केंद्र सरकार ने सरकारी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी ( LIC) में निवेश आकर्षित करने के लिए वैश्विक निवेशकों के साथ बातचीत शुरू की है. वित्त मंत्रालय और LIC के मैनेजमेंट के कई वरिष्ठ अधिकारियो ने वैश्विक निवेशकों के साथ कई दौर की बातचीत की है. निवेशकों को बताया जा रहा है कि बाजार LIC के शेयर की सही कीमत नहीं आंक रहा है. पिछले साल मई में लिस्ट होने के बाद शेयर बाजार में लगातार LIC के शेयर की पिटाई हो रही है. सरकार LIC में अतिरिक्त 2 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है लेकिन इस पर अंतिम फैसला कंपनी सालाना आमसभा (AGM) के बाद ही होगा. सरकार की LIC में फिलहाल 96.5 फीसद हिस्सेदारी है.
बाजार में लिस्ट होने के बाद LIC का शेयर 34 फीसद तक टूट चुका है. इसके अलावा LIC की नई पॉलिसियों को बेचने से हुई आय, यानी न्यू बिजनेस प्रीमियम (NBP) में गिरावट देखने को मिली है. अप्रैल 2023 में जहां पूरी लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री के NBP में सालाना आधार पर 30 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, वहीं अकेले LIC का NBP साल दर साल 50.41 फीसदी घटकर 5,810.1 करोड़ रुपए पर आ गया था. इस कमी की मुख्य वजह ग्रुप सिंगल प्रीमियम की तेज गिरावट को माना गया. LIC का पर्सनल सिंगल प्रीमियम अप्रैल में 23.1 फीसदी गिरकर 1,014.5 करोड़ रुपए पर आ गया था जबकि ग्रुप सिंगल प्रीमियम 65.8 फीसदी गिरकर 2,899.6 करोड़ रुपए रहा. आपको बता दें कि इस साल के बजट में सरकार ने 5 लाख रुपए से ऊपर के नॉन ULIP बीमा प्रीमियम पर सेक्शन 80-सी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट खत्म कर दी थी, जिसका असर बीमा कारोबार पर दिख रहा है.
हालांकि LIC के चौथी तिमाही में उम्मीद से बेहतर रहे थे. कंपनी का मुनाफा करीब छह गुना बढ़कर 13,427.8 करोड़ रुपए रहा था. हालांकि कंपनी की नेट प्रीमियम आय पिछले साल के 1.43 लाख करोड़ रुपए से 8.4% गिरकर 1.31 लाख करोड़ रुपए रही थी. वहीं सरकार LIC के स्टॉक मार्केट के प्रदर्शन से खुश नहीं है. कुछ तिमाही नतीजों का आकलन करने के बाद ही सरकार यह तय कर पाएगी कि वो LIC की हिस्सेदारी में कमी करना चाहेगी या नहीं. पिछले साल LIC सरकार ने IPO के जरिए 3.5 हिस्सेदारी में कमी करके 20,557 करोड़ रुपए जुटाए थे.