क्या फीकी पड़ने लगी गोल्ड बॉन्ड की चमक?

वित्त वर्ष 2022-23 में पिछले साल की तुलना में 46 फीसद घटा निवेश

क्या फीकी पड़ने लगी गोल्ड बॉन्ड की चमक?

निवेश के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) अच्छा विकल्प साबित हो रहा है. दहाई अंक में रिटर्न देने के बाद भी गोल्ड बॉन्ड की चमक फीकी पड़ गई. पिछले साल के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेश में 46 की गिरावट दर्ज की गई. वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े के मुताबिक सरकारी गोल्ड बॉन्ड और स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के जरिए वित्त वर्ष 2023 में ₹7,100 करोड़ से ज्यादा जुटाए गए थे. जबकि वित्त वर्ष 2022 में यह कलेक्शन ₹13,100 करोड़ से अधिक था.

क्या है वजह?
इस गिरावट के पीछे दो मुख्य वजह बताई जा रही हैं. पहला तो यह कि वर्ष 2022-23 में सोने की कीमतों में सुधार नहीं हुआ है. गिरावट की दूसरी बॉन्ड की किस्तों का महंगा इश्यू प्राइस है. वित्त वर्ष 2021-22 में गोल्ड बॉन्ड की किस्तों के लिए इश्यू प्राइस ₹4,777-5,109 प्रति ग्राम के बीच था. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में चार किस्तों की कीमतें ₹5,041-5,611 के बीच थीं. इस दौरान उच्च आयात शुल्क की वजह भारत का सोने का आयात 24.15 फीसद गिरकर 35 अरब डॉलर का रह गया.

अंग्रेजी अखबार बिजनेस लाइन की खबर के मुताबिक आमतौर पर जुलाई-सितंबर तिमाही से सोने में सुधार देखने को मिलता है, लेकिन वित्त वर्ष 2023 के दौरान ऐसा नहीं हुआ. वहीं, शेयर बाजार ने मंदी के डर को खारिज करते हुए बढ़त जारी रखी, जिसका म्यूचुअल फंड पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकारी गोल्ड बॉन्ड योजना 8 साल की योजना है, इसलिए लोग छोटी अवधि के निवेश विकल्प को चुनना पसंद करते हैं और वे इसे इक्विटी और म्यूचुअल फंड में ढूंढ रहे हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट का मानना है कि निवेश के लिए एसजीबी शानदार विकल्प है. इसके संग्रह में भले ही गिरावट दर्ज हुई है लेकिन इस निवेश की चमक में कोई कमी नहीं आई है. इस निवेश में गोल्ड की तेजी और सालाना ब्याज के रूप में दोहरा लाभ मिलता है. साथ ही गोल्ड बॉन्ड का लाभ टैक्स फ्री है. ऐसे में अपने पोर्टफोलियों की जोखिम से सुरक्षा के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना चाहिए.

Published - June 30, 2023, 05:32 IST