सरकार ने एक जून से सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क (Hallmark) की अनिवार्यता कर दी है. वहीं, ज्वैलर्स को केवल 14, 18 और 22 कैरेट सोने के आभूषण बेचने की अनुमति होगी. उम्मीद है इस कदम से गोल्ड मार्केट में पारदर्शिता बढ़ जाएगी. गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) शुद्धता का प्रमाण माना जाता है. वर्तमान में यह स्वैच्छिक है. केंद्र ने नवंबर 2019 में घोषणा की थी कि 15 जनवरी 2021 से देश भर में सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) अनिवार्य कर दी जाएगी.
सरकार ने हॉलमार्किंग में बदलाव करने और भारतीय ब्यूरो में अपना पंजीकरण कराने के लिए ज्वैलर्स को एक साल से अधिक समय दिया था, लेकिन ज्वैलर्स ने COVID-19 महामारी के चलते समय बढ़ाने की मांग की थी. इस कारण समयसीमा को चार माह तक के लिए बढ़ा दिया गया था. उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेस में कहा, ज्वैलर्स को हॉलमार्किंग के लिए स्वीकृति देने में बीआईएस पहले ही पूरी तरह से सक्रिय है.
बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा, “जून से हम इसे नियम को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. अब तक, 34,647 ज्वैलर्स ने बीआईएस के साथ पंजीकरण किया है. उन्होंने कहा, “अगले एक-दो महीनों में हमें लगभग 1 लाख ज्वैलर्स के पंजीकरण की उम्मीद है.” इसमें पंजीकरण की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑटोमेटिक है.
1 जून से ज्वैलर्स को केवल 14, 18 और 22 कैरेट सोने के आभूषण बेचने की अनुमति होगी. BIS पहले ही अप्रैल 2000 से सोने के गहनों के लिए हॉलमार्किंग योजना चला रहा है, और वर्तमान में लगभग 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग हो चुकी है. BIS के अनुसार, अनिवार्य हॉलमार्किंग यह सुनिश्चित करेगी कि उपभोक्ता सोने के गहने खरीदते समय धोखा न खाएं और आभूषणों पर अंकित शुद्धता प्राप्त करें. भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है, जो मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करता है. देश सालाना 700-800 टन सोने का आयात करता है.