बीमा कंपनियां 25-50 लाख रुपये के कवर की तुलना में 1 करोड़ रुपये का सस्ता हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) प्लान ऑफर कर रही हैं. यह एक आकर्षक डील दिखती है क्योंकि कम रेट पर बहुत ज्यादा बीमा रकम मिलती है. पॉलिसीबाजार द्वारा 2019 के अंत में शेयर किए गए डेटा के मुताबिक, हाई सम इंश्योर्ड (1 करोड़ रुपये का कवर) की पैठ 2% थी जो अब बढ़कर 35% हो गई है, इससे पता चलता है कि हाई सम इंश्योर्ड के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ी है.
पॉलिसीएक्स के फाउंडर और CEO नवल गोयल ने कहा, “बीमा में, अफोर्डेबिलिटी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है ताकि लोग इस तरह के प्लान लेने के लिए आगे आ सकें, इस तरह बीमा कंपनियों द्वारा ऑफर किए जा रहे 1 करोड़ के कवर के जरिए पॉलिसी होल्डर पर बोझ कम पड़ता है और उन्हें मेडिकल फैसिलिटी के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट भी मिलता हैं.”
अनुमानों के मुताबिक 1 करोड़ रुपये की हेल्थ कवर (Health Insurance) पॉलिसियों के लिए प्रीमियम 10 लाख रुपये की बीमा राशि की तुलना में लगभग 500-600 रुपये ज्यादा हो सकता है, लेकिन यह आपको 10 लाख रुपये के प्लान की तुलना में ज्यादा कवरेज देगा. लेकिन क्या है जो 1 करोड़ रुपये के इन प्लान को इतना किफायती बनाता है?
इन 1 करोड़ रुपये की कुछ पॉलिसियों को बेस प्लान के साथ सुपर टॉप-अप को मिलाकर एक कॉम्बिनेशन के रूप में डिजाइन किया गया है, जो ऐसी पॉलिसियों के प्रीमियम को काफी हद तक कम कर देता है. टॉप-अप प्लान के तहत, अस्पताल के बिल एक निश्चित लिमिट को पार करने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ट्रिगर (शुरु) हो जाती है. इस सेट लिमिट को डिडक्शन या थ्रेसहोल्ड लिमिट कहा जाता है. डिडक्शन लिमिट तक के अस्पताल के बिल को बेसिक पॉलिसी द्वारा कवर किया जाता है और इससे एक्सेस बिल का भार सुपर टॉप पॉलिसी द्वारा उठाया जाता है. सुपर टॉप-अप प्लान के केस में, केवल सिंगल हॉस्पिटलाइजेशन नहीं बल्कि टोटल हॉस्पिटल बिलों को ध्यान में रखा जाता है.
पॉलिसीएक्स के फाउंडर और CEO नवल गोयल ने कहा, “दिलचस्प बात यह है कि दूसरे कम सम इंश्योर्ड प्लान की तुलना में ज्यादा रिटर्न के बावजूद 1 करोड़ रुपये के प्लान काफी सस्ते हैं क्योंकि 1 करोड़ रुपये के प्लान हाई टॉप-अप प्लान के साथ एक स्मॉल बेस कवर प्लान का कॉम्बिनेशन हैं. चूंकि टॉप-अप प्लान काफी सस्ते हैं, इसलिए इनके कॉम्बीनेशन से 1 करोड़ रुपए का प्लान काफी सस्ता हो जाता है.”
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) बीमा कंपनियों को हर तीन साल के बाद अपनी प्रीमियम दरों को संशोधित करने की अनुमति देता है. इसलिए, भले ही बीमा कंपनियां आज आपको कम दरें दे रही हैं, लेकिन वो पिछले संशोधन के तीन साल पूरे होने के बाद प्रीमियम बढ़ा सकती हैं.
पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां बीमा कंपनियों ने पुरानी हेल्थ प्लान को वापस ले लिया और इसके बजाय एक ऑल्टरनेटिव ऑफर किया जो 50-150% तक महंगा था. यह मानते हुए कि कोई बीमाकर्ता रेगुलेटर से परमिशन लेने के बाद किसी प्रोडक्ट को विड्रॉ कर सकता है या बंद कर सकता है, कोई भी हेल्थ प्लान के बंद होने की संभावना से इनकार नहीं कर सकता है. लेकिन जब बीमाकर्ता किसी भी प्लान को वापस लेता है तो एक ऑल्टरनेटिव भी ऑफर करता है, जो कि मौजूदा प्लान की तुलना में महंगा हो सकता है.
आप या तो इन प्लान को खरीद सकते हैं या बेसिक और टॉप-अप प्लान के कॉम्बिनेशन के लिए जा सकते हैं. एक टॉप-अप प्लान के तहत, डिडक्टिबल की समाप्ति के बाद कवरेज शुरू होता है.
गोयल ने कहा, “निश्चित रूप से, जो लोग अफोर्ड कर सकते हैं उन्हें 1 करोड़ रुपये के प्लान के लिए जाना चाहिए क्योंकि यह कई तरीके से ज्यादा मददगार है. खास तौर से, कोविड 19 महामारी ने हमें यह महसूस कराया है कि फाइनेंशियल सपोर्ट होना बहुत जरूरी है क्योंकि कोई भी हेल्थ इमरजेंसी की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है. दूसरे, जिन लोगों के परिवार में गंभीर बीमारी का इतिहास रहा है या उन्हें कोई गंभीर बीमारी होने की संभावना है, उन्हें इस प्लान को लेने की सलाह दी जाती है.”
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