अलीगढ़ के किसान राजपाल को फसल से अच्छी कमाई हुई तो सोने की ज्वेलरी में निवेश कर दिया. तब 55,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर था सोना. दस तोले की ज्वेलरी के लिए उन्होंने मेकिंग चार्ज और जीएसटी जोड़कर छह लाख रुपए का भुगतान किया. पत्नी के इलाज के लिए अचानक पैसों की जरूरत पड़ी तो वह ज्वेलर के पास अपना सोना बेचने पहुंच गए. ज्वेलर ने हिसाब–किताब लगाकर कीमत बताई तो वह सन्न रह गए…
दरअसल, यह ज्वेलरी 20 कैरेट की थी जो राजपाल को 24 कैरेट के भाव पर बेची गई थी. अब सोने का भाव 60,000 रुपए है तो 20 कैरेट सोने का भाव 50,000 रुपए प्रति 10 ग्राम बना. इस पर भी ज्वेलर ने 10 फीसद का बट्टा काटा. मरता क्या न करता. राजपाल ने यह ज्वेलरी 4.5 लाख रुपए में बेच दी. यह कहानी सिर्फ राजपाल की ही नहीं है. खासकर गांव–देहात में ज्यादातर लोग अपनी बचत को ज्वेलरी खरीद कर सोने में निवेश करते हैं. जिन्हें आगे चलकर बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है. हालांकि अब गोल्ड ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग जरूरी है. इसमें हेराफेरी की गुंजाइश कम ही है. फिर भी कोई ज्वेलर बिना हॉलमार्क की ज्वेलरी बेच रहा है तो उसे खरीदने की गलती नहीं करनी चाहिए.
केडिया एडवाइजरी के फाउंडर अजय केडिया कहते हैं कि निवेश के लिए सोना एक अच्छा विकल्प है. लेकिन गोल्ड ज्वेलरी किसी भी सूरत में अच्छा विकल्प नहीं है. इस निवेश में फायदे की उम्मीद नहीं कर सकते. इसलिए गोल्ड ज्वेलरी में कभी निवेश नहीं करना चाहिए. सिर्फ जरूरत भर के लिए ही ज्वेलरी खरीदनी चाहिए. जो भी ज्वेलरी खरीदें वह हॉलमार्किंग होनी चाहिए. केडिया कहते हैं कि सोने में निवेश के लिए सॉवरन गोल्ड बांड सबसे अच्छा विकल्प है. अगर फिजिकल गोल्ड ही खरीदना है तो इसके लिए बैंक के जरिए सिक्का, बार या बिस्कुट के फार्मेट में खरीदें. अगर यह उत्पाद ज्वेलर से खरीद रहे हैं तो उसकी शुद्धता सुनिश्चित कर लें. साथ ही जितना सोना खरीद रहे हैं तो उसका पक्का बिल जरूर लें.
क्यों जरूरी है बिल
हालांकि सरकार ने अब गोल्ड ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है लेकिन कुछ ज्वेलर अब भी बिना हॉलमार्किंग के ज्वेलरी बेच रहे हैं. कुछ लोग जीएसटी बचाने के फेर में बिना बिल के ज्वेलरी खरीद लेते हैं. इस लालच की कीमत उन्हें आगे चलकर चुकानी पड़ सकती है. इसीलिए जब भी ज्वेलरी खरीदें तो उसका पक्का बिल जरूर लें. इससे आपको कई फायदे होंगे. आड़े वक्त में जब भी आप इस ज्वेलरी को बेचने जाएंगे तो ज्वेलर इसकी शुद्धता के मामले में मुकर नहीं सकता. बिल के साथ ज्वेलरी बेचने के दौरान ज्वेलर हेराफेरी करने से बचते हैं.
अगर आपने घर और सामान का बीमा करा रखा है तो चोरी अथवा प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इसका क्लेम कर सकते हैं. बिना बिल के बीमा कंपनियां क्लेम को स्वीकार नहीं करती हैं. यही स्थिति बैंक लॉकर पर लागू होती है. इसके अलावा आयकार विभाग की छापेमारी के दौरान बिल के साथ खरीदी गई ज्वेलरी को आमतौर पर जब्त नहीं किया जाता है. इसीलिए ज्वेलरी खरीदने के दौरान सस्ती और जीएसटी बचाने के लालच में फंसें. राजपाल जैसी स्थिति से बचने के लिए पक्का बिल जरूर लें.
मनी9 की सलाह
निवेश के लिए ज्वेलरी अच्छा विकल्प नहीं है. जब भी सोना खरीद रहे हैं वह हॉलमार्क होना चाहिए. इसका भुगतान कैरेट के हिसाब से ही करें. जो भी ज्वेलरी खरीदें उसका पक्का बिल जरूर लें. यह बिल आपके लिए भविष्य में काफी उपयोगी साबित हो सकता है.