बीते एक साल के दौरान सोने की कीमतों में तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद दुनियाभर के केंद्रीय बैंक हर महीने सोने के नेट खरीदार बने हुए थे. ये बैंक लगातार अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ाने में जुटे रहे. अप्रैल के दौरान जब अधिकतर समय गोल्ड का भाव 2000 डॉलर के ऊपर रहा तो उस दौरान दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने के नेट बिकवाल बन गए यानी ऊंचा भाव देखकर दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीदारी कम की लेकिन बिकवाली ज्यादा.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल के दौरान दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने सोने में नेट 71 टन की बिकवाली की है. चीन और पोलैंड जैसे कुछ बैंकों ने अपने रिजर्व के लिए सोना खरीदा जरूर है लेकिन तुर्किए और कजाकिस्तान की भारी बिकवाली की वजह से केंद्रीय बैंक अप्रैल के दौरान सोने के नेट बिकवाल ही बने हैं. अप्रैल में तुर्किए के केंद्रीय बैंक ने 81 टन और कजाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने 13 टन सोना बेचा है.
इन आंकड़ो को देखें तो तुर्किए को छोड़ अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों की खरीद और बिकवाली का आंकड़ा सामान्य है. तुर्किए के केंद्रीय बैंक की बड़ी बिकवाली की वजह वहां पर सोने के आयात पर लगा प्रतिबंध है. आयात पर प्रतिबंध के बावजूद बाजार में सोने की मांग को देखते हुए तुर्किए के केंद्रीय बैंक को अपने रिजर्व से सोना बेचना पड़ा है. इसके अलावा केंद्रीय बैंक के सामने सोना बेचने की कोई बड़ी वजह नहीं है लेकिन यह देखना जरूरी होगा कि आने वाले महीनों में तुर्किए का केंद्रीय बैंक अपनी बिकवाली बढ़ाता है या नहीं.
केंद्रीय बैंक का का बदला ट्रेंड?
उधर दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों की सोने में खरीद और बिकवाली के ट्रेंड में बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. चीन के केंद्रीय बैंक ने अप्रैल के दौरान अपनी गोल्ड खरीद को लगातार छठे महीने बनाए रखा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) का मानना है कि केंद्रीय बैंकों की गोल्ड खरीद का सिलसिला आने वाले महीनों में बरकरार रह सकता है और 2022 की तरफ 2023 के दौरान भी केंद्रीय बैंक सोने के नेट खरीदार बने रहेंगे. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का यह अनुमान अगर सही बैठता है तो सोने की कीमतों को इसका फायदा मिल सकता है. जाहिर है आने वाले दिनों में सोने में और तेजी देखी जा सकती है.