Gold Mutual Fund में निवेश करें या नहीं?

गोल्‍ड फंड में लॉक-इन पीरियड के भीतर यूनिट की बिक्री करने पर एग्जिट लोड लग सकता है.

Gold Mutual Fund में निवेश करें या नहीं?

कार्तिक निवेश के मामले में म्‍यूचुअल फंड के फैन हैं. लेकिन हाल में गोल्‍ड की कीमतों में तेजी को देखकर उनका मन थोड़ा ललचा रहा है कि सोने में भी निवेश किया जाए. त्‍योहार सीजन भी आ गया है. लेकिन वे फिजिकल गोल्‍ड खरीदने और फिर उसे सुरक्ष‍ित रखने के झंझट से बचना चाहते हैं. उनके एक दोस्‍त हरीश ने उन्‍हें गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड के बारे में बताया, जिसमें उन्‍हें म्‍यूचुअल फंड और गोल्‍ड दोनों का फायदा मिलता है.. कार्तिक खुश हो गए.. वाह ये तो अच्‍छा रास्‍ता है.

लेकिन ये गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड होते क्‍या हैं, क्‍या कार्तिक को इसमें निवेश करना चाहिए?

गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड ऐसे म्‍यूचुअल फंड होते हैं जिनके एसेट का ज्‍यादातर हिस्‍सा गोल्‍ड से जुड़ी कंपनियों या साधनों में निवेश किया जाता है. यानी ये सीधे गोल्‍ड में निवेश नहीं करते.

ज्‍यादातर फंड गोल्‍ड ETFs निवेश करते हैं. कई फंड तो कॉर्प्‍स का 90 से लेकर 100 फीसद तक हिस्‍सा गोल्‍ड ETFs में लगा देते हैं.

गोल्‍ड को सदाबहार निवेश साधन माना जाता है. पिछले एक साल में गोल्‍ड ने करीब 19 फीसद का और तीन साल में करीब 17 फीसद का रिटर्न दिया है.

इकोनॉमी में तेजी का दौर हो या मंदी का हर समय गोल्‍ड एक सुरक्ष‍ित हेज यानी नुकसान से बचाने का अच्‍छा माध्‍यम माना जाता है. खासकर शेयर बाजार और इकोनॉमी में किसी हलचल के दौरान तो सोने में और भी तेजी दिखने लगती है.

अब यह जान लेते हैं कि गोल्‍ड फंड की कुछ कमियां या विशेषताएं क्‍या हैं?

फिजिकल गोल्‍ड के मुकाबले गोल्‍ड फंड में निवेश आसान है क्‍योंकि इसमें SIP के जरिए एक हजार रुपये से भी निवेश शुरू किया जा सकता है.

गोल्‍ड ETF के विपरीत गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट जरूरी नहीं होता. यानी इनमें आप फिजिकल फॉर्म भरकर भी निवेश कर सकते हैं.

गोल्‍ड फंड में लॉकइन पीरियड के भीतर यूनिट की बिक्री करने पर एग्जिट लोड लग सकता है. इसके अलावा इनमें निवेश करने की एक फीस देनी होती है जिसे टोटल एक्‍सपेंस रेश्‍यो कहते हैं. इस फीस की वजह से टोटल रिटर्न कम हो जाता है.

गोल्‍ड फंड का खर्च इसलिए भी ज्‍यादा होता है, क्‍योंकि ये ज्‍यादातर ईटीएफ में निवेश करते हैं और सभी ईटीएफ का अपना खर्च भी होता है.

अगर गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड में रिटर्न की बात करें तो पिछले एक साल और पांच साल में ज्‍यादातर गोल्‍ड फंड ने दो अंकों का अच्‍छा रिटर्न दिया है.

प्रमुख गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड्स का रिटर्न

फंड

एक साल का रिटर्न

तीन साल का रिटर्न

पांच साल का रिटर्न

Axis Gold Fund Growth

13.9

4

12.1

IDBI Gold Fund Growth

13.8

3.8

11.4

Invesco India Gold Fund Growth

13.2

3.4

11.6

SBI Gold Fund Growth

13.1

3.4

11.8

HDFC Gold Fund Growth

13.4

3.3

11.6

स्रोत: fincash, 13 अक्‍टूबर तक का रिटर्न फीसद में

गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड पर डेट फंड्स की तरह ही टैक्‍स लगता है. यानी चाहे लॉन्‍ग टर्म का बेनिफिट हो या शॉर्ट टर्म का, यह निवेशक की कुल इनकम में जुड़ेगा और निवेशक को अपने टैक्‍स स्‍लैब के मुताबिक ही टैक्‍स देना होगा.

अब सवाल उठता है कि क्‍या गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए?

टैक्‍स एवं इनवेस्‍टमेंट एक्‍सपर्ट बलवंत कहते हैं कि अगर किसी को डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करना है तो गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड एक अच्‍छा रास्‍ता तो है लेकिन उसे दूसरे बेहतर विकल्‍पों को भी देखना चाहिए. उदाहरण के लिए सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड इससे बेहतर विकल्‍प है. SGB पर टैक्‍स भी कम लगता है और 2.5 फीसद के अतिरिक्‍त गारंटीड ब्‍याज की वजह से कुल रिटर्न भी बेहतर मिल सकता है. इसी तरह अगर गोल्‍ड में ट्रेडिंग का फायदा उठाना है तो गोल्‍ड ईटीएफ में निवेश किया जा सकता है.

तो कुल मिलाकर कहें तो अगर आप गोल्‍ड का फायदा उठाना चाहते हैं और इसको स्‍टोर करने, सुरक्षि‍त रखने के झंझटों से बचना चाहते हैं तो गोल्‍ड म्‍यूचुअल फंड जैसे डिजिटल माध्‍यम से निवेश करना चाहिए. लेकिन आपके पास डिजिटल माध्‍यम में भी सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड और ईटीएफ जैसे दूसरे बेहतर विकल्‍प मौजूद हैं. यह भी ध्‍यान रहे कि यह निवेश आपके पोर्टफोलियो का 5 से 10 फीसद ही होना चाहिए.

Published - October 25, 2023, 07:52 IST