Covaxin Price: कोवैक्सीन की कीमत पर गुस्साए ट्विटर यूजर्स, कहा- भगवान के लिए भारत को बख्श दीजिए!

covaxin price: वैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक के कोवैक्सीन की कीमतों के ऐलान के बाद ट्विटर पर यूजर्स का गुस्सा फट पड़ा है.

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भारत बायोटेक की कोवैक्सीन

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को वैक्सीनेशन का चरण 1 मई से शुरू होने जा रहा है. भारत में वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ने इसे देखते हुए अपनी वैक्सीन की कीमतें कुछ दिन पहले तय कर दीं. शनिवार को भारत बायोटेक ने अपनी कोवैक्सीन के दामों का खुलासा किया है. लेकिन, सीरम इंस्टीट्यूट के वैक्सीन की कीमतों के ऐलान के बाद जैसा हुआ था, वैसा ही कुछ भारत बायोटेक को भी झेलना पड़ रहा है. सोशल मीडिया पर भारत बायोटेक के वैक्सीन की कीमतों को अलग-अलग रखने की जमकर आलोचना हो रही है. यूजर्स कंपनी के इस फैसले को आम और गरीब लोगों के खिलाफ बता रहे हैं.

क्या कह रहे हैं ट्विटर पर यूजर्स? 

अब, शनिवार को भारत बायोटेक ने अपनी वैक्सीन के दाम का भी ऐलान कर दिया है. भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन की कीमत राज्यों के लिए 600 रुपये प्रति डोज तय की है. वहीं, ये वैक्सीन निजी अस्पतालों में दोगुने भाव 1200 रुपये प्रति डोज पर दी जाएगी. भारत बायोटेक का एक्सपोर्ट 15 से 20 डॉलर के भाव पर होगा, कंपनी ने ये जानकारी दी है.

भारत बायोटेक के अपनी कीमतों का ऐलान करने के बाद एक बार फिर से लोग वैक्सीन की दोहरी प्राइसिंग पर सवाल उठाने लगे हैं. ट्विटर पर यूजर्स उनसे ये पूछ रहे हैं कि एक ही देश में वैक्सीन की कीमतें अलग-अलग क्यों हैं.

एक ट्विटर यूजर कीर्ति अग्रवाल ने लिखा है कि ये वैक्सीन लोगों को बचाने के लिए है कि मारने के लिए. उन्होंने कहा है कि देश की 75 फीसदी आबादी गरीब है. ऐसे में 150 रुपये से 1,200 की कीमत का क्या मतलब है. उन्होंने लिखा है, “कृपया भारतीयों को बख्श दीजिए. मानव जीवन भगवान का गिफ्ट है, जरा सोचिए.”

एक अन्य यूजर ने कहा है, “आपदा को अवसर में बदलें. आपने यही मिसाल पेश की है. निजी अस्पतालों को दोगुनी कीमत पर वैक्सीन देने का क्या मतलब है?”

एक और यूजर ने लिखा है कि ऐसा जान पड़ता है कि भारतीय मैन्युफैक्चरर्स नहीं चाहते कि वैक्सीन भारत में बेची जाए, इसलिए वे इतनी ऊंची कीमत तय कर रहे हैं. कोवीशील्ड के मुकाबले इसका 1,200 रुपये का दाम बेहद ज्यादा है.

एक यूजर ने तो कहा है कि आप पहले फेज 3 के ट्रायल के नतीजे पब्लिश कीजिए.

हालांकि, कुछ यूजर्स भारत बायोटेक की तय कीमत को उचित भी ठहरा रहे हैं. एक यूजर ने लिखा है, “हमें इस कीमत से कोई दिक्कत नहीं है. ईश्वर की कृपा से मैं अपने परिवार की सुरक्षा के लिए 1,200 रुपये दे सकती हूं. गरीबों के लिए इसे मुफ्त में सरकारी अस्पतालों में दिया जा रहा है.”

सरकार ने कीमतें तय करने की दी है इजाजत

कोविड-19 की दूसरी लहर से हालात बिगड़ते देख गुजरे हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा ऐलान किया. उन्होंने 1 मई से वैक्सीनेशन को 18 साल से ज्यादा के सभी लोगों के लिए खोल दिया है. यानी अब 18 साल से ऊपर का कोई भी शख्स वैक्सीन लगवा सकता है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने देश में वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक को राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों को बेचने के लिए वैक्सीन की कीमत तय करने की भी आजादी दे दी.

केंद्र और राज्यों को मिलने वाली वैक्सीन की कीमत में अंतर पर सवाल

इसके बाद, सीरम इंस्टीट्यूट (SII) ने अपनी वैक्सीन की कीमतों का खुलासा कर दिया. सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वैक्सीन की कीमतें जारी करते हुए बताया था कि वह राज्य सरकारों को वैक्सीन 400 रुपये प्रति डोज के हिसाब से देगी. दूसरी ओर, निजी अस्पतालों को ये वैक्सीन 600 रुपये प्रति डोज के हिसाब से मिलेगी. SII कोवीशील्ड बनाती है.

हालांकि, SII केंद्र सरकार को यह वैक्सीन 150 रुपये पर मुहैया करा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ट्वीट करके कहा था कि भारत सरकार कोवीशील्ड और कोवैक्सिन दोनों को 150 रुपये प्रति डोज की दर पर खरीद रही है.

इसको लेकर SII और इसके सीईओ आदार पूनावाला की बड़ी आलोचना हुई कि केंद्र और राज्यों को अलग-अलग कीमतों पर वैक्सीन क्यों दी जा रही है.

सरकार कर रही उत्पादन बढ़ाने के लिए दोनों कंपनियों की फंडिंग

गौरतलब है कि न सिर्फ आम लोग बल्कि राजनीतिक पार्टियां, राज्य सरकारें और कई लोग वैक्सीन मैन्युैक्चरर्स को वैक्सीन की कीमतें तय करने की इजाजत देने के लिए केंद्र की आलोचना कर रहे हैं. हाल में ही सरकार ने ऐलान किया है कि SII को वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये और भारत बायोटेक को 1,500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. ऐसे में लोग पूछ रहे हैं कि जब सरकार इन कंपनियों को पैसा दे रही है तो फिर इनसे वैक्सीन सस्ते दाम में क्यों नहीं ली जा रही है.

Published - April 25, 2021, 10:59 IST