केन्द्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों, ओटीटी प्लेटफार्म (OTT Platforms), इंटरनेट आधारित बिजनेस और डिजिटल न्यूज के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. गुरुवार को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावडेकर ने बताया कि भारत में बिजनेस करने के लिए सभी सोशल मीडिया कंपनियों का स्वागत है, लेकिन (OTT Platforms) सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए उनकी जवाबदेही तय होना भी जरूरी है. इसके लिए सरकार ने नए नियम तैयार किए हैं, जो तीन महीने में लागू होंगे. आज के समय में नई गाइडलाइन कितनी जरूरी थीं, इस बारे में जाने माने निर्माता, निर्देशक सुभाष घई और वरिष्ठ पत्रकार शेखर अय्यर से विशेष चर्चा की.
ओटीटी के लिए कितना जरूरी है गाइडलाइन ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platforms) के लेकर बनाई गई गाइडलाइन और उनके प्रभाव पर निर्माता निर्देशक सुभाष घई कहते हैं कि ये एक तरह से जरूरी और ऐतिहासिक फैसला लिया गया है. पिछले कुछ वर्षों से हर नागरिक इस तरह की गाइडलाइन को महसूस कर रहा है. जो भी गाइडलाइन हैं उसे अगर एक नागरिक की तरह से सोचकर देखें, सरकार की तरह नहीं. हमें क्या चाहिए एक परिवार, अच्छा नागरिक, प्रेम. लेकिन जब शांति भंग होने लगे, ब्लेम गेम होने लगे, आपस में घृणा फैलने लगे तो ऐसे में इसे रोकने के लिए सरकार को आगे आना ही चाहिए.
सुभाष घई कहते हैं कि अब तक देखें तो लोग सिर्फ यही कह रहे थे कि ज्यादा हो रहा, लोग बेचैन हो रहे थे. ऐसे में इस गाइडलाइन एक उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं कि हमें सड़कें चाहिए, गाड़ियां चाहिए, स्मूथ ट्रैफिक चाहिए, लेकिन अगर सिग्नल न हो या रेड सिग्नल न हो तो कभी भी गाड़ियां एक दूसरे को आने-जाने ही न दें और वहां फिर स्थिति कैसी हो गई समझ सकते हैं. इसलिए सरकार का महत्वपूर्ण फैसला है.
अभी तक सेंसर बोर्ड के तहत श्रेणी होती हैं, टीवी, सिनेमा नियमों के तहत चलते हैं, वहीं डिजिटल मीडिया में ओटीटी के लिए पांच श्रेणियां दी गई हैं, क्या ये भी महत्वपूर्ण हैं. इस पर सुभाष घई कहते हैं आज के समय के लिए ये जरूरी है और सबसे जरूरी बात इसकी मांग की जा रही थी,तभी सरकार ने ऐसा नियम बनाया है. अभी 3 महीने दिए गए हैं कि जिसमें सरकार स्टेक होल्डर आदि से बात करेगी सलाह लेगी. जिसके बाद इसे पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा.
ओटीटी प्लेटफार्म के लिए बनाई गई पांच श्रेणी क्या है केन्द्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म को भी स्वयं के लिए रेगुलेशन तैयार करना होगा, जिससे बच्चों को अश्लील सामग्री से बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि कौन से प्रोग्राम 13 साल से कम उम्र के बच्चे देखेंगे, इस बारे में अभिभावकों को पूरे अधिकार होने चाहिए. इसी के साथ 16 साल के ऊपर और वयस्कों के लिए कैटेगरी बनानी होगी. ऐसा सिस्टम तैयार होना चाहिए जिससे वयस्कों के कार्यक्रमों को बच्चों के लिए लॉक किया जा सके.
क्यों बनाई गई श्रेणी उन्होंने बताया कि सेल्फ रेगुलेशन के नियम तैयार करने के लिए दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में बैठकें की गई हैं. सोशल मीडिया से विचार विमर्श के बाद केन्द्र सरकार ने स्व नियामक नियमों के लिए मसौदा तैयार कर लिया है और अब इसे सोशल मीडिया को लागू करना है. उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया से संबंधित शिकायतों के लिए प्रेस काउंसिल है, टीवी के लिए प्रोग्राम कोड है लेकिन सोशल मीडिया से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी. इसलिए इस मसौदे को आज जारी किया गया है.
