सोने की कीमतों में आए उछाल के चलते भारत में सोने के आयात में कटौती की जा सकती है. बैंक डीलरों और सरकारी अधिकारियों के मुताबिक मार्च में भारत का सोने का आयात पिछले महीने की तुलना में 90% से ज्यादा घट सकता है. यह कोविड काल के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर होगा. आयात में गिरावट से भारत को अपने व्यापार घाटे को कम करने और रुपए को समर्थन देने में मदद मिल सकती है.
दुनिया में सोने के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता भारत की ओर से इसके कम आयात से वैश्विक कीमतों में तेजी सीमित हो सकती है, जो इस महीने की शुरुआत में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी. इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों का कहना है कि भारत का सोने का आयात फरवरी में 110 मीट्रिक टन था, जो घटकर मार्च में 10 से 11 मीट्रिक टन होने की आशंका है. उन्होंने मार्च 2024 में सोने का आयात कोविड महामारी के बाद से सबसे कम होने की संभावना जताई. चूंकि कोविड काल में हवाई यातायात प्रतिबंधों ने आयात को सीमित कर दिया था और लॉकडाउन के कारण ज्वेलरी की दुकानें बंद हो गईं थी जिससे सोने का आयात कम हुआ था. ऐसी ही स्थिति इस समय भी है. मार्च महीने में ड्यूटी चुकाने के बाद सीमा शुल्क से नाम मात्र का सोना निकाला जा रहा है.
छूट के बावजूद ज्वैलर्स नहीं ले रहें सोना
एक एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक दो प्रमुख सोना आयात करने वाले सराफा डीलरों ने कहा कि कमजोर मांग के कारण उन्होंने मार्च में बहुत कम सोने का आयात किया. 35 डॉलर प्रति औंस से अधिक की छूट के बावजूद भी ज्वैलर्स खरीदारी नहीं कर रहे थे. भारत में इस महीने की शुरुआत में सोने की घरेलू कीमतें बढ़कर रिकॉर्ड 66,943 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई. इसने डीलरों को आधिकारिक घरेलू कीमतों पर लगभग 38 डॉलर प्रति औंस की छूट की पेशकश करने के लिए प्रेरित किया, जिसमें 15% आयात कर और 3% बिक्री शुल्क शामिल है, जो मार्च 2023 के बाद से सबसे ज्यादा है.
सोना महंगा होने से एक्सचेंज का बढ़ा ट्रेंड
सोने की मांग आम तौर पर मार्च में मजबूत रहती है क्योंकि ज्वैलर्स भारतीय शादी के मौसम के लिए स्टॉक कर लेते हैं. मगर ऊंची कीमतों के कारण ग्राहक पुराने आभूषणों को नए गहनों से बदल रहे हैं. एक्सचेंज का यह ट्रेंड चलने से ज्वैलर्स ने बैंकों से सोना खरीदना बंद कर दिया है. इसके अलावा रिफाइनरों ने भारी छूट देने में असमर्थता के कारण सोने का आयात लगभग बंद कर दिया है.