वोडाफोन आइडिया ने कहा, AGR एरर नहीं सुधारे गए तो बंद हो सकती है कंपनी

वोडाफोन आइडिया ने कहा कि कोर्ट का फैसला समझ से परे हैं. कोर्ट ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट के AGR के कैलकुलेशन के एरर को ठीक करने की अनुमति नहीं दी.

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आगामी भुगतान दायित्वों के बीच कंपनी की व्यवहार्यता के लिए सरकारी या नियामकीय मदद काफी 'महत्व' रखती है

आगामी भुगतान दायित्वों के बीच कंपनी की व्यवहार्यता के लिए सरकारी या नियामकीय मदद काफी 'महत्व' रखती है

टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया कर्ज में डूबे होने के कारण बंद हो सकती है. एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 23 जुलाई के आदेश को लेकर कंपनी ने मंगलवार को रिव्यू पिटीशन दाखिल की. वोडाफोन आइडिया ने कहा कि कोर्ट का फैसला अकल्पनीय और समझ से परे हैं. कोर्ट ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट के एजीआर के कैलकुलेशन के एरर को ठीक करने की अनुमति नहीं दी.

AGR बकाया चुकाए बिना छोड़कर भागने का इरादा नहीं

वोडाफोन आइडिया ने कहा कि उसका एजीआर बकाया चुकाए बिना छोड़कर भागने का कोई इरादा नहीं है. लेकिन अगर मिस्टेक को सुधारने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उसे बिजनेस बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा. इस प्रोसेस में 280 मिलियन ग्राहक, लगभग 20,000 कर्मचारी, बैंक, रिटेलर्स और यहां तक की सरकार को भी परेशानी होगी. कंपनी ने कहा कि कोर्ट की धारणा पूरी तरह से गलत है कि रीकैलकुलेशन की मांग के जरिए याचिकाकर्ता आदेशों के पालन से बच निकलना चाहता है.

58,254 करोड़ के बकाया में से 7,854 करोड़ का किया भुगतान

वोडाफोन आइडिया ने अपनी रिव्यू पिटीशन, पिछली अपील को खारिज किए जाने के हफ्तों के भीतर दायर की है. याचिका में कंपनी ने बताया था कि 58,254 करोड़ रुपये के AGR बकाया में से उसने 7,854 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. कंपनी ने ये भी कहा था कि AGR को कैल्कुलेट करने के लिए टेलीकॉम विभाग ने डबल काउंटिंग की है. पहले किए गए कुछ भुगतानों को भी शामिल नहीं किया गया है. वोडाफोन आइडिया ने कहा था कि उसके अपने कैल्कुलेशन के अनुसार AGR बकाया राशि 21,533 करोड़ रुपये की बनती है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया.

खुद को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है कंपनी

वोडाफोन आइडिया ने कहा, कंपनी पहले से ही खुद को बचाए रखने और देश में तीसरा निजी वायरलेस दूरसंचार ऑपरेटर बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है. वोडाफोन आइडिया की ही तरह भारती एयरटेल को 43,980 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना है और टाटा टेलीसर्विसेज को 16,798 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना है. सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को 93,520 करोड़ रुपये का AGR बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया है.

Published - August 13, 2021, 04:45 IST