HLV: किसी भी व्यक्ति की भविष्य की कमाई के आधार पर उसका वर्तमान मूल्य तय होता है. इसी के आधार पर उस व्यक्ति के जीवन पर आश्रित व्यक्तियों का भविष्य तय होता है.
इसलिए कहा जाता है कि मानव जीवन मूल्य (HLV) या इनकम रिप्लेसमेंट स्ट्रैटेजी के आधार पर बीमा के सही कवर का अंदाजा लगाया जाता है. इसी के आधार पर कोई व्यक्ति भविष्य में में होने वाली दुर्घटना से बचाव के लिए अपना बीमा करवाता है.
किसी व्यक्ति के HLV को समझकर, यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी अनुपस्थिति में उसके परिवार के जीवन स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
आसान शब्दों में समझें तो, ऐसा माना ही जाता है कि व्यक्ति के जीवन का मूल्य उसकी कमाई क्षमता के बराबर है और उसकी मृत्यु की स्थिति यह उसकी वर्तमान और भविष्य की संभावित आय परिवार के सदस्य की वास्तविक वित्तीय हानि का प्रतिनिधित्व करती है.
इसी प्रकार, उस स्थिति में, बीमा राशि में बाकी सब चीजों के अलावा आय के नुकसान को भी शामिल किया जाना चाहिए. उम्र, वर्तमान आय और भविष्य की कमाई मिलकर इंसान की जिंदगी की कीमत का अंदाजा लगाते हैं.
इस प्रक्रिया के जरिए आप अपनी अतिरिक्त कवरेज को निर्धारित करने के लिए अपने वर्तमान बीमा कवरेज को कम कर सकते हैं.
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि एक व्यक्ति प्रति माह 30,000 रुपये कमाता है और उसमें से 6,000 रुपये खर्च हो जाते हैं, तो इसका मतलब यदि उस व्यक्ति के साथ भविष्य में कोई दुर्घटना होती है, तो परिवार को हर महीने 24 हजार रुपये महीने का नुकसान होगा.
अगर उस व्यक्ति की उम्र 30 साल है और 60 साल की उम्र में वो रिटायर होगा, तो इसका मतलब है कि उस पर आश्रित लोगों को 24 हजार रुपये महीने का नुकसान होगा. वो उसकी वर्तमान में वैल्यू है.
जबकि उसके रिटायरमेंट का अंदाजा लगाकर अगले 30 साल तक बढ़ी हुई कमाई से भविष्य की वैल्यू भी पता चलती है. 24,000 रुपये पेमेंट और 9% के मिनिमम रिटर्न के साथ 30 साल सालाना के आधार पर वर्तमान वैल्यू का अंदाजा लगाया जा सकता है.
दिखने में यह एक बड़ी राशि लग सकती है, लेकिन कैलकुलेट करें तो यह व्यक्ति 30 सालों के लिए 6% की दर से 24,000 रुपये बढ़ाकर 30 साल तक कितना कमाएगा? इस कैलकुलेशन के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो सालाना 60 लाख रुपए कमाता है.
HLV की कैलकुलेशन की तकनीक में एक बड़ी समस्या है कि उससे भविष्य की कमाई के स्तर का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. भविष्य की कमाई का अनुमान व्यक्ति के वर्तमान व्यवसाय की कमाई के आधार पर ही लगाया जा सकता है.
ये बदलाव उनकी नौकरी में पर्सनल ग्रोथ के रूप में समझी जा सकती है. इस प्रकार किसी के जीवन मूल्य को निर्धारित किया जा सकता है, जो एक महत्वपूर्ण बात होती है.
स्टेप- 1: कमाने वाले सदस्य की वर्तमान आय निर्धारित करें स्टेप- 2: उसके व्यक्तिगत खर्च, जीवन बीमा प्रीमियम और आयकर में कटौती करें स्टेप-3: कमाने वाले की वर्तमान आयु के आधार पर उसकी शेष कमाई की गणना करें स्टेप-4: छूट कारक दर की गणना करें स्टेप-5: वर्तमान वैल्यू को कैलकुलेट करने के लिए महंगाई से एडजस्ट रिटर्न रेट को शामिल करना चाहिए
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