जून की गर्मी सताने लगी है… रामू की चाय की टपरी अब लस्सी की रेहड़ी में बदल गई है. गुल्लू बैठा रामू की दुकान रखा रहा है… रामू बाजार से कुछ लेने गया है…. दूसरी तरफ से गुप्ता जी हांफते भागते चले आ रहे हैं…
गुल्लू – अरे गुप्ता जी कैसे पसीना पसीना हो रहे… लग रहा मैराथन दौड़कर आ रहे..
गुप्ता – गर्मी देख रहा है… चार कदम भी मैराथन लग रही… घर से रामू की दुकान लेना मुश्किल हो जाता.
गुल्लू – हममम ये बात तो सही है गुप्ता जी.. गर्मी तो गजब ढा रही.
गुप्ता जी – ये रामुआ कहा है… जब देखो गायब रहता है.
गुल्लू – बाजार तक गया है कुछ लाने.. बोल रहा था गुल्लू भईया तनिक देर बैठ जाओ हम जे गए और जे आए.
गुल्लू का इतना कहना ही था कि रामू साइकिल को हवाई जहाज बनाए चला आ रहा…. दूर से ही चिल्लाता है.
रामू – गुप्ता जी की जय हो…
गुप्ता जी – जयकारा ठीक है ये बता तू गया कहां था.
रामू – बस गुप्ता जी पीछे बर्फखाने तक बरफ (बर्फ) की सिल्ली लेने गया था.
गुप्ताजी – बड़ी देर लग गई तुझे पीछे गली तक जाने में.
रामू – क्या बताऊं गुप्ताजी… जो सिल्ली परसों तक 150 की थी आज 165 मांग रहा… उसी हुज्जत में अटक गया… महंगाई ने तो कतई मार रखा है..
गुप्ताजी – 20 किलो की सिल्ली पर 15 रुपए बढ़ गए तो कौन सी आफत आ गई… और गलत मत पढ़ महंगाई बढ़ नहीं रही अब कम हो रही…
रामू – गुप्ता जी गरीब आदमी के लिए तो 15 रुपए ही बहुत हैं…
गुप्ता जी – चुपचाच लस्सी बना बड़ा आया गरीब…
गुल्लू – रामू पहले गुप्ता जी को लस्सी पिला… गर्मी में इन्हे तेरी सही बात भी गलत लग रही…
गुप्ता जी – सही बात??
गुल्लू – हां गुप्ता जी महंगाई तो बढ़ ही रही इसमें गलत क्या है?
गुप्ताजी – कुछ पढ़ लिख लिया कर… आरबीआई गवर्नर, सरकार सब चिल्ला रहे महंगाई घट रही घट रही तुझे बढ़ती दिख रही.
गुल्लू – गुप्ताजी बड़े भोले हो गुप्ता जी तुम.
गुप्ता जी – क्या मतलब?
गुल्लू – अरे मेरे प्यारे गुप्ता जी महंगाई आंकड़े देखकर नहीं आती… चुपके से आकर ठप्पा मारती है… सरकार का काम है आंकड़े बताना… तुम तो बाजार में बैठे हो.
गुप्ताजी – क्या मतलब?
गुल्लू – अब देखो रामू को बर्फ महंगी मिली.. क्यों मिली? क्यों बर्फखाने वाले का बिजली बिल बढ़ गया… अब रामू लस्सी महंगी करेगा…
गुप्ताजी – अरे इसकी छोड़ तू.. ये बता सरकारी आंकड़े भी तो बाजार से भाव लेकर ही बनते हैं…
गुल्लू – बनते हैं.. लेकिन उन्हें खोलकर पढ़ना पड़ता है…
गुप्ताजी – क्या मतलब?
गुल्लू – मतलब महंगाई भले 5 फीसद के नीचे हो लेकिन अनाज की महंगाई अभी भी 10 पर्सेंट के ऊपर है..
गुप्ताजी – और वो क्यों? अबकी तो खूब गेहूं हुआ.
गुल्लू – हुआ लेकिन किसानों ने सरकार को गेहूं नहीं बेचा… बाजार में भाव MSP से ऊपर है… तो गुप्ताजी यह मान लो रोटी की महंगाई अभी लंबी चलेगी…
रामू – तभी चक्की वाला 35 रुपए किलो से नीचे आटा नहीं दे रहा.. पैकेट वाला तो और ऊपर चल रहा…
गुल्लू – और गुप्ता जी रोटी ही नहीं… चिंता है की दालें भी आगे महंगी हो सकती… दूध पहले से महंगा.. चीनी और वनस्पति भी इसी लाइन में हैं…
गुप्ता जी – चुप कर यार गुल्लू कित्ती निगेटिव बात करता है… सरकार और आरबीआई गवर्नर कुछ तो सोचकर बोल रहे होंगे….
गुल्लू – हमम बोल तो सही रहे हैं.. लेकिन जोर से ये बोलने के बाद की महंगाई घटी है धीरे से कुछ और भी कहा था….
गुप्ता जी – क्या कहा था?
गुल्लू – यही ही मानसून बिगड़ा तो महंगाई और चुभेगी…
रामू – अरे गुल्लू भइया अब तुम गुप्ता जी का पारा और न बढ़ाओ… लो गुप्ताजी तुम लस्सी पियो ठंडी ठंडी और निकालो 40 रुपए
गुप्ता – 40 रुपए?????????
गुल्लू – हां बर्फ महंगी हो गई न…
चल हटटटटटटटटटटटट
हाहाहाहाहाहाहाहााह