Education Loan: कोरोना के चलते लगी सबसे ज्यादा चोट

महामारी में एजुकेशन लोन (Education Loan) को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. कॉलेज एडमिशन में देरी, शिक्षा संस्थानों का पेमेंट देर से करने के विकल्पों, ऑनलाइन होती पढ़ाई और बैंकों के लोन बांटने की देरी से एजुकेशन लोन सेगमेंट पर असर पड़ा है. भारतीय रिजर्व बैंक के हर महीने के डाटा के मुताबिक 18 दिसंबर […]

  • Team Money9
  • Updated Date - February 11, 2021, 03:58 IST
Education Loan, college, university, bank, student, parents, EMI, degree course

छात्रों और अभिभावकों ने इस प्रक्रिया में एक निर्णायक कारक के रूप में धन का उल्लेख किया, विशेष रूप से बजट और वित्तीय नियोजन की बात कही है

छात्रों और अभिभावकों ने इस प्रक्रिया में एक निर्णायक कारक के रूप में धन का उल्लेख किया, विशेष रूप से बजट और वित्तीय नियोजन की बात कही है

महामारी में एजुकेशन लोन (Education Loan) को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. कॉलेज एडमिशन में देरी, शिक्षा संस्थानों का पेमेंट देर से करने के विकल्पों, ऑनलाइन होती पढ़ाई और बैंकों के लोन बांटने की देरी से एजुकेशन लोन सेगमेंट पर असर पड़ा है.

भारतीय रिजर्व बैंक के हर महीने के डाटा के मुताबिक 18 दिसंबर 2020 तक कुल एजुकेशन लोन का बकाया 3.3 फीसदी (साल दर साल) घटकर 64,680 करोड़ रुपये रह गया है. दिसंबर 2019 में भी 3.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. बैंकों का एजुकेशन लोन के लिए लगा क्रेडिट 21 दिसंबर 2018 में 69,115 करोड़ रुपये था.

बैंकों का क्रेडिट डाटा की बारीकियां देखें तो पता चलेगा कि एजुकेशन लोन (Education Loan) एकमात्र ऐसा पर्सनल लोन है जिसमें साल 2020 में निगेटिव ग्रोथ रही. दिसंबर 2020 में पर्सनल लोन में कुल 9.5 फीसदी की साल दर साल वृद्धि हुई है. हालांकि ये भी दिसंबर 2019 के 15.9 फीसदी (साल दर साल) की बढ़त के मुकाबले काफी कम है.

US और यूरोप में 2020 में कोविड-19 से आई परेशानियों की वजह से कई छात्रों ने विदेश में पढ़ाई का सपना छोड़कर भारत के ही कॉलेजों में पढ़ाई करने का फैसला लिया. एक बैंकर ने बताया, “महामारी के खराब प्रबंधन की वजह से US और UK, भारतीय स्टूडेंट्स के पसंदीदा देशों, में काफी नुकसान हुआ. नए एजुकेशन लोन में आई गिरावट की यह सबसे बड़ी वजह रही. बच्चों के माता-पिता में भी उन्हें विदेश भेजने के लिए झिझक रही. कुछ ने तो राज्यों से भी बाहर नहीं निकलने दिया. यात्रा ना करनी पड़ी इसलिए कई छात्रों ने अपने ही शहर के कॉलेज में दाखिला लिया.”

साल 2020 में कुछ बैंकों ने एजुकेशन लोन (Education Loan) बांटना भी कम किया जिससे स्टूडेंट्स अधर में रहे. कई छात्रों को खुद ही फीस का इंतेजाम करना पड़ा. कुछ बैंकों ने लोन जारी रखने के लिए फाइनल ईयर के सर्टिफिकेट की भी मांग की.

ब्याज दरों में आई सुस्ती की वजह से देश के दिग्गज सरकारी बैंकों के एजुकेशन लोन पर 6.8 फीसदी से 7.2 फीसदी का ब्याज लगता है. हालांकि कुछ निजी और को-ऑपरेटिव बैंक फिक्स्ड रेट या फ्लोटिंग रेट के आधार पर 1.5 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर 16 फीसदी तक का ब्याज वसूलते हैं.

ब्याज दरों के अलावा कुछ बैंक ब्याज दरों के अलावा कई तरह के चार्ज लगाते हैं जैसे प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट चार्ज, फोर-क्लोजर जैसे कई चार्ज. अक्सर एजुकेशन लोन में मोरेटेरियम पीरयड होता है और पढ़ाई के दौरान कोई ईणआई (EMI) नहीं देनी होती. अधिकतर बैंक कोर्स खत्म होने के बाद 6-12 महीनों का ब्रेक देती हैं जिससे स्टूडेंट्स नौकरी की तलाश पूरी कर सकें और उसमें स्थिर हो सकें.

दिसंबर 2020 में सभी पर्सनल लोन में हाउसिंग लोन (प्रायोरिटी सेक्टर हाउसिंग शामिल) साल दर साल 8.1 फीसदी बढ़कर 13,93,500 करोड़ रुपये रहा. दिसंबर 2019 में इस सेगमेंट में 17.6 फीसदी की जोरदार तेजी दर्ज की गई थी. इसी तरह क्रेडिट कार्ड का बकाया दिसंबर 2020 में 4.2 फीसदी बढ़कर 1,10,350 करोड़ रुपये था जबकि दिसंबर 2019 में ये 25.3 फीसदी था. व्हीकल लोन का प्रदर्शन अच्छा रहा, जो दिसंबर 2020 में 7.8 फीसदी बढ़कर 2,30,232 करोड़ रुपये रहा. दिसंबर 2019 में ग्रोथ 7.2 फीसदी थी.

बैंकों ने लोगों को शेयरों, बॉन्ड के आधार पर एडवांस भी कम दिए हैं. ये 4.1 फीसदी की गिरावट के साथ 4,867 करोड़ रुपये रहा. फिक्स्ड डिपॉजिट (FCNR (B), NRNR डिपॉजिट शामिल) के आधार पर एडवांस 1.4 फीसदी बढ़कर 65,332 करोड़ रुपये रहा. हालांकि दिसंबर 2018 के आंकड़े से ये काफी पीछे है जो 69,323 करोड़ रुपये था.

Published - February 11, 2021, 03:58 IST