Car Insurance: यदि आपकी कार एक्सीडेंट का क्लेम किया है, तो कार इंश्योरेंस (Car Insurance) रिन्यू कराते वक्त प्रीमियम बढ़ने की संभावना है.
किसी भी बीमा पॉलिसी का प्रीमियम शामिल व्यक्ति से जुड़े जोखिम के आधार पर होता है और कार बीमा पॉलिसियों के मामले में दुर्घटनाएं सबसे संभावित जोखिमों में से एक हैं. इसलिए दुर्घटनाएं प्रीमियम को प्रभावित करते हैं.
इंश्योरेंस एक्सपर्ट बताते हैं, दुर्घटना के बाद क्लेम करना आपकी बीमा प्रोफ़ाइल को नुकसान पहुंच सकता है और बदले में आपका प्रीमियम बढ़ सकता है.
यदि आपने अतीत में बार-बार क्लेम किए हैं, तो आपका जोखिम कारक कई गुना बढ़ जाता है और इसी तरह प्रीमियम राशि भी बढ़ जाती है. कहने का मतलब है कि जोखिम जितना अधिक होगा बीमा प्रीमियम भी उतना ज्यादा होगा.
कार इंश्योरेंस के प्रीमियम पर कौन से कारक प्रभाव डाल सकते हैं
दुर्घटना के बाद क्लेम के वक्त पॉलिसीधारक से अतिरिक्त अमाउंट चार्ज किया जाता है, जिसे प्रीमियम लोडिंग कहते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बार-बार दावों के कारण पॉलिसीधारक को ज्यादा रिस्की माना जाता है.
प्रीमियम लोडिंग की राशि पिछले प्रीमियम के 10% से 15% के बीच होती है. यह प्रतिशत कार की आईडीवी, आपकी कार की स्थिति, उठाए गए दावे की श्रेणी और दी गई दावा निपटान राशि जैसे कारकों पर निर्भर करता है.
आप साल में एक भी क्लेम नहीं करते हैं, तो बीमा कंपनी आपको नो क्लेम बोनस का बेनिफिट देती है. ये एक तरह का डिस्काउंट है, जो पॉलिसी रिन्यू कराते वक्त प्रीमियम में दिया जाता है.
इसके कारण आपका प्रीमियम कम रहता है, लेकिन आप क्लेम करते हैं, तो इस फायदे से हाथ धोना पड़ता है.
– सबसे जरूरी है आपको दुर्घटना से बचना चाहिए. अगर आपकी गलती ना हो और एक्सीडेंट हो भी जाए तो भी दावा करने से दूर रहना चाहिए. अगर कम लागत पर क्षति को ठीक किया जा सकता है, तो आपको क्लेम नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से आपका नो क्लेम बोनस प्रभावित नहीं होगा.
-नो क्लेम बोनस प्रोटेक्ट कवर का विकल्प चुनें जो एक ऐड-ऑन कवर है. अधिकांश बीमाकर्ता ये कवर प्रदान करते हैं.
-ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) द्वारा प्रमाणित सुरक्षा प्रणालियों को स्थापित करने से आपकी प्रीमियम राशि कम करने में मदद मिल सकती है और साथ ही आपकी कार की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है, जिससे क्लेम करने की संभावना कम हो जाती है.
-स्वैच्छिक कटौती का चयन करने से भी प्रीमियम कम करने में मदद मिलेगी. इस विकल्प को चुनते हैं, तो क्लेम करते वक्त आप कितना प्रतिशत खर्च वहन करेंगे उस पर निर्णय लेना होगा, जबकि शेष बीमाकर्ता द्वारा वहन किया जाएगा. ऐसा करने से प्रीमियम एक मार्जिन से कम होगा, लेकिन बीमा कंपनी से मिलने वाली क्लेम अमाउंट भी कम हो जाएगा. एक्सपर्ट मानते है कि, इस विकल्प से प्रीमियम कम हो सकता है लेकिन ग्राहक का बोझ काफी बढ़ जाता है.
-कार इंश्योरेंस लेते वक्त ऑनलाइन मोड अपनाएंगे, तो काफी फायदा होगा, क्योंकि बीमा कंपनी ऑनलाइन खरीदी पर अच्छा डिस्काउंट ऑफर करती है.
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