केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने नगर निकायों में काम करने वाले सभी कैजुअल और कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों को कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (ESI अधिनियम) के तहत कवरेज प्रदान करने की घोषणा की है. इस कवरेज का उन कैजुअल और कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों/ एजेंसियों/ प्रतिष्ठानों तक विस्तार किया जाएगा, जो केंद्र सरकार की ईएसआई अधिनियम, 1948 के तहत पहले से ही अधिसूचित कार्यान्वित क्षेत्रों के दायरे में आते हैं. बता दें, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए 7 जून, 2021 को ही दिल्ली के एनसीटी में नगर निगमों/परिषद में काम करने वाले कैजुअल और कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों के लिए ईएसआई अधिनियम के तहत कवरेज के लिए प्रस्तावित अधिसूचना जारी कर दी थी.
कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों को ESI अधिनियम के तहत मिलेंगे कई लाभ
एक बार संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की ईएसआई कवरेज के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद, नगर निकायों में काम करने वाले कैजुअल और कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारी ईएसआई अधिनियम के तहत उपलब्ध सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे.
इनमें बीमारी लाभ, मातृत्व लाभ, विकलांगता लाभ, आश्रित का लाभ और अंतिम संस्कार का खर्च आदि शामिल हैं. इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण बात यह है कि ये कर्मचारी पूरे देश में ईएसआई सुविधाओं के तहत 160 अस्पतालों और 1,500 से अधिक औषधालयों के माध्यम से चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठाने के पात्र होंगे.
कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों एवं उनके परिवारों का होगा सामाजिक उत्थान
केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने आगे बताया कि देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विभिन्न नगर निकायों में बड़ी संख्या में कैजुअल और कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारी काम कर रहे हैं. हालांकि, नगर निगमों/नगर परिषदों के नियमित कर्मचारी नहीं होने के कारण, ये कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर रहते हैं.
उन्होंने कहा कि इसी मुद्दे के समाधान के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि नगर निकायों के साथ काम करने वाले आकस्मिक और संविदा कर्मचारियों का ईएसआई कवरेज कार्यबल के एक बहुत ही कमजोर वर्ग को सामाजिक सुरक्षा कवर प्रदान करेगा. यह उनके और उनके परिवारों के सामाजिक उत्थान में योगदान देगा.
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 क्या है?
ESI: भारत सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कुछ कानून लागू किए हैं, जिनमें कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 एक महत्वपूर्ण अधिनियम है. इसे बीमारी, प्रसूति, रोजगार संबंधी दुर्घटना के कारण अस्थायी अथवा स्थायी शारीरिक अक्षमता (जिसके कारण मजदूरी अथवा अर्जन क्षमता समाप्त हो गई हो) और मृत्यु, जैसी आकस्मिक स्थिति में कामगार के हितों की सुरक्षा करने के उद्देश्य से लागू किया गया था.
भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 3 जून को एक आदेश जारी कर न्यूनतम वेतन सीमा और राष्ट्रीय मजदूरी दर का निर्धारण करने के वास्ते तकनीकी इनपुट तथा सिफारिशें देने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है. समूह का कार्यकाल सूचना जारी होने से तीन साल का होगा.
यह विशेषज्ञ समूह भारत सरकार को न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय मजदूरी दर के निर्धारण के संबंध में अपनी सिफारिशें देगा. मजदूरी दर तय करने के लिए बनाया गया यह समूह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस संबंध में जारी सबसे अच्छी व्यवस्थाओं पर विचार करेगा और मजदूरी दर को तय करने के लिए वैज्ञानिक मानदंड और प्रक्रिया तय करेगा.
जिन परिवारों ने कोविड के कारण घर के कमाई करने वाले सदस्य को खो दिया है, उन परिवारों की मदद करने के लिए भी भारत सरकार ने कई घोषणाएं की है. इन उपायों के तहत कोविड के कारण अपनी जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को पेंशन दी जाएगी और इसके साथ ही बढ़ा हुआ बीमा मुआवजा भी प्रदान किया जाएगा.
इन व्यक्तियों के आश्रित परिवारों को मौजूदा मानदंडों के अनुसार पेंशन दिया जाएगा. उन्हें संबंधित कर्मचारी या कामगार के औसत दैनिक वेतन या पारिश्रमिक के 90 प्रतिशत पेंशन का लाभ दिया जाएगा.
यह लाभ 24 मार्च 2020 से 24 मार्च 2022 तक इस तरह के सभी मामलों के लिए लागू होगा. इसके अलावा अधिकतम बीमा लाभ की राशि भी 6 लाख रुपए से बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दी गई है.
(स्रोत: प्रसार भारती न्यूज सर्विस)
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