स्वतंत्र आर्थिक सलाहकार और कंसल्टेंसी फर्म ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के मुताबिक 2033 तक चांदी की औद्योगिक मांग 46 फीसद बढ़ने का अनुमान है, जबकि ज्वैलरी और चांदी के बर्तन की मांग क्रमशः 34 और 30 फीसद बढ़ने का अनुमान है. रिपोर्ट में पाया गया है कि चांदी का उपयोग करने वाले कुछ महत्वपूर्ण उद्योगों को अगले दशक में ज्यादा उत्पादन होने का अनुमान है. एशिया में खासकर चीन में उत्पादन ज्यादा होने की सबसे ज्यादा संभावना है.
रिपोर्ट के मुताबिक चांदी की मांग में अनुमानित बढ़ोतरी से इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में उत्पादन बढ़ सकता है. अगले दशक में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में उत्पादन 55 फीसद बढ़ने की उम्मीद है. सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों में चांदी के इस्तेमाल से इस कैटेगरी को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट में ब्रेजिंग मिश्र धातुओं में चांदी की बढ़ती मांग का भी जिक्र किया गया है, 2022 में इस सेक्टर ने अकेले वैश्विक औद्योगिक मांग का 9 फीसद उपभोग किया था. ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि भारत अगले दस साल में ज्वैलरी की मांग में अग्रणी देश रहेगा. हालांकि रिपोर्ट में इस बात के भी संकेत मिलते हैं कि चीन की वजह से भारत चांदी की ज्वैलरी के मार्केट में अपना कुछ हिस्सेदारी खो सकता है. चांदी के बर्तनों की मांग में भारत अग्रणी बना रहेगा. हालांकि 2022 की तुलना में भारत की बाजार हिस्सेदारी कम रहेगी.