Gold Investment- सोने के गहने पर भी लगता है टैक्स, निवेश से पहले जानें नियम

Gold Investment- आमतौर पर लोग सोने की खरीदारी के लिए ज्वेलर के पास जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि मार्केट में और भी कई विकल्प हैं.

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7.9 बिलियमन डॉलर का सोना देश में हुआ आयात

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सोना भारत में लोगों के लिए निवेश (Gold Investment) का पसंदीदा विकल्प है. शादी हो जन्मदिन या त्योहार, हम सब सोना खरीदना शुभ मानते हैं. आमतौर पर लोग सोने की खरीदारी (Gold Buying) के लिए ज्वेलर के पास जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि मार्केट में इसके अलावा भी कई विकल्प हैं. सिक्के, गहनों के अलावा गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, गोल्ड फंड या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Soverign Gold Bond) और डिजिटल रूप में भी खरीदे जा सकते हैं. कई बैंक और PayTm और फोन पे (PhonPe) जैसे मोबाइल वॉलेट (Mobile Wallet) भी डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) बेचते हैं. आइए समझते हैं कि सोने के अलग-अलग विकल्पों पर कैसे टैक्स लगता है.

फिजिकल गोल्ड पर टैक्स
भारत में सोने में निवेश (Gold Investment) के लिए आमतौर पर गहने और सिक्के ही खरीदे जाते हैं. अगर खरीदने के तीन साल बाद सोना बेचा जाता है तो इस पर 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और 4% सेस लगता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long term Capital gains) पर इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलता है. लेकिन अगर आपने तीन साल के अंदर सोना बेचा तो आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (Short term capital gains) टैक्स देना होगा. बेचने पर मिलने वाला लाभ आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाएगा और फिर स्लैब के मुताबिक टैक्स लगाया जाएगा.

गोल्ड ETF-गोल्ड म्युचुअल फंड पर टैक्स
गोल्ड ETF और गोल्ड फंड (Gold Funds) आज निवेश के लोकप्रिय तरीके हैं. गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) या म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में सोना इलेक्ट्रॉनिक तरीके से खरीदा और बेचा जाता है. इसमें सोना इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में आपके डीमैट खाते में जमा होता है. लेकिन टैक्स की बात करें तो ये बिलकुल फिजिकल गोल्ड जैसा ही है. अगर आप तीन साल से कम समय में इसे बेचते हैं तो लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इसे आपकी इनकम में जोड़कर स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा. लेकिन अगर ETF या फंड तीन साल या उससे अधिक समय के बाद बेचा जाता है, तो 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और 4% सेस लगता है. यहां भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा.

डिजिटल गोल्ड पर टैक्स
डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) पर भी टैक्स, ऊपर बताए गए दोनों विकल्पों के समान ही लगता है. अगर तीन साल से ज्यादा समय तक रखा सोना बेचते हैं तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. वहीं, अगर तीन साल की अवधि से पहले सोना बेचा तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक पंकज मठपाल (Pankaj Mathpal) का मानना है कि सॉवरने गोल्ड बॉन्ड (SGB) को सबसे अच्छा मानते हैं. पंकज कहते हैं, “सोने के सभी रूपों के बीच रिटर्न पर टैक्स के मामले में SGB सबसे बेहतरीन है. बॉन्ड से होने वाले लाभ पर पांच साल के बाद और मैच्योरिटी पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है.” निवेशकों को SGB में निवेश (Gold Investment) पर दो तरह से फायदा होता है. पहला, सोने की कीमत में तेज़ी से होने वाला फायदा और साथ ही सालाना 2.5% का ब्याज. बॉन्ड की कुल अवधि आठ वर्ष है लेकिन पांच साल के बाद निवेशकों को स्कीम से निकलने का विकल्प दिया जाता है.

स्कीम की एक अच्छी बात ये है कि मैच्योरिटी के समय निकाले गए पैसे पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains tax) नहीं लगता है. यही नहीं, पांच साल के बाद अगर आप बॉन्ड से निकलते हैं तो भी आप टैक्स की देनदारी से बच जाते हैं. लेकिन अगर आप पांच साल पूरा होने से पहले बॉन्ड से निकलते हैं तो आपको तीन साल के नियम के अनुसार टैक्स चुकाना होगा.

पहले और तीसरे साल के बीच एसजीबी बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (Short term capital gains) पर इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा. अगर आप तीन वर्ष के बाद और पांच वर्ष पूरा होने से पहले एसजीबी बेचते हैं तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन का भुगतान करना होगा. एसजीबी पर मिलने वाले ब्याज को व्यक्ति की इनकम में जोड़कर स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा.

क्या आप सोने में निवेश करें?
टैक्स एक्सपर्ट गौरी चड्ढा कहती हैं कि, “सोने और शेयर बाज़ार के बीच एक उल्टा रिश्ता है. इसलिए आर्थिक अनिश्चितता के दौर में शेयर बाज़ार गिरता है और सोने की कीमतें ऊपर जाती हैं. ऐसे में पोर्टफोलियो (Portfolio) में एक संतुलन बनाने के लिए आपको इसमें सोना जोड़ना चाहिए.” अगर आप सोने में निवेश करते हैं तो टैक्स का बोझ कम करने के लिए एक बात गांठ बांध लें कि निवेश कम से कम तीन साल के लिए ज़रूर होल्ड करें.

Published - April 5, 2021, 08:21 IST