सोने में गिरावट: क्या अब भी सोवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदना है फायदेमंद या चुनें गोल्ड ETF?

अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़त और महामारी के बाद तेजी से आती रिकवरी के चलते सोने के दाम तेजी से नीचे आए हैं. क्या ऐसे में SGB खरीदना सही होगा?

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PTI

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सोने का भाव 8 महीने के निचले स्तर पर है. 2 मार्च 2021 को भी सोने के भाव में 679 रुपए की बड़ी गिरावट दर्ज की गई. सोने का भाव 44760 तक फिसल चुका है. लेकिन, भाव चाहे ऊपर जाए या फिर नीचे सोना ऐसी कमोडिटी है, जो हमेशा रिटर्न देता है. लोग हमेशा जानना चाहते हैं कि ऐसे में निवेश करना चाहिए या नहीं करना चाहिए. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की नई सीरीज शुरू होने के साथ निवेशक के तौर पर आपको डिजिटल या फिर इलेक्ट्रोनिक गोल्ड के नफा-नुकसान समझ लेने चाहिए.

कैसे अलग हैं निवेश के ऑप्शन?
डिजिटल गोल्ड या इलेक्ट्रोनिक गोल्ड में निवेश के तीन तरीके हैं. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB), गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स और गोल्ड फंड्स. तो समझते हैं आपके लिए कौन सा तरीका है बेस्ट.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड- ये बॉन्ड्स रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) जारी करता है. RBI ने हाल ही में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की 12वीं सीरीज लॉन्च की है. इसका भाव 4,662/gm तय किया गया है. SGB पर निवेशखों को सालाना 2.5% का ब्याज मिलता है. साथ ही रीडिम करते वक्त मार्केट वैल्यू के हिसाब से रिटर्न मिलता है.

गोल्ड ETFs- शेयर बाजार में किसी भी कंपनी स्टॉक की तरह ये भी लिस्टेड होते हैं. इन्हें बाजार के भाव पर खरीदा और बेचा जा सकता है. आप इन्हें खरीदने के लिए डीमैट अकाउंट के जरिए निवेश कर सकते हैं.

गोल्ड फंड्स- अगर आपके पास डीमैट अकाउंट नहीं है और गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं तो गोल्ड फंड्स आपके लिए सही विकल्प है. इन फंड्स को म्यूचुअल फंड्स की तरफ से ऑफर किया जाता है और ये फंड्स गोल्ड ETFs में निवेश करते हैं.

निवेशकों को कैसे चुनना चाहिए?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में आपका पैसा काफी लंबे समय के लिए लॉक हो जाता है. हालांकि, इन्हें निवेश के पांचवे साल के बाद सेंकेंडरी मार्केट में बेचा जा सकता है, लेकिन लिक्विडिटी के फ्रंट पर इसमें चुनौतियां भी हैं. FinFix की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी का मानना है कि SGB को मैच्योरिटी तक रखने पर कैपिटेल गेन्स में छूट मिलती है और ब्याज भी अच्छा होता है, लेकिन एग्जिट ऑप्शन और ऊंची कीमतों पर एग्जिट ऑप्शन जैसी कुछ खामियां भी हैं. SGB ​​के अलावा, म्यूचुअल फंड विशेष रूप से SIP के माध्यम से सोने में निवेश करने का एक आसान और ज्यादा सुविधाजनक तरीका मिलता है, जहां एक निवेशक हर महीने 1,000 रुपए भी निवेश कर सकता है. वहीं, गोल्ड म्यूचुअल फंड में SIP अमाउंट को कम करने, बढ़ाने या रोकने का ऑप्शन रहता है. इसके अलावा निकासी का भी ऑप्शन होता है, हालांकि, इस पर कैपिटल गेन्स चुकाना पड़ सकता है. निवेशक अपनी जरूरत के मुताबिक निवेश का ऑप्शन चुन सकते हैं.

अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़त और महामारी के बाद तेजी से आती रिकवरी के चलते सोने के दाम तेजी से नीचे आए हैं. एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता के मुताबिक, जब सोने की कीमतें लगातार नीचे गिर रही हैं, तो ऐसे में नए निवेशकों को गोल्ड ETFs में निवेश करना चाहिए. पिछले एक साल में गोल्ड ईटीएफ ने 27.50% का रिटर्न दिया है.

ऑप्टिमा मनी मैनेजर के पंकज मठपाल के मुताबिक, आपने चाहे किसी भी तरह के गोल्ड में निवेश किया हो लेकिन, मुनाफा तभी होगा जब खरीदे हुए दाम से ज्यादा में आप उसे बेचोगे. SIP रूट के जरिए या फिर अपने निवेश को लगातार बढ़ाते रहने से भी अच्छा रिटर्न मिल सकता है. इलेक्ट्रोनिक गोल्ड में निवेश करते वक्त गिरती कीमतों का फायदा उठाते रहना चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि आप अपने निवेश को लंबी अवधि तक चलाते रहें.

कौन सा गोल्ड ऑप्शन है सही.. वीडियो में एक्सपर्ट से समझिए पूरी बात

Published - March 2, 2021, 06:47 IST