अक्सर हम सुनते हैं कि बड़ा है तो बेहतर है. लेकिन, बदलती लाइफस्टाइल के साथ अब नजरिया भी बदल रहा है. यही वजह है कि बदलते ट्रेंड में छोटा है तो बेहतर है की पॉलिसी ज्यादा फिट है. इसके पीछे एक कारण भी है. दरअसल, इंश्योरेंस सेगमेंट में स्मॉल पर जोर बढ़ रहा है. कई बीमा कंपनियों और इंटरमीडियरीज ने कम प्रीमियम वाले कवर लॉन्च किए हैं. इस तरह के कवर को बाइट-साइज इंश्योरेंस (Bite-Sized Insurance) भी कहा जाता है.
कुछ खास जरूरतों के लिए कम खर्च वाले बीमा को ही बाइट-साइज इंश्योरेंस कहते हैं. इनमें मोबाइल फोन, जिम सेशन, एयरलाइन के टिकट जैसी जरूरतों के लिए बीमा शामिल हैं. बाइट-साइज इंश्योरेंस की डिमांड भी बढ़ी है.
फोनपे (PhonePe) और पेटीएम (Paytm) जैसे ई-वॉलेट बाइट-साइज इंश्योरेंस बेच रहे हैं. इनके बड़े वॉल्यूम से ग्राहकों को कम भाव पर ये इंश्योरेंस मिल जाते हैं. व्हॉट्सऐप (WhatsApp) ने भी एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी (SBI General Insurance Company) की साझेदारी में ऐसी पॉलिसी बेचने का एलान किया है. फोनपे (PhonePe) के वाइस-प्रेसिडेंट और इंश्योरेंस हेड गुंजन घई का कहना है, ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां आमने-सामने इंश्योरेंस बेचना पसंद करती हैं. लेकिन, कोविड की वजह से ऐसे छोटे हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है. युवा भी इंश्योरेंस खरीदने के अन्य विकल्पों पर गौर कर रहे हैं.
फोनपे (PhonePe) पर 396 रुपए में 50,000 रुपए कवर वाली कोरोनावायरस पॉलिसी मिल रही है. ऐप पर कुछ ऐसी पॉलिसी भी हैं, जिसके तहत अस्पताल में भर्ती होने पर कैश की सुविधा मिल सकेगी.
इंश्योरेंस कंपनियों को इन बाइट-साइज़ पॉलिसी (Bite-Sized Insurance) में बड़े मौके दिख रहे हैं और यही वजह है कि यहां इनोवेशन के रास्ते खुले हैं. होम इंश्योरेंस बढ़ाने के लिए कंपनियां इन्हें रेंटल पोर्टल पर भी बेच सकती हैं. डॉक्टर, CA और एक्टर्स जैसे प्रोफेशनल डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ ही छोटी वैल्यू के इनडेम्निटी कवर यानि किसी घाटे की सूरत में सुरक्षा कवर भी लेते हैं.
छोटे साइज की इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance Policy) की तरफ मिलिनियल्स का रुझान बढ़ा है, जो कवर लेना चाहते हैं लेकिन, पारंपरिक पॉलिसी से बच रहे हैं. एक बड़ा प्लान खरीदने से पहले ये बाइट साइज प्लान उन्हें कॉन्सेप्ट समझने में मदद करते हैं. घई के मुताबिक, बाइट साइज पॉलिसी की तरफ युवाओं का रुझान दर्शाता है कि वे इंश्योरेंस की ज़रूरत जानते हैं और उसे समझना चाहते हैं. इस चलन से इंश्योरेंस में उम्र और अनुभवों के हिसाब से लोग चुनाव करना शुरू करेंगे. घई का आगे कहना है कि लोग धीरे-धीरे कई छोटे कवर ले सकते हैं और बाद में सभी सर्विस वाली एक पॉलिसी खरीदेंगे.
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