आजादी के 75वें साल में खुद को दे सकते हैं फाइनेंशियल फ्रीडम का गिफ्ट

आज जब हम भारत की आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं, तो सबसे अच्छा गिफ्ट जो आप खुद को दे सकते हैं वह है फाइनेंशियल फ्रीडम को चुनना.

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फाइनेंशियल फ्रीडम को लेकर बीते कुछ सालों में काफी ज्यादा बातें कही गईं हैं, ये अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मायने रखती है. साधारण शब्दों में कहें तो फाइनेंशियल फ्रीडम का मतलब आपके पास इतने पैसे होना है कि आपको बाकी जिंदगी काम न करना पड़े. इसका सीधा-सीधा मतलब हुआ कि जिंदगी में जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, आपकी आजादी के मायने जीवन लक्ष्यों के मुताबिक बदलते जाते हैं. आज जब हम भारत की आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं, तो सबसे अच्छा गिफ्ट जो आप खुद को दे सकते हैं वह है खुद अपनी फाइनेंशियल फ्रीडम को चुनना. हालांकि इसके लिए अनुशासन, धैर्य और अपने अहंकार को ना कहने की क्षमता होनी जरूरी है.

कम उम्र से करें सेविंग की शुरुआत

आपने ये बात पहले भी कई दफा सुनी होगी और अगर आप उम्र के 30वें दौर में हैं तो आपको लग सकता है कि रिटायरमेंट की प्लानिंग करना अभी दूर की कौड़ी है. लेकिन आप आगामी अधिकतम 30 सालों तक खुद को बिना कष्ट दिए कमाने की स्थिति में रह सकते हैं और महामारी के बीच अनिश्चितताओं के दौर में आगामी 35 से 40 साल तक ही जीने की संभावना रखते हैं?
इसका मतलब यह है कि आप जिस दिन जीते हैं और कमाते हैं, उसके लिए आपको कम से कम एक दिन और जीना होगा, जब आप कमा नहीं रहे होंगे. इसलिए, आपको अपने भविष्य के लिए अपनी आज की कमाई के एक बड़े हिस्से की बचत करना जरूरी है. इसको लेकर आपके पास कोई चॉइस नहीं है, बल्कि एक जरूरत है.

बचत करने के लिए लगातार आपको अपनी कमाई का एक हिस्सा बिना भूले निकालना होगा साथ ही सबसे जरूरी बात है कि आप उसे हिस्से को भविष्य में छुएंगे भी नहीं. लॉन्ग टर्म के लिए बचत को अपने घर की तरह इस्तेमाल करें क्योंकि अपनी जिंदगी की छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए आप अपने घर को बेच नहीं देते हैं.

लक्ष्य को चुनकर अपनी प्राथमिकताएं तय करें

फाइनेंशियल प्लानिंग से दो चीजें साफ हो जाती हैं, लक्ष्यों की पहचान करने के साथ-साथ उन्हें प्राथमिकता देने के मामले में स्पष्टता आ जाती है. एक वेल डॉक्यूमेंटेड प्लान आपको ये सुनिश्चित करता है कि आपको अचानक कोई फैसला लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, खासकर वो जिन फैसलों को वापस न लिया जा सके. युवाओं में देखा जाता है कि अगर वो अगर शादीशुदा हैं और सुरक्षित नौकरी पर हैं तो सबसे पहले मकान खरीदते हैं. मुझे यहां गलत नहीं समझें, घर लेना जरूरी हो सकता है लेकिन यहां बात यह है कि प्राथमिकताओं के मामले में ये कितना ठीक बैठता है?

करियर के पहले दशक में, खासकर आज के दौर में, आपको बचत को लेकर 2 चीजों का ध्यान रखना चाहिए.
– लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश करें
– अपने आप में निवेश करें, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके पास वो क्षमताएं हैं, जो आपको करियर में काफी आगे ले जाएंगी घर लेना (दूसरी भौतिक चीजें) आपके करियर के दूसरे दशक का हिस्सा होना चाहिए.

