गोल्ड हॉलमार्किंग आज से अनिवार्य, जानें क्या हुआ बदलाव

Gold Hallmarking Mandatory: BIS के मुताबिक, सोने के हर गहने पर GST के साथ ही 35 रुपये का हॉलमार्किंग चार्ज लगता है.

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जौहरी नए एचयूआईडी को स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि इसका सोने की शुद्धता से कोई लेना-देना नहीं है

जौहरी नए एचयूआईडी को स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि इसका सोने की शुद्धता से कोई लेना-देना नहीं है

Gold Hallmarking: सोने की शुद्धता को लेकर हमेशा उलझन में रहते हैं तो अब आपके लिए सोने की खरीदारी आसान होने वाली है. सोने की शुद्धता को लेकर मंगलवार 15 जून 2021 से सोने के गहनों की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी गई है.

अब सोने की ज्वेलरी 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट के ही मिलेंगे.

दरअसल, हॉलमार्किंग 1 जून से ही लागू होने वाली थी लेकिन इसे बढ़ाकर 15 जून किया गया था.

जो ज्वेलर हॉलमार्क वाले गहने बेचना चाहता है उसे बीआईएस – ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स में रजिस्ट्रेशन कराना होता है. ज्वेलर ये प्रक्रिया ऑनलाइन भी कर सकते हैं. इसके बाद उनकी ज्वेलरी की शुद्धता की जांच होती है. रजिस्ट्रेशन के बाद हॉलमार्क वाली ज्वेलरी की शुद्धता को लेकर कभी भी स्टोर पर जांच टीम आ सकती है.

हॉलमार्किंग पर कितना चार्ज?

बता दें कि BIS के मुताबिक, सोने के हर गहने पर GST के साथ ही 35 रुपये का हॉलमार्किंग चार्ज लगता है. गौरतलब है कि ये चार्ज गहने के वजन के मुताबिक तय नहीं होता. एक ज्वेलरी पर इतना ही चार्ज देना होगा चाहे उसका वजन कितना भी हो. वहीं, चांदी के गहने के लिए जीएसटी के साथ 25 रुपये प्रति ज्वेलरी बतौर हॉलमार्किंग चार्ज देना होता है.

हॉलमार्क है जरूरी

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स हॉलमार्किंग की स्कीम अप्रैल 2000 से चला रहा है. गौरतलब है कि फिलहाल सिर्फ 40 फीसदी गोल्ड ज्वेलरी की ही हॉलमार्किंग हो रही थी.

सरकार का कहना है कि सोने की शुद्धता की जांच करने में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, हॉलमार्किंग सेंटर्स पिछले 5 साल में 454 से बढ़कर 945 हो गए हैं. फिलहाल कुल 940 ऐसे सेंटर एक्टिव हैं. इन सेंटर्स में से कुल 84 सेंटर सरकारी सब्सिडी के तहत कई जिलों में चलाए जा रहे हैं.

सरकार दी जानकारी के मुताबिक इन सेंटर्स की मदद से एक साल में तकरीबन 14 करोड़ आभूषण या सामान की हॉलमार्किंग की जा सकती है.

ग्राहकों को पुराने गहनों को बेचने में नहीं होगी समस्या

सर्राफा बाजार के विशेषज्ञ मयंक श्रीवास्तव के मुताबिक गोल्ड हॉलमार्किंग के अनिवार्य होने के बावजूद लोगों को अपने पुराने गहनों को सुनारों के पास बेचने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी, क्योंकि हॉलमार्किंग की बाध्यता सिर्फ ज्वेलर्स के लिए है. आम आदमी अगर ज्वेलर्स को अपना गहना बेचना चाहे, तो उसके लिए ये बाध्यता नहीं होगी. हालांकि आम आदमी भी यदि चाहे तो अपने ज्वेलर के जरिए अपने गहनों की हॉलमार्किंग करवा सकते हैं. इसके लिए उन्हें एक निश्चित शुल्क अदा करना पड़ेगा.

भारत में क्या है स्थिति

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में 4 लाख ज्वेलर्स में से सिर्फ 35,879 के पास ही बीआईएस से सर्टिफिकेशन प्राप्त है.

ब्यूरो का कहना है कि हॉलमार्किंग से लोगों को शुद्धता से जुड़ी चिंता नहीं रहेगी और ग्राहकों के साथ सोने के गहनों की खरीदारी में धोखाधड़ी भी नहीं होगी क्योंकि शुद्धता गहने पर लिखी हुई आएगी.

आपको बता दें कि भारत में 700 से 800 टन सोना सालाना इंपोर्ट किया जाता है.

Published - June 15, 2021, 11:50 IST