दिनों-दिन स्वास्थ्य सेवाएं महंगी होती जा रही हैं. किसी गंभीर बीमारी के चलते अगर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आती है तो न सिर्फ बजट गड़बड़ हो जाता है बल्कि भविष्य के वित्तीय लक्ष्य भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं क्योंकि कभी-कभी अपनी सेविंग्स भी इलाज में खर्च करनी पड़ जाती है. ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस समय के साथ तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. आपके पास एक इंडिविजुअल पॉलिसी तो होगी ही और इसके साथ ही अगर आप किसी कंपनी में जोब करते हैं तो आपका ग्रुप इंश्योरेंस भी होगा. ग्रुप इंश्योरेंस वो हे जो कंपनियां अपने एम्प्लोयी को देती है. इसके फायदे और नुकसान दोनो है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते है.
कंपनी को क्या फायदा
कंपनी अपने कर्मचारीयो के लिए ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस लेती है तो ये उसका एक्सपेंडिचर है. कंपनी इस खर्च पर इनकम टेक्स से छूट ले सकती है ये इसका बडा फायदा है. यानी टेक्स बेनिफिट होता है. इसके अलावा कंपनी पर कर्मचारीयों का भरोसा बढता है इसलिए कर्मचारी ज्यादा समय के लिए कंपनी के साथे जुडे रहते हैं. एक लोंग टर्म रिलेशनशीप बनी रहती है. मान लो आप एक कंपनी में जोब करते है और आपका 5 लाख का ग्रुप इंश्योरेंस है. अब आपके घर में किसी सदस्य का होस्पिटलाइजेशन हुआ और 2 या 3 लाख का खर्च कंपनी के ग्रुप इंश्योरेंस के तहत आपको मिले तो इससे आप कंपनी की तरफ ज्यादा लोयल हो जाते हैं.
कंपनी को नुकसान
कंपनी के लिए एक बोज बन सकता है. हर साल प्रीमियम बढ सकता है और कंपनी को कंपलसरी इसका बर्डन वहन करना पडता है. कंपनी कर्मचारी को प्रीमियम चूकाने के लिए कह भी नहीं सकते और न ही पॉलिसी को बीच में बंद कर सकते है. अगर कंपनी एक स्टार्ट अप है और उसके बिजनेस में उतार-चढाव रहता है फिर भी प्रीमियम तो चुकाना ही पडेगा.
कर्मचारी को फायदा
कंपनी इसके लिए कर्मचारी के सेलेरी में से कोइ प्रीमियम नहीं काटती है. यानी ये पॉलिसी फ्री रहती है. ये इसका बडा फायदा है. कइ कंपनी शेरिंग भी करती है यानी प्रीमियम का खर्च एम्प्लॉयर और एम्प्लोयी के बीच में 50%-50% बांटती है. फिर भी आपको खर्च कम आयेगा क्योंकी आधा प्रीमियम कंपनी पे करेगी. दूसरा फायदा ये है की आपकी पूरी फेमिली को इंश्योरेंस कवर मिलता है. यानी पति, पत्नी और बच्चे के अलावा माता-पिता को भी इसका लाभ मिल सकता है. कइ पॉलिसी में सास-ससुर को भी इसका कवर मिलता है. इसके अलावा कैशलेस पॉलिसी होती है और पूरे भारत में कहीं भी होस्पिटलाइजेशन पर इसका बेनिफिट मिलता है.
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इनमें वेटिंग पीरियड नहीं होता है. रेगुलर हेल्थ प्लान में यह अमूमन होता है. इंश्योरेंस पॉलिसी में बीमारियों के इलाज के लिए वेटिंग पीरियड रखा जाता है. इसे कूलिंग पीरियड भी कहते हैं. इस अवधि के दौरान इंश्योरेंस कंपनी क्लेम का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं होती है. इसके चलते क्लेम का निपटान अपेक्षाकृत काफी ज्यादा होता है. मेडिकल जांच की जरूरत नहीं होती है. ग्रुप हेल्थ प्लान के प्रीमियम इसलिए कम होते हैं क्योंकि बड़ी संख्या में लोग बीमित होते हैं. इस तरह बीमा देने वाली कंपनी को बड़े पैमाने का फायदा होता है.
कर्मचारी को नुकसान
ग्रुप प्लान का नुकसान यह है कि बीमा कंपनियां या संस्थान इंश्योरेंस को बढ़ाते नहीं हैं. इस तरह अपनी मेडिकल कवरेज की जरूरतों के लिए आप इन पर निर्भर नहीं हो सकते हैं. इसके उलट रेगुलर प्लान में कानूनी रूप से बीमा कंपनी को पॉलिसी रिन्यू करनी पड़ती है. फिर चाहे भले आप क्लेम ले चुके हों.
अगर आपने कोइ इंडिविजुअल पॉलिसी नहीं ली है तो कंपनी बदलने पर नइ कंपनी में ग्रुप हेल्थ पॉलिीस नहीं होगी तो आपको नुकसान हो सकता है.
अगर कंपनी ने बिजनेस में मंदी या किसी दूसरे कारण से बीमा पॉलिसी बंद की तो आपको नुकसान होगा क्योंकी ये एम्प्लॉयर के लिए कंपलसरी नहीं है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।