पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने आम आदमी का तेल निकाल दिया है. ईंधन महंगा होने से रोजमर्रा में काम आने वाली अन्य वस्तुओं के दाम भी बढ़े हुए हैं. पेट्रोल-डीजल की कीमत में राहत के लिए जनता सरकार की ओर ताक रही है और सरकार तेल उत्पादकों की ओर. तेल उत्पादकों की बात करें, तो वे कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई पर केंद्रित हैं और सप्लाई बढ़ाने में तत्पर नहीं दिख रहे.
सरकार यूं ही इन उत्पादों पर टैक्स वसूलती रही, तो आपको जल्द ही एक लीटर पेट्रोल के लिए 150 रुपये देने पड़ सकते हैं. आइए 9 बिंदुओं से जानते हैं कि पेट्रोल की कीमत के 150 रुपये का स्तर छूने की आशंका क्यों है?
1. दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं तेजी से महामारी के प्रकोप से बाहर निकल रही हैं. अर्थव्यवस्थाओं में आ रही इस रिकवरी से ईंधन की मांग तेजी से बढ़ी है, लेकिन क्रूड ऑयल की सप्लाई काफी तंग है. तेल उत्पादक देश मांग के अनुसार तेजी से उत्पादन बढ़ाने पर राजी नहीं हैं. ओपेक+ देश नवंबर में केवल 4,00,000 बैरल प्रति दिन सप्लाई बढ़ाने पर सहमत हुए हैं. नवंबर में में सप्लाई में इस बढ़ोत्तरी के बावजूद शीर्ष तेल उत्पादक देशों का उत्पादन संदर्भ स्तर से 14% कम रहेगा.
2. तेल उत्पादन में भारी मात्रा में निवेश बढ़ाने की जरूरत है. रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार, इस कारोबार में निवेश को 54% बढ़ाने की आवश्यकता है. इसके बावजूद इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने सुझाव दिया है कि 2021 के बाद कोई नया तेल और गैस निवेश नहीं होना चाहिए. तेल उत्पादक देश यह सुझाव मानते हैं, तो आपूर्ति में कमी आएगी और कीमतों में वृद्धि जारी रहेगी.
3. केडिया एडवाइजरी के मैनेजिंग डायरेक्टर और रिसर्च हेड अजय केडिया ने बताया कि सर्दियों में दुनिया भर में ईंधन की मांग बढ़ ताजी है. इस कारण विंटर सीजन में क्रूड ऑयल की कीमतों में अच्छा-खासा उछाल देखने को मिलता है. यूरोप के देशों में पहले से ही ऊर्जा संकट देखने को मिल रहा है. सर्दियों में यह और बढ़ सकता है.
4. अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश और ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस मॉर्गन स्टेनली ने भी आने वाले महीनों में तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी रहने की बात कही है.
5. केंद्र व राज्य सरकार की ओर से ईंधन पर टैक्स में कटौती की फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही है. दिल्ली की बात करें, तो यहां पेट्रोल की कीमत का 53.5% हिस्सा और डीजल की कीमत का 47.6% हिस्सा केंद्र व राज्य द्वारा लिया जा रहा टैक्स है.
6. बता दें कि साल 2008 में क्रूड ऑयल की कीमत 135-147 डॉलर प्रति लीटर थी. क्रूड ऑयल का मंथली टेक्निकल चार्ट 77 डॉलर के बाद एक स्पष्ट ब्रेकआउट का संकेत देता है. कीमत के वापस आने और समकेन के लिए ब्रेकआउट जोन के रीसेट होने की उम्मीद है. क्रूड ऑयल की कीमत एक बार गति प्राप्त कर लेगी, तो अगला प्राइस लेवल 110 डॉलर होगा. साल 2012-14 के बीच ऐसा देखने को मिला था. इसके बाद अगर क्रूड ऑयल की कीमत 110 के पार जाती है, तो यह अपने पिछले उच्चतम स्तर 147 डॉलर प्रति बैरल को छू सकती है. टेक्निकल चार्ट के अनुसार, क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ती हैं, तो पहला टार्गेट 30% बढ़ोत्तरी का है. इसका मतलब है कि पेट्रोल की कीमत 150 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंच जाएगी.
7. टेक्निकल चार्ट के अनुसार, अगर क्रूड ऑयल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जाती है, तो ही ट्रेंड बुलिश से बेयरिश हो सकता है. अर्थात क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना काफी अधिक है.
8. केडिया ने बताया कि कोयला और गैस की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण उद्योगों के लिए तेल एक आकर्षक कमोडिटी बन गया है. इससे तेल की डिमांड बढ़ेगी, जिससे कीमतों में वृद्धि होगी.
9. केडिया ने आगे बताया कि पिछले 2-3 महीने से भारतीय रुपये में गिरावट देखने को मिल रही है. यह गिरावट जारी रही, तो तेल का आयात महंगा होगा, जिसके फलस्वरूप पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि होगी.