केंद्र सरकार न सिर्फ कृषि पर ध्यान केंद्रित कर रही है, अपितु महिला कृषकों का समूह भी उसकी प्राथमिकता में है. इसी क्रम में केंद्र सरकार महिला किसानों के लिए कई तरह के कार्यक्रम और योजनाएं चला रही है. इस गति को और तेज करने के लिए सरकार कुछ नई योजनाएं लेकर भी आई है, जिससे महिला किसानों को सहारा मिले और वे अपने जीवन के साथ-साथ देश के विकास में भी अधिक योगदान दे सकें. महिलाओं के लिए पहले ही बहुत मुश्किलें होती हैं, इसके बावजूद अगर वो आगे बढ़ना चाहती हैं इसलिए सरकार उनके सहयोग के लिए हर कदम पर साथ खड़ी है. केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में सवाल के जवाब में महिला किसानों के लिए कई योजनाओं का विवरण रखा.
महिला किसानों पर होना है 30% खर्च
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न किसान हितेषी योजनाओं के दिशानिर्देश में स्पष्ट लिखा है कि राज्यों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों को महिला किसानों पर कम से कम 30% खर्च करना जरूरी है. इन योजनाओं में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, तिलहन और तेल पाम पर राष्ट्रीय मिशन, सतत कृषि पर राष्ट्रीय मिशन, बीज और रोपण सामग्री के लिए उप-मिशन, कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन और एकीकृत मिशन आदि शामिल हैं.
महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (MKSP)
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत ग्रामीण विकास विभाग ने डीएवाई-एनआरएलएम (दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के उप घटक के रूप में ‘महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (एमकेएसपी)’ नामक एक योजना शुरू की. यह योजना 2011 से महिलाओं को उनकी भागीदारी और उत्पादकता बढ़ाने के लिए व्यवस्थित निवेश के माध्यम से सशक्त बनाना है. साथ ही इस योजना के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के लिए स्थायी आजीविका का निर्माण भी किया जा रहा है. परियोजना का कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के माध्यम से परियोजना मोड में लागू किया गया है.
दिया जा रहा है तकनीकी और कौशल विकास परीक्षण
कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में नवीनतम तकनीकों से महिलाओं को परिचित कराने के लिए डीए एंड एफडब्ल्यू और डीएवाई-एनआरएलएम की योजनाओं के तहत महिला किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इनमें कृषि पर उप-मिशन (एसएमएई) के तहत सुधारों के लिए राज्य विस्तार कार्यक्रम (एटीएमए) का समर्थन शामिल है. राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थानों, राज्य कृषि प्रबंधन और विस्तार प्रशिक्षण (एसएएमईटीआई), कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से महिला किसानों सहित किसानों के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी देश भर में संचालित किए जा रहे हैं. यह पाठ्यक्रम न्यूनतम 200 घंटे की अवधि के होते हैं. डीएवाई-एनआरएलएम के तहत एग्रो-इकोलजी से संबंधित क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा स्थापित केवीके कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के विभिन्न पहलुओं पर महिला किसानों सहित किसानों को भी प्रशिक्षण प्रदान करते हैं.
बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी
कृषि क्षेत्र में महिला किसानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है. इसमें कुछ योजनाओं के तहत पुरुष किसानों के अलावा महिला किसानों को अतिरिक्त सहायता और सहयोग प्रदान करना शामिल है. विभिन्न लाभार्थी योजनाओं/कार्यक्रमों के तहत महिलाओं के लिए 30% धनराशि का प्रावधान. इसके अलावा महिला हितेषी पहल करना जैसे कि कृषि महिला खाद्य सुरक्षा समूहों का सहयोग करना, कृषि में महिलाओं से संबंधित महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मैक्रो/सूक्ष्म स्तर का अध्ययन करना, राष्ट्रीय/क्षेत्र/राज्य स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जेंडर लर्निंग पर जेंडर सेंसिटाइजेशन मॉड्यूल का वितरण करना, लिंग अनुकूल उपकरणों/प्रौद्योगिकियों का प्रलेखन और संकलन, कृषि महिला हितैषी हैंडबुक और महिला किसानों की बेहतरीन सफलता की कहानियों का संकलन आदि अनेक कार्य सरकार द्वारा किए जा रहे हैं.