हाल के महीनों में कोविड ने भले ही लोगों को परेशान करना कम कर दिया है. लेकिन, बीमा कंपनियों के गले पर बनाई पकड़ इसने ढीली नहीं की है. आप सोचेंगे कि भला बीमा कंपनियों के लिए कोविड ने कौन सी आफत मचा रखी है? तो बात ये है कि मौजूदा वित्त वर्ष में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों पर कोविड से जुड़े क्लेम भारी पड़ गए हैं. क्लेम के ये आंकड़े इतने भारी हैं कि बीमा कंपनियों के माथे पर पसीना आ गया है.
अब ये ही देख लीजिए. 2020-21 में कोविड से जुड़े 9.83 लाख क्लेम आए थे. मौजूदा फिस्कल में ये आंकड़ा दोगुना होकर 19.47 लाख पर आ गया है. इस नंबर में उछाल की सबसे बड़ी वजह ये रही कि कोविड की दूसरी लहर में बड़ी तादाद में लोगों को भर्ती होना पड़ा. इतने क्लेम बढ़े कि हेल्थ बीमा देने वाली कंपनियां खुद बीमार हो गईं. परेशानी की बड़ी बात ये भी है कि क्लेम की सिर्फ तादाद ही नहीं बढ़ी.
क्लेम की औसत रकम भी 91,000 रुपए के लेवल के ऊपर बनी हुई है. यानी बीमा कंपनियों की तो जैसे आफत ही आ गई. अच्छा…बात यहीं तक नहीं रुकती. बीमा कंपनियां चाहकर भी प्रीमियम नहीं बढ़ा पाईं यानी प्रीमियम वही रहे.
मतलब हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को तिहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. जब से कोरोना आया है नॉन-लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों का तो जैसे भट्ठा ही बैठ गया है.
ये आंकड़ा देखिए… महामारी के आने के बाद से इस साल 23 मार्च तक 29.31 लाख से ज्यादा कोरोना से जुड़े क्लेम फाइल हुए हैं.
अगर इनकी रकम को देखें तो ये 36,512 करोड़ रुपए बैठती है. अब कुल फाइल क्लेम्स का 89.5 फीसदी हिस्सा यानी 26.26 लाख क्लेम सेटल किए गए हैं और कंपनियों ने 23,956 करोड़ रुपए बतौर क्लेम लोगों को दिए हैं.
अब इस आफत के दौर में गैर-जीवन बीमा कंपनियों के लिए राहत की बस एक ही खबर है और वो ये है कि लोग अब बीमा की अहमियत समझ रहे हैं और खूब हेल्थ इंश्योरेंस खरीद रहे हैं यानी बीमा कंपनियों का कारोबार बढ़ रहा है.
खैर…हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां बस एक ही दुआ कर रही होंगी कि ये वक्त किसी तरह बीत जाए ताकि वे अपने कारोबार बचाए रख पाएं.