फॉर्म भरते समय पहले से मौजूद बीमारियों का खुलासा न करना क्लेम रिजेक्ट होने के सामान्य कारणों में से एक है. आपने एक हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) पॉलिसी खरीदी है और इसकी वजह से अब आप अचानक आई किसी मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार है. लेकिन, कहीं न कहीं आपके दिमाग में क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस को लेकर चिंता बनी रहती है. इसलिए, उन कारणों को देखना समझना जरूरी है जिनकी वजह से इंश्योरेंस कंपनी आपके क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है या आंशिक रूप से आपके दावे का भुगतान कर सकती है.
फॉर्म भरते समय पहले से मौजूद बीमारियों का खुलासा न करना क्लेम को रिजेक्ट होने के कॉमन रीजन में से एक है. इसलिए यह जरूरी है कि आप फॉर्म भरने के लिए अपने एजेंट पर निर्भर न रहें. इसके बजाय, अपना समय निकालें और सभी आवश्यक जानकारी को डिटेल में भरें ताकि क्लेम करते समय बाद में इसे आपके खिलाफ न इस्तेमाल किया जा सके. आपको सभी प्रिस्क्रिप्शन ठीक से एक जगह रखने की भी जरूरत है ताकि भविष्य में कोई जरूरत पड़ने पर आप अपनी बात किसी इंश्योरेंस कंपनी के सामने साबित कर सकें.
कई बार कुछ लोग एहतियात के तौर पर कोई जरूरत न होने पर भी अस्पताल में भर्ती हो जाते है. यह जानना महत्वपूर्ण है कि बीमाकर्ता उन क्लेम को रिजेक्ट कर देते हैं जहां अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है. ऐसे मामलों में, इंश्योरेंस होल्डर पर इंश्योरेंस कंपनी को यह समझाने की जिम्मेदारी आती है कि अस्पताल में भर्ती के बिना उसका इलाज करना असंभव है.
बेड अवेलेबल न होने के मामले में, बीमा कंपनी आपको होम ट्रीटमेंट के लिए तभी रिम्बर्स करेगी जब आपके एरिया के हॉस्पिटल में बेड अवेलेबल नहीं होंगे. इसलिए, होम ट्रीटमेंट के लिए जाने से पहले अपने बीमाकर्ता से संपर्क करें ताकि उन्हें पता हो और आपको इसके लिए जमा किए जाने वाले आवश्यक डॉक्यूमेंट्स के बारे में वो बता सकें. कई बार क्लेम रिजेक्ट हो जाते हैं यदि इंश्योरेंस कंपनी को होम ट्रीटमेंट के बारे में इन्फॉर्म नहीं किया जाता है. इसलिए, होम ट्रीटमेंट लेने से पहले, हमेशा अपने बीमाकर्ता को इन्फॉर्म करें.
यह समझना जरूरी है कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में कवरेज तुरंत शुरू नहीं होता है. पॉलिसी खरीदने के बाद भी 15-30 दिनों का वेटिंग पीरियड होता है. उदाहरण के लिए, बेसिक कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी 30 दिनों के वेटिंग पीरियड के साथ आती हैं. इसी तरह, पहले से मौजूद बीमारियों के लिए 2-4 साल का वेटिंग पीरियड होता है, जिसका खुलासा पॉलिसी खरीदते समय करना होता है. डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी कुछ बीमारियों के लिए भी समय सीमा होती है. इसी तरह, यदि पॉलिसी खरीदते समय किसी पूर्व-मौजूदा स्थिति का खुलासा नहीं किया जाता है, तो यह क्लेम रिजेक्ट होने का कारण बन सकता है.
बीमाकर्ता अक्सर शिकायत करते हैं कि सबमिट किए गए डॉक्यूमेंट्स या तो अपडेट नहीं हैं या गलत हैं. इसलिए कभी-कभी बीमाकर्ताओं के लिए केवल सबमिट किए डॉक्यूमेंट्स के आधार पर क्लेम को अप्रूव करना मुश्किल हो जाता है. उदाहरण के लिए, बीमा कंपनियों का कहना है कि केवल कोविड टेस्ट रिपोर्ट को देखकर मामले की गंभीरता का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए, उन्हें क्लेम को अप्रूव करने के लिए और डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है.
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