जरूरतों और चाहतों के बीच अंतर करना सीखें

ये सबसे आसानी से समझा जाने वाला लेकिन जीवन में लागू होने वाला नियम है. साल दर साल बीतने के बाद आप पाएंगे कि आपको बड़े घर, बड़ी गाड़ी, बड़े टीवी और बेहतरीन हॉलीडे की जरूरत पड़ रही है. ये सभी चीजें आपको जरूरी लगने लगेंगी. जब आपके पास पैसा होता है तो आपको ये चीज़ें आपको जरूरत के लिए जरूरी लगने लगती हैं.

लेकिन यहां कोई नुस्खा नहीं हो सकता है, केवल आप ही इसको लेकर सही फैसला कर सकते हैं कि आपके और आपके परिवार के लिए एक मैटेरियलिस्टिक जरूरतें बनाम वास्तविक आवश्यकता क्या हैं? फिर, एक अच्छी प्लानिंग आपको बताएगी कि क्या आप जो चाहते हैं वह एक आवश्यकता है.

कर्ज मुक्त रहें

कई मामलों में कर्ज लेना जरूरी हो जाता है, खासकर जब आप घर खरीद रहे हैं तो, जबकि कई मामलों में इसको टाला जा सकता है. लेवरेज के दो नकारात्मक प्रभाव हैं. आसान और कम ब्याज पर मिलने वाले लोन की बदौलत आप सोचते हैं कि आप उस चीज को खरीद सकते हैं, जिसके लिए आपकी जेब अनुमति नहीं दे रही है. किसी दुर्घटना (जैसे नौकरी का जाना, या मेडिकल इमरजेंसी या परिवार में कमाने वाले की मौत) के होने पर लोन चुकाना एक मुसीबत बन जाएगा जो आपको फाइनेंशियल सेफ्टी होने से रोकेगा.

इसलिए जीवन में जल्दी कर्ज मुक्त हो जाइए, जो वित्तीय स्वतंत्रता तो हासिल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. लेवरेज को समझने के लिए हमें अपने पहले दिए उदाहरण पर वापस जाना होगा, यानी काम नहीं करने के लिए आपको एक दिन काम करना होगा. जब आप कर्ज लेते हैं उसका मतलब होता है कि आप वो चीज ले रहे हैं जो आप अफोर्ड नहीं कर सकते हैं. और अपने भविष्य की कमाई और सेविंग के आधार पर वो कर्ज ले रहे हैं. इससे भविष्य में आपको फाइनेंशियल गोल हासिल करने में कठिनाई पैदा होगी.

एग्जिट प्लान पर काम करें
जैसे-जैसे आप वित्तीय स्वतंत्रता के करीब आते हैं, यह याद रखना बेहद जरूरी हो जाता है कि आपने ऐसा करने के पीछे एक कारण सोचा था. फाइनेंशियल फ्रीडम की सबसे अच्छी बात है कि ये हमें वो सब करने की आजादी देता है, जो हम करना चाहते हैं. यह सोचकर सुरक्षित रहते हुए कि हम अपने आगे के भविष्य के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हैं. किसी ने कहा है कि, “पैसा आपको खुशी नहीं खरीद सकता, लेकिन यह आपको स्वतंत्रता दे सकता है. और वो आजादी आपको खुशी दे सकती है.”
फाइनेंशियल फ्रीडम हासिल करने में कड़ी मेहनत और समय की जरूरत.
एक न एक दिन सभी को रिटायर होना है. आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के मायने है कि आप अपने काम के जीवन से अपनी शर्तों पर “रिटायर” हों और जो आप चाहते हैं उसे करने की स्वतंत्रता के साथ रिटायर हों. फाइनेंशियल फ्रीडम हासिल करने में कड़ी मेहनत और समय दोनों लगता है. लेकिन जब तक आप शुरू नहीं करेंगे तब तक आप वहां नहीं पहुंचेंगे. इसलिए, अगले 365 दिनों का उपयोग अपनी खुद की फाइनेंशियल फ्रीडम की दिशा में बढ़ने के लिए अपनी नींव मजबूत करें.

Published - August 15, 2021, 06:21 IST