Gold Hallmarking: केंद्र सरकार के अनिवार्य हॉलमार्किंग के नियम को लागू होने में अब एक महीने से भी कम का वक्त रह गया है. सरकार ने 1 जून 2021 से गोल्ड ज्वैलरी की हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है.
हालांकि, मौजूदा कोविड संकट के चलते ज्वैलर्स इस नियम को लागू करने में मुश्किल पा रहे हैं. ऐसे में सरकार इस नियम को लागू करने की डेडलाइन को आगे बढ़ा सकती है.
कारोबारियों ने डेडलाइन बढ़ाने की मांग की
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखकर गोल्ड ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) की डेडलाइन को आगे बढ़ाने की मांग की है. साथ ही कैट ने मांग की है कि भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) पूरे देश में जल्द से जल्द हॉलमार्किंग केंद्र खोले.
गौरतलब है कि फिलहाल देश में केवल केवल 250 जिलों में ही हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) केंद्र मौजूद हैं. ऐसे में ज्वैलर्स के लिए इस नियम का पालन कर पाना मुश्किल हो रहा है. हाल में ही ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन (AIJGF) ने कैट के साथ इस मसले पर चर्चा की थी. इसमें देश के सभी राज्यों के सोने के कारोबार से जुड़े लोग और एसोसिएशंस ने हिस्सा लिया.
छोटे कारोबारियों पर पड़ेगा बुरा असर
इस बैठक में हॉलमार्किंग की अनिवार्यता को लागू करने की 1 जून 2021 की डेडलाइन को आगे बढ़ाने की मांग की गई है. गोल्ड ज्वैलर्स का कहना है कि देश में पर्याप्त संख्या में हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) केंद्र न होने और ब्यूरो के मानकों में जरूरी संशोधन न करने के चलते ज्वैलरी के कारोबार में लगे छोटे कारोबारियों के लिए धंधे में टिकना मुश्किल हो जाएगा.
इसके अलावा, मौजूदा वक्त में कोविड के चलते लगी पाबंदियों के वक्त इसे लागू करना कोई सही फैसला नहीं है.
ग्राहकों को हॉलमार्किंग से होगा फायदा
कैट ने पीयूष गोयल को भेजी चिट्ठी में लिखा है कि अनिवार्य हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) बेहद जरूरी कदम है और इससे ज्वैलरी कारोबार को रेगुलेट करने में मदद मिलने के साथ ही कंज्यूमर्स को भी फायदा होगा.
हॉलमार्किंग अनिवार्य होने से ग्राहक गोल्ड की शुद्धता को लेकर निश्चिंत हो सकते हैं. गोल्ड ज्वैलरी में कंज्यूमर्स के बीच भरोसा पैदा करने के लिहाज से ये एक बड़ा कदम है.
हॉलमार्किंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव
कैट ने हालांकि कहा है कि मौजूदा कोविड संकट और BIS के निर्धारित मानकों के मुताबिक उत्पादों की हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) करने का पर्याप्त ढांचा फिलहाल देश में मौजूद नहीं है. ऐसे में इसे लागू करने की डेडलाइन बढ़ाई जानी चाहिए.
खासतौर पर छोटे शहरों के ज्वैलर्स के लिए हॉलमार्किंग सेंटरों की गैरमौजूदगी के चलते इसे लागू कर पाना मुश्किल है.
ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक पंकज अरोड़ा ने कहा है कि BIS मानकों के अनुसार सोने हर के आइटम को हॉलमार्क किया जाना चाहिए और सभी सोने की वस्तुओं पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) अनिवार्य है.
हॉलमार्किंग के लिए 35 रुपये प्रति आइटम का चार्ज तय किया गया है. उन्होंने कहा कि लेकिन, ऐसा होता नहीं है. ऐसे में इसके लिए एक व्यवस्था होनी चाहिए.