपदा उनके इलाके में नहीं आएगी. ऐसे में उऩके लिए होम इंश्योरेंस की जरूरत ही नहीं है. इस वजह से लोग सस्ता होने के बावजूद लोग घर के लिए बीमा नहीं खरीदते… जबकि मौजूदा हालात को देखते यह बीमा खरीदना बहुत जरूरी है.
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