क्या आपको मालूम है की बीमा धारक अपनी मर्जी से बीमा कंपनी के साथ जुड़े टीपीए में से अपनी पसंद के टीपीए का चयन कर सकता है. वर्ष 2019में बीमा नियामक IRDAI ने बीमाधारकों को थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (TPA) को चुनने की आजादी दी थी. इसके तहत बीमा कंपनी की ओर से यदि टीपीए की सेवाएं निरस्त कर दी जाती हैं, तो बीमा धारक को दूसरा टीपीए चुनने का अधिकार भी मिलता है. यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि बीमा धारक पॉलिसी रिन्यूएल के समय टीपीए में बदलाव कर सकता है. अगर किसी पॉलिसीधारक ने किसी टीपीए का चयन नहीं किया है तो बीमा कंपनी बीमाधारक को अपनी पसंद का टीपीए चुनने की मंजूरी दे सकती है. अगर किसी बीमा कंपनी के साथ केवल एक ही टीपीए जुड़ा हुआ है तो पॉलिसीधारक को कोई विकल्प देने की जरूरत नहीं है.
स्वास्थ्य बीमा उत्पाद तथा पॉलिसीधारक की भौगोलिक स्थिति के आधार पर बीमा कंपनी टीपीए की संख्या को सीमित कर सकती है और पॉलिसीधारक को इन्हीं में से अपनी पंसद का टीपीए चुनना होगा. बीमा पॉलिसी खरीदते समय या उनका रिन्यूअल कराते वक्त इंश्योरेंस कंपनी ग्राहक को टीपीए की सूची सौंपेती है, जिनमें से वह अपनी पसंद का टीपीए चुन सकता है.’
1.थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर बीमा देने वाली कंपनी और बीमा लेने वाले व्यक्ति के बीच एक मध्यस्थ के रूप में काम करता है. इसका मुख्य काम दावे और सेटलमेंट की प्रक्रिया में मदद करना है.
2.थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर या TPA बीमा लेने वाले व्यक्ति को कार्ड जारी करता है. इसे दिखाकर ही किसी अस्पताल में कैशलेस सुविधा की मदद से इलाज कराया जा सकता है.
किसी दावे के वक्त बीमा लेने वाला व्यक्ति थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर को पहले सूचना देता है. इसके बाद उसे संबंधित अस्पताल में जाने के लिए कहा जाता है. यह बीमा कंपनी के नेटवर्क का अस्पताल होता है. ग्राहक दूसरे अस्पताल में भी इलाज के लिए जा सकता है, जिसका खर्च उसे रीइम्बर्समेंट के जरिये मिल सकता है.
बीमा कंपनी की तरफ से क्लेम का निपटान कराने के लिए टीपीए के रूप में एक मध्यस्थ की नियुक्ति की जाती है. वह बीमा कंपनी के साथ क्लेम के निपटान के लिए अस्पताल की ओर से उपलब्ध कराए गए सभी बिल और दस्तावेज मांगता है. हालांकि, वे किसी भी क्लेम के खारिज होने के लिए जिम्मेदार नहीं होता है क्योंकि क्लेम रिजेक्ट बीमा कंपनी की ओर से किया जाता है.
जनरल इंश्योरेंस और एकल यानी स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमा कंपनी भी अपने इनहाउस विभाग की ओर से क्लेम का निपटान कर सकती है. इससे बीमा धारक अपने क्लेम सेटलेमेंट के लिए सीधे बीमा कंपनी से संपर्क में रहता है और प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाती है. निजी बीमा कंपनियां जैसेकि मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस, बजाज आलियांज हेल्थ इंश्योरेंस और एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्योरेंस के पास इन हाउस यानी अपना क्लेम प्रॉसेसिंग विभाग है.
इरडा के अनुसार, रजिस्ट्रेशन के दौरान टीपीए का नेटवर्थ 1 करोड़ रुपये से कम नहीं होना चाहिए. टीपीए के पास पर्याप्त तकनीकी क्षमता, डेटा सिक्युरिटी और मैन पावर होनी चाहिए.
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का चयन करने सले पहले हमें कुछ फीचर्स जैसेकि अपवाद, वेटिंग पीरियड, को—पे, सबलिमिट, क्लेम रेशियो की निश्चित रूप से पड़ताल करनी चाहिए. वहीं, टीपीए का चयन करने से पहले बीम धरका को उसका क्लेम सैटलमेंट प्रॉसेस जरूर जांचना चाहिए.
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