काफी समय से चल रहा था काम सोशल मीडिया को लेकर जारी की गई गाइडलाइन पर वरिष्ठ पत्रकार शेखर अय्यर कहते हैं कि सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की है वो आज अचानक नहीं है बल्कि इसे लेकर काफी समय से काम चल रहा था. लेकिन इसके कई कारण भी हैं कि सरकार को आज गाइडलाइन लानी पड़ी. दरअसल इस विषय को लेकर संसद में कई बार बहस हो चुकी है, सुप्रीम कोर्ट ने दो बार सरकार ने पूछा कि सोशल मीडिया या डिजिटल मीडिया को लेकर सरकार क्या कुछ कर रही है. इसके अलावा आम जनता की ओर से भी लगातार शिकायतें आ रही हैं, खासकर बच्चों को लेकर महिलाओं को लेकर इन प्लेटफॉर्म पर मिसयूज हो रहा है.
जैसा की केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि आज सोशल मीडिया भारत में बहुत बड़े पैमाने पर फैला हुआ है. केवल व्हाट्सएप की बात करें तो 50 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं. यूट्यूब करीब 45 करोड़, फेसबुक 41 करोड़ हैं और इंस्टाग्राम करीब 21 करोड़ और ट्विटर पर एक करोड़ 75 हजार यूजर हैं. ये एक बड़ा बिजनेस प्लेटफॉर्म है जिस पर अभी कर कोई रेगुलेशन नहीं था.
जहां तक नियमों को लेकर आशंका का सवाल है सरकार की आलोचना करें या कुछ भी कहें, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है सोशल मीडिया को जिम्मेदार और जवाबदेह होना चाहिए. जैसा की हाल ही के दिनों में देखा गया कि फेसबुक और ट्विटर ने खुद का कानून बना लिया और कहने लगे हमारा कानून नहीं मानेंगे. इसलिए अब सरकार ने साफ किया है कि अगर किसी का ट्वीट हटाएंगे या अकाउंट हटाया जाए तो उसका जवाब देंगे.
फेक न्यूज को मिल रहा था बढ़ावा शेखर अय्यर कहते हैं कि हाल ही के दिनों में देखा गया है कि कई लोगों को बिना निर्देश दिए या बताए ट्वीट को हटाना. इसके अलावा कई फेक न्यूज को भी लेकर बढ़ावा मिल रहा था. जिसकी वजह से 26 जनवरी को जो कुछ भी हुआ उसका एक हिस्सा है.
बता दें कि नए नियमों व दिशा-निर्देशों के तहत सोशल मीडिया कंपनी जैसे- फेसबुक और ट्विटर को विवादित कंटेंट किसी सरकारी या कानूनी आदेश मिलने के बाद अपने प्लेटफॉर्म से 24 घंटे में हटाना होगा. नए मसौदे के मुताबिक, किसी विवादित कंटेंट को लेकर अगर शिकायत दर्ज होती है, तो संबंधित जांच अधिकारियों के सहयोग के लिए इन कंपनियों को 72 घंटों के भीतर सभी जरूरी जानकारी देनी होगी और 15 दिनों के अंदर उसका हल निकालना होगा. नए दिशा-निर्देश के अनुसार सभी सोशल मीडिया को अपनी जानकारी साझा करनी होगी.
शिकायत निपटारे के लिए तीन अधिकारी करने होंगे नियुक्त इसके साथ शिकायतों के निपटारे के लिए तीन अधिकारी नियुक्त करने होंगे. नए नियम जारी होने के तीन महीने के भीतर सोशल मीडिया कंपनियों को एक मुख्य अनुपालन अधिकारी, कानूनों के पालन को लेकर एक कार्यकारी अधिकारी और एक शिकायत निवारण अधिकारी को नियुक्त करना अनिवार्य होगा। ये सभी अधिकारी भारत के नागरिक होने चाहिए. नियमों के मुताबिक अफवाह फैलाने वाले या खुराफात शुरू करने वालों की जानकारी सरकार से साझा करनी होगी.
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