पिछले एक साल में कोविड-19 (Covid19) ने ऑफिस को एक लैपटॉप तक समेट दिया, वर्क फ्रॉम होम के दौर में जरूरी से जरूरी मीटिंग भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में होने लगी. इंडिया की डिजिटल तैयारी से काफी हद तक इसमें मदद मिली लेकिन हेल्थकेयर (Healthcare) के मोर्चे का कड़वा सच भी इस महामारी ने उजागर किया. भारत ने इस चुनौती का पिछले एक साल में किस तरह सामना किया है और हेल्थ सुविधा में कितना बदलाव हुआ है?
दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला आया, वहीं भारत में साल 2020 में जनवरी अंत में केरल में पहला कोरोना (Covid19) मामला पाया गया. कोरोना भारत की हेल्थ व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी थी और इससे निपटने के लिए शुरुआती दौर में ही रोकथाम जरूरी थी. सरकार ने 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया और 24 मार्च 2020 से भारत में पूरी तरह लॉकडाउन था.
तेजी से बनाई कोविड टेस्टिंग लैब्स
जनवरी 2020 में देश में कोविड-19 (Covid19) का टेस्ट करने के लिए उपयुक्त सिर्फ 1 लैब थी. 6 महीने के अंदर 24 जून 2020 तक कुल 1000 लैब्स को टेस्टिंग के लिए मान्यता दे दी गई. वहीं और 8 महीने बाद भारत में फरवरी तक कुल 2397 कोरोना टेस्टिंग लैब हैं जिसमें से 1222 सरकारी केंद्र हैं जबकि 1175 प्राइवेट लैब्स हैं. वहीं RT-PCR टेस्ट के लिए कुल 1371 लैब हैं. अब तक कुल 21,68,58,774 सैंपल्स का टेस्ट हो चुका है. 28 फरवरी 2021 को ही 6,27,668 लाख टेस्ट हुए थे.
दुनिया को दी वैक्सीन
1 टेस्टिंग लैब से शुरू हुए इस सफर में अब भारत के पास दो कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) है, और विश्वभर में भारत वैक्सीन के बड़े निर्यातकों में भी शामिल हो गया है. अब तक 1.43 करोड़ लोगों को वैक्सीन तक लग चुकी है. वैक्सीन के नए चरण में बुजुर्गों और 45 वर्ष से ऊपर के गंभीर बीमारी वालों को प्राथमिकता दी जा रही है. 1 मार्च तक 1.07 करोड़ लोग कोरोना से रिकवर हो चुके हैं. मरीजों के ठीक होने की दर 97.07 प्रतिशत हो गई, वहीं कोविड-19 से मृत्यु दर 1.41 प्रतिशत है.
मामलों से ज्यादा टीकाकरण
भारत ने सितंबर 2020 में ही 50 लाख कोरोना मामलों का आंकड़ा पार कर लिया था. भारत में अब तक कुल मामले 1.11 करोड़ है जबकि टीकाकरण 1.43 करोड़ लोगों को हो चुका है, यानि अब वैक्सीनेशन कोरोना की स्पीड से ज्यादा है. सितंबर में ही एक दिन में 95,000 से ज्यादा कोरोना मामले भी दर्ज किए गए जबकि 28 फरवरी को 15,510 नए मामले आए हैं. इसमें से 85 फीसदी मामले 6 राज्यों में है- महाराष्ट्र और केरल में नए संक्रमितों की संख्या सबसे ज्यादा है.
PPE किट में भी रफ्तार
भारत के हेल्थकेयर इंफ्रा (Healthcare Infra) में हॉस्पिटल्स के अलावा PPE किट की भी दिक्कत सामने आई थी. इस मोर्चे पर भी सुधार हुआ है. ICMR के मुताबिक 26 फरवरी 2021 तक 157 कमर्शियल RT-PCR किट को मंजूरी मिली है जबकि 17 फरवरी 2021 तक कुल 22 एंटिजन बेस्ड रैपिड टेस्ट किट को मंजूरी मिली हुई है.
स्वास्थ्य मोर्चे पर आत्मनिर्भर बना भारत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन ने 31 जनवरी तक का डाटा पर ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडियन ओरिजिन्स को एक संबोधन में भारत के हेल्थ इंफ्रा में सुधार (Healthcare) की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा कि भारत ने कोरोना की लड़ाई में 15,000 से ज्यादा फेसिलिटी में 19 लाख बेड की सुविधा दी और 12,000 से ज्यादा क्वारनटीन सेंटर्स भी बनाए गए. PPE किट मैन्युफैक्चरिंग में भी भारत आत्मनिर्भर बना और रोजाना 5 लाख किट बनने शुरू हुए.
डिजिटल इंफ्रा से लड़ी लड़ाई
भारत की कोरोना (Covid19) की लड़ाई में डिजिटल इंफ्रा काम आया. पहले कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए आरोग्य सेतु को इस्तेमाल में लाया गया तो वहीं कोविन पोर्टल के जरिए वैक्सीनेशन को रफ्तार मिल रही है.
सबसे बड़ा वैक्सीनेशन
वैक्सीनेशन के इस नए चरण में आयुष्मान भारत- PMJAY (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) के अधीन सूचीबद्ध करीब 10 हजार अस्पताल, CGHS के अंतर्गत आने वाले 687 अस्पताल और राज्य सरकारों की स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत पंजीकृत प्राइवेट अस्पताल टीकाकरण के दूसरे चरण में इस्तेमाल किए जाएंगे. सरकार के जारी किए लिस्ट के मुताबिक 7936 PMJAY-निजी अस्पतालों में अधिकतम 250 रुपये के शुल्क पर वैक्सीन लगाई जाएगी.
जागरुकता और हेल्थ कर्मचारियों (Healthcare Workers) की मेहनत का ही असर है कि अब देशभर में मास्क की अहमियत घर-घर तक पहुंची है और भारत विश्वभर में वैक्सीन निर्यात करने की श्रेणी में शामिल हो सका.