देश की कम से कम एक बीमा कंपनी अजन्मे बच्चों की जन्मजात बीमारियों के लिए बीमा कवर देने को तैयार हो गई हैं. ये हेल्थ इंश्योरेंस के लिए बड़ी कामयाबी और उन माता-पिता के लिए बड़ी राहत वाली खबर है जो जल्द परिवार में नये बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक सर्जन्स (IAPS) इस बारे में लंबे समय से बीमा कंपनियों के साथ बातचीत कर रहा था और आखिरकार स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस अजन्मे बच्चे का बीमा कराने को तैयार हो गया है.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 22 अक्टूबर को शुरू हुए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक सर्जन के 47वें सालाना कॉन्फ्रेंस में इसके अध्यक्ष डॉक्टर रविंद्र रामद्वार ने इसको लेकर ये महत्वपूर्ण ऐलान किया.
रिपोर्ट में रामद्वार के हवाले से कहा गया है कि IAPS की कार्यकारी समिति की बीमा कंपनियों के साथ लंबी बातचीत के परिणामस्वरूप एक निजी बीमा कंपनी, स्टार हेल्थ एंड एलाइडट इंश्योरेंस अजन्मे बच्चे का बीमा कराने को लेकर सहायता करने को तैयार है.
रिपोर्ट ने IAPS के संयुक्त सचिव डॉक्टर अमर शाह के हवाले से कहा कि नये बच्चे के आने की उम्मीद कर रहे कई माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं होते कि वो नवजात शिशुओं में होने वाले जन्मजात बीमारियों का इलाज करा सकें. ऐसे में 20 हफ्ते के भ्रूण का अल्ट्रासाउंड करवा कर कई माता-पिता जन्मजात बीमारी सामने आने पर गर्भपात करवा लेते हैं. डॉक्टर शाह के मुताबिक अगर इस तरह का बीमा कवर कई बीमा कंपनियां देने लगेंगी तो इस तरह के कई गर्भपात रोके जा सकेंगे.
कई बीमा कंपनियां जन्मजात बीमारियां या जन्म के तुरंत बाद सर्जिकल समस्याओं को कवर नहीं करतीं जिससे कई परिवारों पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है. अजन्मे बच्चे का बीमा कवर ऐसे गर्भपात रोक सकता है जिनमें माता-पिता होने वाले बच्चे में थोड़ी भी खराबी निकलने पर उस बच्चे को जन्म नहीं देने का निर्णय लेते हैं.
वैसे तो स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस अजन्मे बच्चों को बीमा कवर देने के लिए आगे आया है मगर इस तरह की बीमा पॉलिसी के लिए होने वाले बच्चों के माता-पिता को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. निजी बीमा कंपनी को पहले सर्वोच्च बीमा नियामक यानी इंश्योरेंस रेग्यूलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी से हरी झंडी लेनी होगी.
रिपोर्ट की मानें तो , IAPS सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले वित्त राज्यमंत्री और खुद बाल रोग सर्जन डॉक्टर भागवत कराड ने इसका स्वागत किया और इंश्योरेंस रेग्युलेटरी अथॉरिटी से हर स्वीकृति दिलाये जाने की प्रक्रिया को तेज कराने का आश्वासन दिया.
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