Cash Withdrawal: याद है पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक यानी पीएमसी बैंक. वित्तीय अनियमिततताओं व कुछ और गड़बड़ियों के मद्देनजर 23 सितम्बर 2019 को इस बैंक के निदेशक बोर्ड को हटाकर एक प्रशासक नियुक्त किया गया.
कई पाबंदियां भी लगी, लेकिन सबसे बड़ी पाबंदी यह थी कि जमाकर्ता 1000 रुपये से ज्यादा निकाल नहीं सकता था. धीरे-धीरे यह रकम बढ़ाकर पहले 10 हजार, फिर 25 हजार, 40 हजार, 50 हजार और बीते वर्ष जून में यह 1 लाख रुपये कर दी गयी.
जून में आदेश जारी करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि 84 फीसदी जमाकर्ता अपनी पूरी बकाया रकम निकाल (Cash Withdrawal) सकेंगे.
इन जैसे और ऐसे तमाम जमाकर्ता, जो ऐसे बैंक के ग्राहक हैं जिनके कामकाज पर पाबंदी लगा दी जाती है और महीनों-महीनों जारी रहती है, लेकिन बंद नहीं होता या लाइसेंस रद्द नहीं होता, वो अब कुछ राहत की सांस ला सकते हैं.
यह संभव होगा मानसून सत्र में पेश होने वाले The Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (Amendment) Bill, 2021 की बदौलत. राहत कैसे मिलेगी, इस पर बात करने के पहले एक नजर डाल लेते हैं, बीमा सुरक्षा के प्रावधानों पर.
Deposit Insurance & Credit Guarantee Corporation (DICGC) Act 1961 के तहत देश भर में 1537 बैंक (सरकारी बैंक, निजी बैंक, विदेशी बैंक, स्म़ॉल फाइनेंस बैंक, पेमेंट बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लोकल एरिया बैंक, राज्य सहकारी बैंक, जिलास्तरीय सहकारी बैंक, शहरी सहकारी बैंक मिलाकर) के ग्राहकों को जमा पर बीमा सुरक्षा मिलती है.
1961 में डेढ़ हजार रुपये की बीमा सुरक्षा दी गयी, जो बढ़ते-बढ़ते 1993 में 1 लाख और 4 फरवरी 2020 से पांच लाख रुपये हो गयी.
एक बैंक की अलग-अलग शाखाओं में जितने भी आपके खाते हैं, लेकिन सब मिलाकर 5 लाख रुपये की ही बीमा सुरक्षा मिलेगी.
बहरहाल, अगर एक ही बैंक में कोई व्यक्ति साझे में, व्यापारिक हैसियत से या फिर किसी अल्पवयस्क के साथ अलग-अलग खाता खोले, तो उन सब पर अलग-अलग पांच-पांच लाख रुपये की बीमा सुरक्षा उपलब्ध होगी.
अलग-अलग बैंक के खाते के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था होगी.
इसके लिए ग्राहक को अपनी जेब से कुछ देना नहीं होता, बल्कि प्रीमियम बैंक को जमा कराते हैं. पहले प्रीमियम की दर 10 पैसे प्रति सौ रुपये जमा पर थी, जो बीते साल बढ़ाकर 12 पैसे कर दी गयी.
अब कानून की बारीकियों पर नजर डालें. यहां कहा गया कि बीमा सुरक्षा की रकम तभी मिलेगी, जब बैंक का लाइसेस रद्द कर दिया जाए, बैंक बंद हो जाए और बंद करने की प्रक्रिया पूरी करने लिए एक लिक्विडेटर की नियुक्ति की जाए.
वो DICGC के पास दावेदारों की सूची सौंपे, तभी जाकर बीमा सुरक्षा की रकम पांच लाख रुपये प्रति दावेदार के हिसाब से लिक्विडिटेर
को सौंपी जाएगी और वो जमा रकम के हिसाब से पैसा जमाकर्ताओं को देगा. बैंक के विलय की सूरत में भी बीमा जमा की कुल राशि या बीमा सुरक्षा की राशि, जो भी कम हो, और विलय की योजना के मुताबिक मिली राशि के बीच के अंतर के बराबर रकम दी जाती है.
बैंक बंद होने पर ही बीमा सुरक्षा का फायदा मिलेगा. दिक्कत यह है कि पीएमसी बैंक जैसे मामले में पाबंदी लगायी जाती है, लेकिन ना तो लाइसेंस रद्द होता है और ना ही बैंक बंद होता है.
अब ऐसे में जमाकर्ताओं को इंतजार करना होता है कि कब और कितनी राहत उन्हे मिलेगी. अब यह इंतजार खत्म होगा. यह संभव हो पाएगा DICGC कानून में बदलाव की बदौलत.
बदलाव की झलक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कारोबारी साल 2021-22 के अपने बजट भाषण में दिखायी. जब उन्होंने कहा “ पिछले वर्ष सरकार ने बैंक ग्राहकों के लिए डिप़ॉजिटी बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिए जाने की अपनी मंजूरी दे दी थी.
हम इसी सत्र में डीआईसीजीसी एक्ट 1961 में संशोधन करने का प्रस्ताव लाएंगे, जिससे इसके प्रावधानों को स्ट्रीम लाइन किया जा सकता.
ताकि यदि कोई बैंक अस्थायी रुप से अपने दायित्वो का निर्वहन करने में असफल हो जाता है, तो ऐसे बैंक में जमा करने वाले व्यक्ति आसानी से औऱ समयपूर्वक अपनी जमाराशि को उस सीमा तक प्राप्त करे, जिस सीमा तक वह बीमा कवरेज के अंतर्गत आती है.
इससे बैंक के उन जमाकर्ताओं को मदद मिल सकेगी जो कि इस समय तनावग्रस्त हैं.”
महामारी की वजह से समय के पहले संसद का बजट सत्र खत्म होने के चलते यह विधेयक तब नहीं लाया जा सका. अब यह मानसून सत्र की कार्यसूची में शामिल किया गया है.
बिल के कानून बनने के बाद किसी भी बैंक के कामकाज पर पाबंदी लगने की सूरत में बीमा सुरक्षा के बराबर यानी 5 लाख रुपये तक जमा राशि निकालने की सुविधा मिलेगी और इसके लिए बैंक बंद होने तक का इंतजार नहीं होगा.
साफ है कि पीएमसी बैंक या दूसरे बैंक जिनके कामकाज पर रोक लगा दी गयी या भविष्य में रोक लगायी जाती है, उनके ग्राहकों की परेशानी काफी हद तक दूर हो सकेगी.
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