कोविड-19 के बीच हेल्थकेयर कॉस्ट में इजाफे को देखते हुए लोग अपनी बीमा रकम को बढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए जहां आप अपनी मौजूदा पॉलिसी की बीमा राशि बढ़ा सकते हैं, वहीं व्यापक कवरेज देने वाली एक अलग योजना का विकल्प भी चुन सकते हैं. यदि आपके पास कई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां हैं, तो आप इंश्योरेंस रेगुलेटर के मुताबिक, एक ही क्लेम के लिए कई पॉलिसियों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
यदि आप कई पॉलिसियां लेने की योजना बना रहे हैं, तो प्रपोजल फॉर्म भरते समय इसका खुलासा जरूर करें. यह जरूरी है क्योंकि दोनों बीमाकर्ताओं को अन्य पॉलिसी के बारे में सूचित करना आवश्यक है वरना इसका खुलासा न करने के आधार पर आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
कॉन्ट्रीब्यूशन क्लॉज
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने 2013 में मल्टीपल पॉलिसियों के क्लेम से संबंधित नियमों में बदलाव किया है. 2013 से पहले, प्रत्येक बीमाकर्ता को बीमा राशि के अनुपात में क्लेम अमाउंट सेटल करना पड़ता था. नया रेगुलेशन काफी आसान है.
मौजूदा नियमों के दो हिस्से हैं. सबसे पहला, यदि क्लेम अमाउंट बीमा राशि से कम है, तो आप अपनी पसंद के बीमाकर्ता से पूरे अमाउंट का क्लेम कर सकते हैं. यदि क्लेम अमाउंट बीमित राशि से अधिक है, तो कॉन्ट्रीब्यूशन क्लॉज लागू होगा, जहां प्रत्येक बीमाकर्ता को बीमा राशि के अनुपात में क्लेम का सेटलमेंट करना होगा.
रिया इंश्योरेंस ब्रोकर्स के निदेशक एस के सेठी के अनुसार, “एक कंपनी से पूरी राशि का क्लेम किया जा सकता है, जो सम एश्योर्ड लिमिट पर निर्भर है. मान लीजिए कि एक पॉलिसी में रूम रेंट कैपिंग नहीं है और दूसरे में कैपिंग है, तो ऐसी पॉलिसी में जाने का सुझाव दिया जाता है जिसमें कोई कैपिंग नहीं है.”
कैशलेस क्लेम
कैशलेस क्लेम के मामले में पहली इंश्योरेंस कंपनी के साथ क्लेम का सेटलमेंट करें और क्लेम करने के लिए मांगे गए सभी डॉक्यूमेंट्स लगाएं. आप या तो बिल को स्प्लिट कर सकते हैं या डिस्चार्ज होने पर सभी बिलों की कॉपियां ले सकते हैं, क्योंकि आपको बैलेंस अमाउंट के रीइंबर्समेंट के लिए इन सभी बिल्स की जरूरत होगी.
सेठी समझाते हैं , मान लीजिए कि पॉलिसी 1 में 2 लाख रुपये का SI है और पॉलिसी 2 में 3 लाख रुपये का SI है. जैसा कि पॉलिसी 1 में कोई कैपिंग नहीं है, इसलिए पॉलिसी 1 के लिए जाना चाहिए और पॉलिसी 2 बीमाकर्ता को इसके बारे में सूचित करने की कोई जरूरत नहीं है. जब यह क्लियर हो जाए कि बिल 2 लाख रुपये से अधिक हो जाएगा तो बीमाकर्ता 2 को सूचित करना बेहतर होगा.
मान लीजिए कि बिल 2.70 लाख रुपये है तो किस तरह इसका क्लेम किया जा सकता है. एक ऑप्शन ये है कि बीमाकर्ता 1 से 2 लाख रुपये का बिल जारी करवाएं. 70,000 रुपये के बैलेंस अमाउंट के लिए एक बिल इश्यू किया जा सकता है जो ओरिजिनल होना चाहिए और यह बीमाकर्ता2 को दिया जा सकता है. यदि बिल 2.70 लाख रुपये का है तो फोटोकॉपी अस्पताल से ही सत्यापित (अटेस्टेड) करवाएं ताकि बीमाकर्ता2 इसकी ओरिजिनल कॉपी ले सके और क्लेम पास कर सके.
रिम्बर्समेंट क्लेम
यहां आप अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद क्लेम सेटलमेंट के लिए अप्लाई करते हैं. आपको पहले बीमाकर्ता को सभी ओरीजनल बिल जमा करने होंगे. एक बार क्लेम का भुगतान हो जाने के बाद, आपको अस्पताल के सभी बिलों की फोटोकॉपी के साथ क्लेम सेटलमेंट समरी मिलती है. बकाया अमाउंट के लिए आपको इन दस्तावेजों को दूसरी बीमा कंपनी को जमा करना होगा.
कई पॉलिसी होने से कागजी कार्रवाई बढ़ सकती है जिससे क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल लगने लगती है. जल्दी सेटलमेंट के लिए एक पॉलिसी से क्लेम करना हमेशा आसान और सरल होता है. हालांकि, यदि कोई विकल्प नहीं है, तो बाद के प्रोसेस के दौरान होने वाली परेशानी से बचने के लिए सभी अटेस्टेड फोटोकॉपी को एक ही जगह पर रखें.