अर्थतंत्र को मिला तेज गति का ईंधन, जानिए क्या कहते हैं अर्थतंत्र में सुधार के ये 9 इंडिकेटर

मैन्युफैक्चरिंग, सर्विजेज, GST, कार्ड पेमेंट, CVs, ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रिटेल उत्पादों की बिक्री से अर्थतंत्र में तेज सुधार होने की उम्मीद है.

  • Team Money9
  • Updated Date - November 8, 2021, 03:01 IST
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अक्टूबर के लिए जारी किए गए विभिन्न उच्च-आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार के एक स्थिर रास्ते पर है. खचाखच भरे त्योहारी सीजन के बीच अक्टूबर में अर्थतंत्र को बड़ा ही फायदा हुआ है. मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज, जीएसटी, कार्ड पेमेंट, कमर्शियल वाहनों की बिक्री के आंकडे़ से लेकर ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रिटेल उत्पादों की बिक्री से अर्थतंत्र की गाडी तेज गति पकड़ रही है.

(1) ई-वे बिल
अक्टूबर में ई-वे बिल का आंकड़ा अब तक के सबसे अधिक 7.35 करोड़ पर पहुंच गया, जिससे नवंबर में माल और सेवा कर (GST) संग्रह में और तेजी आने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. GST नेटवर्क (GSTN) के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में औसत प्रतिदिन ई-वे बिल उत्पादन 23.7 लाख तक पहुंच गया, जो सितंबर में 22.6 लाख से लगभग 5% की क्रमिक वृद्धि है.
50,000 रुपये से अधिक की सभी खेपों की आवाजाही के लिए ई-वे बिल अनिवार्य हैं, इसलिए यह अर्थव्यवस्था में मांग और आपूर्ति के रुझान का एक प्रारंभिक संकेतक है.

(2) GST कलेक्शन
नवंबर में GST संग्रह 1.4 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा छू सकता है, जो अक्टूबर में 1.3 लाख करोड़ रुपये था, जो जुलाई में रोलआउट के बाद से दूसरा सबसे बड़ा संग्रह था. यह बढ़े हुए अनुपालन और प्रवर्तन उपायों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

(3) सर्विजेज PMI
मजबूत मांग के कारण अक्टूबर में भारत के सबसे बड़े क्षेत्र -सेवाओं (services) में गतिविधि साढ़े दस साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई, जिसने बिक्री और उत्पादन को बढ़ावा दिया. सेवाओं के लिए IHS मार्किट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अक्टूबर में बढ़कर 58.4 हो गया, जो सितंबर में 55.2 था.

(4) मैन्युफैक्चरिंग PMI
अक्टूबर के लिए PMI विनिर्माण सितंबर के 53.7 की तुलना में बढ़कर 55.9 हो गया, जो 8 महीने के उच्चतम स्तर पर है. PMI का 50 से अधिक मूल्य पिछले महीने की तुलना में आर्थिक गतिविधियों में विस्तार का प्रतीक है. यह लगातार तीसरा महीना है जब PMI विनिर्माण में वृद्धि हुई है और नवीनतम मूल्य फरवरी के बाद सबसे अधिक है, जब यह 57.5 पर था.

(5) कार्ड ट्रांजैक्शन
तीव्र खपत पुनरुद्धार का एक अन्य संकेतक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कार्ड लेनदेन डेटा में परिलक्षित होता है, जो मूल्य के संदर्भ में अक्टूबर में कम से कम एक साल के उच्च स्तर पर हैं. अक्टूबर में पॉइंट ऑफ सेल (point of sale) पर और ऑनलाइन डील में 1.37 लाख करोड़ रुपये के कार्ड लेनदेन (डेबिट और क्रेडिट) हुए, जो सितंबर से 20% है और RBI द्वारा कार्ड लेनदेन डेटा जारी करने के बाद से उच्चतम है.

(6) निर्यात
भारत का व्यापारिक निर्यात अक्टूबर में लगातार ग्यारहवें महीने बढ़कर 42.33 प्रतिशत सालाना वृद्धि के साथ 35.47 अरब डॉलर हो गया. जबकि आयात में 62.48 प्रतिशत की वृद्धि हुई. गैर-तेल, गैर-सोने की श्रेणी अक्टूबर में बढ़कर 35.8 अरब डॉलर हो गई, जो घरेलू आर्थिक गतिविधियों में बदलाव को दर्शाती है. चालू वित्त वर्ष में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 15 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा, जो प्रि-कोविड के 11.2 अरब डॉलर के स्तर से अधिक है.

(7) बिजली की खपत
बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में भारत की बिजली खपत 4.8 फीसदी बढ़कर 114.37 अरब यूनिट (BU) हो गई, जो बिजली उत्पादन प्लांट्स में कोयले की कमी के बीच अच्छी रिकवरी का संकेत है. पिछले साल अक्टूबर में बिजली की खपत 109.17 BU थी और 2019 में इसी अवधि में यह 97.84 BU थी. अक्टूबर में अधिकतम बिजली की मांग पूरी हुई या एक दिन में सबसे अधिक आपूर्ति 174.60 गीगावॉट रही, जो पिछले साल के इसी महीने में 169.89 गीगावॉट से अधिक थी.

(8) वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री
कमर्शियल व्हीकल (CV) की बिक्री को देश की आर्थिक गतिविधियों का एक प्रमुख संकेत माना जाता है. अक्टूबर के आंकडे़ दर्शाते हैं कि देश में CV अच्छी बिक्री हुई है और कंपनियों ने 7-58 फीसदी वृद्धि हासिल की है. सेगमेंट लीडर टाटा मोटर्स ने M&HCVs की 7,644 यूनिट्स, I&LCV की 5,599 यूनिट्स, पैसेंजर कैरियर्स की 958 यूनिट्स और SCV कार्गो और पिकअप की 17,025 यूनिट्स की बिक्री की.

(9) UPI ट्रांजैक्शन की वैल्यू 100 अरब डॉलर के पार
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में 7.71 लाख करोड़ रुपये (लगभग 103 अरब डॉलर) के 4.2 अरब UPI लेनदेन हुए, जो अब तक के उच्चतम स्तर को चिह्नित करता है. सितंबर में, UPI ने 6.5 लाख करोड़ रुपये के 3.6 अरब लेनदेन दर्ज किए थे, जो लेनदेन की संख्या में 15% और मूल्य में 18.5% वृद्धि दर्शाता हैं. UPI लेनदेन की संख्या और मूल्य पिछले साल इस समय से दोगुने से अधिक हो गए हैं.

क्या अर्थतंत्र में सुधार बरकरार रहेगा?

ये सभी संकेतक आर्थिक सुधार की ओर इशारा करते हैं. हालांकि, हमें यह देखना होगा कि क्या ये प्री-फेस्टिव/फेस्टिव सीजन की मांग हैं. अगर त्योहारी सीजन के बाद भी इस प्रवृत्ति को बनाए रखा जाता है, तो हम आर्थिक सुधार को धीमा होते हुए देख सकते हैं.

Published - November 8, 2021, 03:01 IST