फिनटेक ऐप्‍स क्‍यों डीमैट अकाउंट खोलने पर देती हैं जोर?

डायरेक्‍ट म्‍यूचुअल फंड प्‍लान फिनटेक ऐप्‍स के लिए ज्‍यादा रेवेन्‍यू जनरेट नहीं कर पाते हैं, इसलिए वे क्रॉस सेलिंग करते हैं

फिनटेक ऐप्‍स क्‍यों डीमैट अकाउंट खोलने पर देती हैं जोर?

इन दिनों म्‍यूचुअल फंड में लोगों की दिलचस्‍पी बढ़ती जा रही है, लेकिन क्‍या कभी आपने ध्‍यान दिया कि फिनटेक कंपनियां व ऐप्‍स निवेशकों को म्‍यूचुअल फंड में निवेश के समय डीमैट अकाउंट खुलवाने को कहती हैं. जबकि म्‍यूचुअल फंड में किसी एएमसी या पंजीकृत एमएफ वितरक के माध्यम से सीधे निवेश किया जा सकता है. दरअसल जानकारों का कहना है कि डायरेक्‍ट म्‍यूचुअल फंड प्‍लान फिनटेक ऐप्‍स के लिए ज्‍यादा रेवेन्‍यू जनरेट नहीं कर पाते हैं, इसलिए वे क्रॉस सेलिंग करते हैं. क्रॉस सेलिंग का उपयोग राजस्व बढ़ाने और कस्टमर की संतुष्टि को बढ़ाने के लिए किया जाता है. इसका मकसद मौजूदा कस्टमर रिलेशनशिप को कैपिटलाइज करना और उन्‍हें उनकीरुचि से जुड़े संबंधित प्रोडक्‍ट या सर्विसेज बेचना है. ये रणनीति कंपनी को अतिरिक्त सेल्स बढ़ाने में मदद करती है. यही वजह है कि वे नए निवेशकों को दूसरे सेग्‍मेंट में रजिस्‍टर होने एवं डीमैट अकाउंट खोलने को कहते हैं.

जानकारों का कहना है कि डायरेक्‍ट म्‍यूचुअल फंड ऐप्‍स यूजर को ट्रांजेक्‍शन प्‍लेटफॉर्म के जरिए यूजर को म्‍यूचुअल फंड खरीदने-बेचने की सुविधा देते हैं. उदाहरण के तौर पर वे कार्वी और काम्‍स जैसी कंपनी के रजिस्‍ट्रार और ट्रांसफर एजेंट की मदद ले सकते हैं. यूजर वैकल्पिक तौर पर एक्‍सचेंजों की ओर से संचालित प्‍लेटफॉर्म – बीएसई स्‍टार म्‍यूचुअल फंड और एनएसई म्‍युचुअल फंड की मदद ले सकते हैं.

निवेशक सीधे तौर पर पर भी इन एक्‍सचेंज प्‍लेटफॉर्म से सीधे म्‍यूचुअल फंड खरीद सकते हैं, चूंकि ये प्‍लेटफॉर्म यूजर फ्रेंडली नहीं है, ऐसे में फिनटेक कंपनियां निवेशक का काम आसान बनाती हैं. वे ऐसी व्‍यवस्‍था करते हैं जिससे निवेशक आसानी से म्‍यूचुअल फंड में निवेश कर सके. इसके लिए फिनटेक ऐप्‍स यूजरफ्रेंडली इंटरफेस का सहारा लेते हैं. मगर इस व्‍यवस्‍था को चलाने के लिए ऐप्‍स को रजिस्‍टर्ड इंवेस्‍टमेंट एडवाइजर या ब्रोकर लाइसेंस की जरूरत पड़ती है. शुरुआती दौर में ज्‍यादातर ऐप्‍स रजिस्‍टर्ड इंवेस्‍टमेंट एडवाइजर लाइसेंस व कोड से शुरुआत करते हैं, जो धीरे-धीरे बाद में ब्रोकर कोड की ओर स्विच कर जाते हैं. ब्रोकर कोड चाहते हैं कि ऐप्‍स क्‍लाइंट्स से एडवाइजरी फीस लें, जबकि ऐप्‍स ऐसा नहीं चाहते हैं. दूसरी वित्‍तीय सेवाओं जैसे स्‍टॉक्‍स, एफएंडओ और मार्जिन लेंडिंग जैसी सुविधाओं को लाभ लेने के लिए यूजर्स को केवाईसी नियमों का पालन करना होगा. इन चीजों से बचने के लिए फिनटेक ऐप्‍स ब्रोकर कोड में शिफ्ट कर जाती है और निवेशकों को दूसरी एड ऑन सर्विसेज मुहैया कराने लगती हैं. इससे उन्‍हें मुनाफा होता है. चूंकि ब्रोकर कोड के लिए डीमैट अकाउंट खुलवाना जरूरी होता है. तभी म्‍यूचुअल फंड में निवेश किया जा सकता है. ऐसा करने से ऐप्‍स को क्रॉस सेलिंग में आसानी होती है. वे अपनी कमाई बढ़ाने के लिए इक्विटी, एफएंडओ जैसे अन्‍य वित्‍तीय प्रोडक्‍ट बेचने की कोशिश करते हैं. चुनिंदा फिनटेक ऐप्‍स जैसे ग्रो, पेटीएम मनी और आईएनडी मनी कुछ इसी तरह से काम करती हैं.

वहीं जानकारों का कहना है कि लोगों को किसी भी ऐसी चीज में निवेश नहीं करना चाहिए जो किसी की ओर से बताई गई हो और आपको इसके बारे में पूरी जानकारी न हो. इसलिए निवेश से पहले यह देख लें कि कौन-सा प्रोडक्‍ट आपके लिए उपयोगी है और क्‍या ये आपके पोर्टफोलियो की जरूरतों को पूरा करेगा या नहीं. इस मामले में जून 2023 में सेबी ने कहा कि ऐप्‍स एमसी के साथ कमीशन के लिए पार्टनरशिप कर सकते हैं या या एम्‍फी के साथ के साथ गठबंधन कर सकते हैं. वे एक तय रकम तय करके इंवेस्‍टरों से फीस ले सकते हैं. जो ऐप्‍स डायरेक्‍ट प्‍लान ऑफर करती हैं उन्‍हें एग्‍जीक्‍यूशन ऑनली प्‍लेटफॉर्म कहते हैं.

Published - September 21, 2023, 05:55 IST