Education Loan- महंगी होती उच्च शिक्षा के चलते छात्रों में एजुकेशन लोन लेना बेहद आम बात हो चली है. नौकरी की तलाश में उच्च शिक्षा का विशेष योगदान होता है, खासकर अच्छी सैलरी पैकेज के लिए.
देश में Education Loan को एक इनवेस्टमेंट के तौर पर भी देखा जाता है. जबकि उच्च शिक्षा किसी रोजगार की गारंटी नहीं देता है. इसलिए, एजुकेशन लोन में जोखिम काफी अधिक होता है.
अगर कोई छात्र अपने Education Loan को नहीं चुका पाता है तो उसकी क्रेडिट रेकिंग पर जबरदस्त नकारात्मक असर पड़ेगा और उसे दोबारा लोन नहीं मिलेगा. जबकि किश्तों के शीघ्र भुगतान से क्रेडिट स्कोर अच्छा होता है.
जानिए एजुकेशन लोन से जुड़ी हर जरूरी बात, जो आपको फैसला लेने में मददगार साबित होगी.
– इस लोन में छात्र मुख्य उधार लेने वाला होता है. इसमें को-एप्लीकेंट के रूप में पिता, मां, गार्जियन और पत्नी आदि को शामिल कर सकते हैं. इस लोन में ट्यूशन फी, रहने का खर्च, आने जाने का खर्च और अन्य दूसरे खर्च शामिल हैं.
– अधिकांश बैंक यूनिवर्सिटी के ऑफर लेटर के आधार पर लोन देते हैं. ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा कोर्स, पीएचडी और स्पेशलाइजेशन कोर्स के लिए ऋण दिया जा सकता है. आसानी से लोन मिलना इस बात पर भी डिपेंड करता है कि आप किस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे हैं और मार्केट में जॉब का स्कोप क्या है? अधिकांश बैंक ऐसा मानते हैं कि उच्च शिक्षा के बाद छात्र को नौकरी मिल जाएगी.
– 4 लाख से कम लोन के लिए थर्ड पार्टी एश्योरेंस की जरूरत नहीं पड़ती है. 4 से 7.5 लाख तक के लोन के लिए कम से कम एक थर्ड पार्टी एश्योरेंस की जरूरत पड़ती है. 7.5 लाख से अधिक के एजुकेशन लोन के लिए सामूहिक थर्ड पार्टी एश्योरेंस की जरूरत पड़ती है.
– बैंक लोन पर प्रोसेसिंग फीस, लेट पेमेंट चार्ज, प्री-पेमेंट चार्ज और दूसरे अन्य शुल्क भी वसूलते हैं. इससे लोन की कॉस्ट में इजाफा हो जाता है.
– रि-पेमेंट की अवधि अलग-अलग बैंकों पर निर्भर करती है. कुछ बैंक कोर्स खत्म होने के बाद तुरंत रि-पेमेंट की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं. जबकि कई बैंक 6 महीने का समय देते हैं, ताकि आप इस दौरान अपनी नौकरी ढूंढ सकें. ऐसे बैंकों में रि-पेमेंट का पीरियड नौकरी लगने के साथ ही शुरू हो जाता है. लोन लौटाने का आम तौर पर वक्त 5 से 7 साल के बीच होता है.
– एजुकेशन लोन में दी जाने वाली ब्याज आठ साल के लिए इनकम टैक्स कटौती के अंतर्गत आती है.
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