Cataract Surgery Insurance Claim: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत मोतियाबिंद की सर्जरी कवर होती है, लेकिन बीमा कंपनियां इसके लिए एक सीमा तय करती हैं. अधिकतम पॉलिसीओं में एक आंख के मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए यह सीमा 24,000 रूपये होती हैं. कुछ बीमा कंपनियां 30,000 और 35,000 रूपये तक का क्लेम भी पास करती हैं. लेकिन, वडोदरा की अदालत इस सीमा को मानने को तैयार नहीं है और कोर्ट ने साफ कहा है कि ऑपरेशन खर्च सीमा से ज्यादा भी हो सकता हैं. आइए जानते है क्या है पूरा मामला.
वडोदरा के हरनी वरसिया रिंग रोड निवासी डॉ. T. J. प्रजापति ने 2010 में ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लि. से एक बीमा पॉलिसी खरीदी थी, जिसके तहत नवंबर 2019 में अपनी बायीं आंख की मोतियाबिंद सर्जरी करवाई थी. प्रजापति ने सर्जरी के लिए 42,000 रुपये खर्च किए, लेकिन बीमा कंपनी और TPA ने सिर्फ 24,000 रुपये का भुगतान किया.
जिसके सामने डॉ. प्रजापति ने शिकायत दायर की और उसकी सुनवाई करते वक्त वडोदरा डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल फोरम ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और थर्ड-पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर MD इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस TPA प्राइवेट लिमिटेड के इस दावे को खारिज कर दिया कि एक आंख की मोतियाबिंद सर्जरी के लिए 24,000 रुपये उचित राशि है.
वडोदरा की अदालत ने पिछले सप्ताह फैसला सुनाया कि, बीमाकृत व्यक्तियों के दावों से निपटने के लिए बीमा कंपनियों द्वारा मोतियाबिंद सर्जरी के लिए एक समान राशि की कल्पना या निर्धारण नहीं किया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा कि नेत्र रोग विशेषज्ञ आयातित लेंस और महंगी सामग्री का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करते हैं कि मोतियाबिंद की सर्जरी ठीक से की जाए ताकि मरीज की आंख और दृष्टि स्वस्थ रहे. कोर्ट ने फैसले में कहा है कि, “ऐसी परिस्थितियों में, ऑपरेशन खर्च अधिक हो सकता है. यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा विशेषज्ञ सर्जरी कर रहा है और किस प्रकार के लेंस का उपयोग कर रहा है और पॉलिसी में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि एक विशिष्ट प्रकार के लेंस का ही उपयोग किया जा सकता है.”
सुनवाई के दौरान, विरोधियों के वकील ने कहा कि पॉलिसी की मोतियाबिंद सीमा के अनुसार शेष 18,000 रुपये की कटौती की गई थी. बीमा कंपनी की पॉलिसी के अनुसार 24,000 रुपये केवल मोतियाबिंद सर्जरी के लिए उचित और प्रथागत खर्च के रूप में माना जा सकता है और प्रजापति द्वारा किए गए 42,000 रुपये का खर्च अत्यधिक है.
बीमा कंपनी और TPA की दलील का विरोध करते हुए प्रजापति के वकील ने अदालत से कहा कि पैसा गलत तरीके से काटा गया क्योंकि प्रजापति को यह कभी नहीं बताया गया कि यह पॉलिसी के किस क्लॉज के तहत किया गया था और न ही उस पॉलिसी में ऐसा कोई क्लॉज है. अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर भी खींचा गया कि TPA ने राशि काट ली थी और बीमा कंपनी ने प्रजापति को यह सूचित करने के लिए कोई पत्र नहीं लिखा था कि पैसा काटा गया है और किस क्लॉज के तहत पैसा काटा गया है.
अदालत ने तर्कों को बरकरार रखा और यह भी नोट किया कि बीमा कंपनी और TPA किसी भी विशेषज्ञ डॉक्टर की राय प्रस्तुत करके अपने दावे का समर्थन नहीं कर सके कि 24,000 रुपये एक उचित राशि है.
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