पैसों की जरूरत है तो गोल्ड लोन लेना बेहतर या पर्सनल लोन, समझें एक्सपर्ट्स से

Gold Loan: गोल्ड लोन लेते वक्त ध्यान दें कि इसके साथ कई और चार्ज शामिल होते हैं जैसे प्रोसेसिंग फीस, इवैल्यूएशन चार्ज, स्टैंपिंग चार्ज शामिल हैं.

Gold Loan:

ये लोन अधिक आसान भुगतान शर्तों के साथ भी आते हैं. लोन लेने वालों के पास समान मासिक किश्तों में भुगतान करने या एकमुश्त भुगतान करने का विकल्प होता है.

ये लोन अधिक आसान भुगतान शर्तों के साथ भी आते हैं. लोन लेने वालों के पास समान मासिक किश्तों में भुगतान करने या एकमुश्त भुगतान करने का विकल्प होता है.

Gold Loan: कोरोना महामारी के बीच किसी मेडिकल जरूरत या आर्थिक किल्लत की वजह से आपको पैसों की जरूरत पड़े तो क्या उससे निपटने के लिए आपकी तैयारी पक्की है? फाइनेंशियल एडवाइजर्स ऐसे ही सिर पर पड़ी मुसीबत के लिए इमरजेंसी फंड बनाने की सलाह देते हैं लेकिन अगर आपके पास इमरजेंसी फंड नहीं है तो क्या पर्सनल लोन लेना सही है या गोल्ड पर लोन लें?

पर्सनल लोन लेना आसान है लेकिन चुकाना मुश्किल. पर्सनल लोन पर आपको बैंक या NBFC के मुताबिक 9 से 12 फीसदी तक का ब्याज दर देना पड़ सकता है.

गोल्ड लोन और पर्सनल लोन में पहला फर्क ये है कि गोल्ड लोन सिक्योर्ड लोन है जबकि पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड. सिक्योर्ड लोन में आपने अपनी किसी संपत्ति को लोन की एवज में गिरवी रखा होता है. अनसिक्योर्ड लोन अक्सर जेब पर ज्यादा भारी पड़ते हैं क्योंकि बैंक इसके लिए आपसे कोई गारंटी नहीं लेते.

गोल्ड लोन की बारीकियां

Gold Loan: गोल्ड लोन आपको छोटी अवधि के लिए दिए जाते हैं. अक्सर ये 3 महीने से लेकर 3 साल तक की अवधि के लिए मिलते हैं. चुनिंदा बैंक और NBFC ही इन्हें 3 साल तक की अवधि के लिए देते हैं.

गोल्ड लोन लेते वक्त ध्यान दें कि इसके साथ कई और चार्ज शामिल होते हैं जैसे प्रोसेसिंग फीस, इवैल्यूएशन चार्ज, स्टैंपिंग चार्ज शामिल हैं.

गोल्ड ज्वेलरी अगर 18 से 22 कैरेट के बीच है तो उसपर कर्ज मिल जाता है वहीं बैंक के जारी गोल्ड कॉइन हैं तो इसके लिए 24 कैरेट की शुद्धता वाले 50 ग्राम के सिक्कों पर कर्ज मिलता है.

अधिक्तर सरकारी बैंकों में गोल्ड लोन पर ब्याज दर कम है और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों में दरें ज्यादा है.

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गोल्ड लोन क्यों बेहतर है?

फिनस्कॉलर्स वेल्थ मैनेजर्स की रेणु महेश्वरी कहती हैं कि अगर आप अपने निवेश तोड़कर रकम का इंतजाम नहीं कर पाते तभी किसी लोन के लिए कदम बढ़ाएं. ऐसा ना करने पर आप निवेश की कमाई से ज्यादा तो लोन पर ब्याज चुका देते हैं. लेकिन अगर आपको लोन लेने की जरूरत पड़े तो उसमें सबसे ज्यादा किफायती है गोल्ड लोन (Gold Loan) और इस ऐसेट की सुरक्षा के लिए आप रिपेमेंट की कोशिश में जुटे रहेंगे. वहीं दूसरी ओर गोल्ड लोन लेकर कोई ग्राहक कर्ज के जाल में उस तरह नहीं फंसता जिस तरह किसी अनसिक्योर्ड लोन में.

पर्सनल लोन लेने पर बैंक या NBFC आपको लगातार फोन करके रिपेमेंट के लिए कहते हैं जिससे ग्राहकों को परेशानी हो सकती है. रेणु के मुताबिक पर्सनल लोन की नियम और शर्तों के तहत इस कर्ज का प्रीपेमेंट या प्रीक्लोजर नहीं हो पाता. पर्सलनो लोन

रेणु के मुताबिक किसानों के लिए गोल्ड लोन (Gold Loan) लेना और किफायती है क्योंकि बैंक इसके लिए खास स्कीम देते हैं.

वहीं गोल्ड ETF पर लोन के लिए रेणु मना करती हैं. उनके मुताबिक गोल्ड ETF को लिक्विडेट कर इस रकम को इमरजेंसी में इस्तेमाल करें लेकिन इसपर लोन लेना उतना किफायती नहीं है.

फिनस्कॉलर्स वेल्थ मैनेजर्स की रेणु महेश्वरी कहती हैं कि प्लानिंग में सबसे पहला कदम है कि आप अपने लिए इमरजेंसी फंड तैयार रखें ताकि लोन लेने की स्थिति ना आए. अगर इमरजेंसी फंड खत्म हो जाता है तो अपने निवेश से पैसा निकाल सकते हैं. हालांकि, वे मानती हैं कि अगर मार्च-अप्रैल 2020 जैसी स्थिति हो जब इक्विटी में 40-50 फीसदी की गिरावट हो तब निवेश निकालने का फैसला सही नहीं रहता. ऐसी स्थिति में 40 फीसदी का घाटा लेने से बेहतर है कि आप लोन लेकर छोटी अवधि की जरूरतों को पूरा करें.

Published - May 11, 2021, 05:47 IST