पिछले कुछ वर्षों से डेबिट कार्ड का इस्तेमाल लगातार घटता जा रहा है. खासकर कोविड के बाद से ऐसा हो रहा है. इसकी एकमात्र वजह है यूपीआई (UPI). बैंक शिकायत कर रहे हैं कि उनका डेबिट कार्ड का कस्टमर UPI की तरफ चला गया है और इससे उनकी कमाई पर असर पड़ा है. उन्हें पेमेंट एग्रीगेटर्स और वीजा-मास्टरकार्ड से जो पैसे मिलते थे, वह बंद हो गए हैं.
दरअसल, कोविड के दौरान लोगों ने कॉन्टेक्टलेस पेमेंट मेथड का इस्तेमाल करना शुरू किया और इसके आदी हो गए. अब तो UPI के बिना जीवन की शायद कल्पना ही नहीं कर सकते. आंकड़ों के चश्मे से देखें तो रिजर्व बैंक और नेशनल पेमेंट कारपोरेनश ऑफ इंडिया लि. (NPCIL) के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में जहां डेबिट कार्ड से कुल 7,200 अरब रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ, वहीं UPI के मामले में ट्रांजैक्शन वैल्यू 1,39,200 अरब रुपए थी.. इससे साफ पता चलता है कि UPI पेमेंट का सबसे पसंदीदा माध्यम बन गया है और लोगों ने डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कम दिया है.
इसे आप एक आसान आंकड़े से समझ सकते हैं. बीते वित्त वर्ष में डेबिट कार्ड के जरिए खर्च किए गए हर 100 रुपए की तुलना में लोगों ने UPI से 1,900 रुपए से ज्यादा खर्च किया. ट्रांजैक्शन वॉल्यूम के लिहाज से देखें तो पिछले कुछ वर्षों में डेबिट कार्ड से होने वाले ट्रांजैक्शन की संख्या में लगातार कमी आई है. जहां वित्त वर्ष 2020-21 में यह संख्या 4 अरब थी, 2021-22 में ये घटकर 3.9 अरब और 2022-23 में 3.4 अरब हो गई. इसके उलट वित्त वर्ष 2022-23 में UPI से 83.8 अरब ट्रांजैक्शन हुए. यहां एक और आंकड़ा गौर करने लायक है. एसबीआई (SBI) की इको रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पहले जहां व्यक्ति एक साल में औसतन 16 बार एटीएम जाता था. अब वह सिर्फ 8 बार ही एटीएम का इस्तेमाल कर रहा है.
भविष्य में और बढ़ेगा UPI का इस्तेमाल
कंसल्टिंग कंपनी PWC India की एक रिपोर्ट में मुताबिक 2026-27 तक देश में UPI के जरिए हर दिन 1 अरब ट्रांजैक्शन होंगे. UPI ट्रांजैक्शंस में वृद्धि के साथ 2026-27 तक कुल डिजिटल ट्रांजैक्शंस में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 90 फीसदी तक हो जाएगी. वित्त वर्ष 2022-23 में यह हिस्सा 75 फीसदी रहा था..
क्यों घट रहा है डेबिट कार्ड का इस्तेमाल?
UPI में बहुत छोटे पेमेंट भी हो रहे हैं. साथ ही 50,000 रुपए और एक लाख रुपए जैसे बड़े पेमेंट भी किए जा रहे हैं. स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल से UPI पेमेंट को बढ़ावा मिला है. डेबिट कार्ड के उलट शॉपिंग के लिए वॉलेट-पर्स लेकर जाने का झंझट नहीं होता. छोटी-छोटी दुकानों पर क्यूआर कोड लगा है जिससे कुछ सेकेंड में ट्रांजैक्शन हो जाता है. कस्टमर को UPI के इस्तेमाल के लिए कोई फीस नहीं देनी होती. इसके उलट डेबिट कार्ड के लिए उन्हें बैंकों को एक सालाना फीस चुकानी होती है. देश में अब PoS टर्मिनल की तुलना में क्यूआर ज्यादा हैं. वहीं मर्चेंट के हिसाब से देखें तो क्यूआर लगाना आसान है, सुविधाजनक और सस्ता है. इंस्टेंट पेमेंट, आसान पेमेंट कलेक्शन, क्विक सेटलमेंट, लो कॉस्ट और हाई सिक्योरिटी जैसे कारणों से मर्चेंट UPI को तरजीह दे रहे हैं.
तो ये वो तमाम वजहें हैं जिनकी वजह से UPI का इस्तेमाल बढ़ रहा है और डेबिट कार्ड की चमक फीकी पड़ती जा रही है. भविष्य को लेकर जो कुछ कहा जा रहा है, उससे भी लगता है कि डेबिट कार्ड अपने एंड गेम के करीब है.