कार ओनरों के लिए व्हीकल इंश्योरेंस एक जरूरी दस्तावेज होता है. हालांकि, कुछ कारणों से पॉलिसी खरीदने के बावजूद आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
सबसे पहला और जाहिर कारण होता है फर्जी क्लेम करना. अगर आपके क्लेम में इंश्योरेंस कंपनी को किसी तरह का फ्रॉड समझ आया, तो बीमा के सभी फायदे खत्म किए जा सकते हैं. आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.
इंश्योरेंस प्रीमियम को समय से भरना बेहद जरूरी होता है. कभी किसी कारण थोड़ी-बहुत देर होने पर ग्रेस पीरियड के तौर पर आपको कुछ रियायत मिल सकती है. मगर बार-बार यही होने पर क्लेम को खारिज किया जा सकता है. हो सकता है कि सीधे आपके इंश्योरेंस को ही अमान्य कर दिया जाए.
थर्ड पार्टी कवर के अलावा, मोटर बीमा में ओन डैमेज कवर भी होता है. इसमें स्वयं से वाहन को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है.
आप अपनी कार को अगर हर कुछ समय पर मॉडिफाई कराते रहते हैं, तो ध्यान रखें कि इंश्योरेंस कंपनी को इसकी जानकारी मिलती रहे. किसी मॉडिफिकेशन से हो सकता है कि बीमा पर फर्क पड़े. इन बदलावों की जानकारी पहले से नहीं देने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
प्राइवेट व्हीकल को अगर कमर्शियल या बिजनेस के लिहाज से इस्तेमाल किया जा रहा है, तो उसे क्लेम के दायरे के बाहर रखा जाता है. अगर इंश्योरेंस कंपनी को इसकी जानकारी मिली, तो आपका बीमा तुरंत रद्द हो जाएगा.
बेनेफिट पाने के लिए क्लेम की प्रक्रिया से जुड़े नियमों का पालन करना चाहिए. इससे सबकुछ आसानी से हो जाता है. प्रक्रिया में सुनिश्चित किया जाता है कि किसी तरह की धांधली नहीं हो रही है.
इस पॉलिसी के तहत वयस्कों के लिए एंट्री की ऐज लिमिट 18 साल से 65 साल है. बच्चों के लिए जब आप फैमिली फ्लोटर प्लान खरीदते हैं, तो यह तीन महीने से लेकर 25 साल तक का होता है.
दुर्घटना होने पर इंश्योरेंस कंपनी को उसी वक्त जानकारी दे देनी चाहिए. उनसे एक्सिडेंट स्पॉट पर आकर लगे हाथ जांच-पड़ताल करने के लिए कहना चाहिए. घबराहट के कारण गाड़ी लेकर फरार नहीं हो जाना चाहिए. आप जितने पारदर्शी तरीके से चीजें करेंगे, क्लेम के पैसे उतनी आसानी से मिलेंगे.
कानून का उल्लंघन करने पर या नशे में होने के कारण दुर्घटना होती है, तो इंश्योरेंस कंपनी आपके क्लेम को नहीं मानती. ऐसे केस में क्लेम तुरंत खारिज हो जाता है.