निवेदिता काफी समय से एक नया क्रेडिट कार्ड लेने की सोच रही हैं. लेकिन अब तक नहीं लिया. हर बार ये सोचकर रुक जाती हैं कि एक और क्रेडिट कार्ड लिया तो उनका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाएगा. क्या निवेदिता का सोचना सही है?
बहुत सारे लोगों के पास तो एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड हैं, कइयों के पास तो 3-4 कार्ड होते हैं, तो निवेदिता के लॉजिक से तो उनका क्रेडिट स्कोर बहुत ही बुरा होगा? तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. निवेदिता जो सोच रही हैं, वो एक मिथ है.. ऐसा नहीं होता.. क्रेडिट कार्ड का सही से इस्तेमाल करना जरूरी है, ऐसा करते रहेंगे, तो 2 क्या 5 कार्ड हों, तो भी क्रेडिट स्कोर खराब नहीं होगा, उल्टा बेहतर ही होगा. क्रेडिट कार्ड से जुड़े ऐसे कई मिथ हैं, जिनकी वजह से लोग क्रेडिट कार्ड का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते. क्या हैं वे मिथ, चलिए जानते हैं.
क्या है क्रेडिट कार्ड का पहला मिथ?
क्रेडिट कार्ड का पहला मिथ तो यही है जिसे निवेदिता सच मान बैठी हैं. यानी एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड होने पर क्रेडिट स्कोर खराब होता है. बैंक दरअसल Credit Utilisation’s Ratio यानी CUR पर ध्यान देते हैं. ये आपके कार्ड पर मिली क्रेडिट लिमिट और आपने कितने क्रेडिट का इस्तेमाल किया है, उनका रेशियो है. अगर एक कार्ड पर इस रेशियो का अधिकतम इस्तेमाल कर लिया तो इसका आपकी creditworthiness यानी कर्ज लेने की क्षमता को लेकर निगेटिव मैसेज जाता है. अगर आपके पास एक से ज्यादा कार्ड हों तो आप अपना खर्च बांट सकते हैं. इससे हर कार्ड पर ये रेशियो सही लिमिट में बना रहेगा. तो एक से ज्यादा कार्ड होना कोई बुरी चीज नहीं है.
क्रेडिट स्कोर खराब होने की वजह
दूसरा मिथ ये है कि अगर क्रेडिट कार्ड का पूरा बिल एक साथ पे करते रहें तो लेट भी पेमेंट करने पर कोई दिक्कत नहीं आएगी. सचाई ये है कि ड्यू डेट पर बिल पेमेंट में चूकने पर आपका क्रेडिट स्कोर खराब होगा, भले ही आप बाद में फुल अमाउंट क्यों न पे करें. इसे अच्छा क्रेडिट बिहेवियर नहीं समझा जाता, इसके अलावा आपको लेट पेमेंट फीस और इंटरेस्ट भी भरना होगा.
मिनिमम ड्यू अमाउंट पे करने से क्या होता है?
तीसरा मिथ ये है कि हर महीने मिनिमम ड्यू अमाउंट पे करने से काम चल जाएगा. ये क्रेडिट कार्ड से जुड़ा सबसे बड़ा मिथ है और बहुत सारे लोग ऐसा करते हैं. मिनिमम ड्यू पे करने से आप केवल लेट पेमेंट पर लगने वाली पेनाल्टी से बच जाएंगे लेकिन बाकी के आउटस्टैंडिंग बैलेंस पर आपसे इंटरेस्ट वसूला जाएगा. ये इंटरेस्ट ट्रांजैक्शन की तारीख से लगाया जाएगा. इससे आपके क्रेडिट कार्ड का बिल काफी बढ़ सकता है.
लिमिट को लेकर जान लें ये बात
चौथा मिथ ये है कि क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ने से आपका खर्च बढ़ जाएगा. सचाई ये है कि अगर बैंक आपकी लिमिट बढ़ाता है तो ये अच्छी बात है.. इसका मतलब है कि आप अपने क्रेडिट कार्ड का काफी जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल करते रहे हैं तो बैंक आपको एक अच्छा कस्टमर मानता है. जैसा हमने पहले भी बताया, ज्यादा क्रेडिट लिमिट से आपको अपना credit utilisation ratio कम रखने में मदद मिलेगी.
क्या एनुअल फीस लेने वाले कार्ड होते हैं महंगे?
पांचवां मिथ है कि एनुअल फीस लेने वाले कार्ड महंगे होते हैं. सचाई ये है कि जिन कार्ड में एनुअल फीस लगती है, वहां आमतौर पर ज्यादा रिवॉर्ड पॉइंट मिलते हैं और दूसरे ब्रांड्स के साथ टाई-अप होता है जिससे आपको डिस्काउंट और ऑफर मिलते हैं. वहीं एयरपोर्ट पर फ्री लाउंज एक्सेस भी मिलता है. इसके अलावा कई कार्ड में सालाना एक तय अमाउंट खर्च करने पर एनुअल फीस हटा भी दी जाती है.
क्रेडिट कार्ड बंद कराने से क्रेडिट स्कोर होगा बेहतर?
एक और मिथ ये है कि अगर आपने क्रेडिट कार्ड बंद कराया तो आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर हो जाएगा. ऐसा बिल्कुल नहीं होता. सचाई ये है कि क्रेडिट कार्ड कैंसल करने पर बैंक के पास आपका क्रेडिट एसेस करने में दिक्कत होगी, इससे आपको लोन मिलने में मुश्किल आ सकती है.
इसलिए इन मिथ पर ध्यान न दें. क्रेडिट कार्ड 1 हो या 4, उसका सही से इस्तेमाल करना जरूरी है. सही इस्तेमाल से आपकी फाइनेंशियल हेल्थ सही बनी रहेगी. इसलिए जरूरी बस ये है कि आप पूरी सूझ-बूझ के साथ कार्ड का इस्तेमाल करें.