Child Insurance Scheme: पोस्ट ऑफिस (Post Office) की कई बचत और बीमा योजनाओं में बच्चों के नाम पर निवेश किया जा सकता है. इससे बच्चों के भविष्य की जरूरतों के लिए अच्छा-खासा फंड तैयार किया जा सकता है. डाक जीवन बीमा स्कीम के तहत 6 पॉलिसी चलती हैं. जिनमें होल लाइफ एश्योरेंस (सुरक्षा), कन्वर्टिबल होल लाइफ एश्योरेंस (सुविधा), एंडोमेंट एश्योरेंस (संतोष), ज्वॉइंट लाइफ एश्योरेंस (युगल सुरक्षा), एंटीसिपेटेड एंडोमेंट एश्योरेंस (सुमंगल) और चिल्ड्रन पॉलिसी (बाल जीवन बीमा). डाकघर विभाग ने 2006 में पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस (पीएलआई) के तहत बच्चों के लिए चिल्ड्रेन पॉलिसी पेश की है. इस योजना के तहत पीएलआई पॉलिसी धारक के बच्चों को बीमा कवर उपलब्ध कराया जाता है.
चिल्ड्रेन पॉलिसी के तहत यदि बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो पूरी सम एश्योर्ड राशि बोनस के साथ मुख्य पॉलिसीधारक को भुगतान की जाती है. चिल्ड्रेन पॉलिसी के लिए मुख्य पॉलिसीधारक ही प्रीमियम भुगतान के लिए जिम्मेदार होता है. हालांकि, इस पॉलिसी पर लोन की सुविधा नहीं होती है. इसमें बच्चों का किसी तरह की स्वास्थ्य जांच कराने की जरूरत नहीं होती है.
– बाल जीवन बीमा के न्यूनतम आयु 19 वर्ष है जबकि अधिकतम आयु सीमा 55 साल की है. – इस बीमा पर आप तीन साल के बाद लोन भी उठा सकते हैं. – 3 साल बाद इस पॉलिसी को सरेंडर भी किया जा सकता है. – बाल जीवन बीमा का मिनिमम सम एश्योर्ड 20,000 रुपए का है जबकि अधिकतम 50 लाख रुपए तक का सम एश्योर्ड ले सकते हैं. – अगर 5 साल तक पॉलिसी नहीं चलाई तो बोनस का लाभ नहीं मिल सकेगा
– आवेदन का फार्म – बच्चे और अभिभावक का आईडी प्रूफ (आधार कार्ड, राशन कार्ड, आदि) – आयु प्रमाण (जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आदि) – पता प्रमाण (राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, आदि) – पासपोर्ट साइज़ फोटो – बीमा कंपनी द्वारा मांगे गए कोई अन्य दस्तावेज
इस योजना की सबसे खास बात यह है कि ये उनके लिए भी फायदेमंद है जो ज्यादा निवेश नहीं कर सकते. अगर पाॉलिसी के दौरान माता-पिता की अचानक मौत हो जाए बची हुई प्रीमियम माफ हो जाती है लेकिन पॉलिसी चलती रहती है.
इसके अलावा अगर किसी कारणवश प्रीमियम का भुगतान करने में आप सक्षम नहीं हैं तो इस पा़लिसी को पेडअप प्लान में चेज करा सकते हैं.
पॉलिसी बाजार के मुताबिक पोस्ट ऑफिस की बाल जीवन बीमा बाजार में उपलब्ध सबसे सस्ती बीमा योजना है. इस योजना के तहत आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 C के तहत टैक्स छूट भी मिलती है.
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