यूपी चुनाव नजदीक, कीमतों में बढ़ोतरी पर सरकार की रोक से घाटे में तेल कंपनियां

स्टेट-रन कंपनियां सरकार के मौखिक संकेतों पर काम करती है. स्टेट-रन कंपनियां देश के 90% फ्यूल मार्केट को डोमिनेट करती है.

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अगर कीमतें स्थिर हो जाती हैं या यूपी चुनावों के लिए कम हो जाती हैं, तो अंडर-रिकवरी बढ़ जाएगी, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में कमी का कोई संकेत नहीं है

अगर कीमतें स्थिर हो जाती हैं या यूपी चुनावों के लिए कम हो जाती हैं, तो अंडर-रिकवरी बढ़ जाएगी, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में कमी का कोई संकेत नहीं है

स्टेट रन फ्यूल रिटेलर्स को घाटा होना शुरू हो गया है. इसकी वजह उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को बताया जा रहा है. ऑइल मिनिस्ट्री (Oil Ministry) के कहने पर फ्यूल रिटेलर्स ने कीमतों के ऊपरी संशोधन को रोक दिया है. सूत्रों ने कहा कि खुदरा विक्रेताओं को प्रति लीटर पेट्रोल पर लगभग 24 पैसे और डीजल पर 65 पैसे का नुकसान हो रहा है क्योंकि उन्होंने 17 जुलाई से कीमतों में वृद्धि नहीं की है. टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है.

खुदरा विक्रेताओं ने कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ दिया

कीमतों के ऊपरी संशोधन को तो रोक दिया गया है लेकिन इस अवधि के दौरान जब भी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई, खुदरा विक्रेताओं ने तुरंत इसका लाभ दिया. 18 अगस्त से 5 सितंबर के बीच, उन्होंने चार किस्तों (four instalments) में पेट्रोल की कीमत में कुल 65 पैसे प्रति लीटर और सात किस्तों (seven instalments) में डीजल की कीमत में 1.05 रुपये की कमी की. तकनीकी रूप से, फ्यूल रिटेलर्स कीमतें निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन स्टेट-रन कंपनियां सरकार के मौखिक संकेतों पर काम करती है. स्टेट-रन कंपनियां देश के 90% फ्यूल मार्केट को डोमिनेट करती है.

अंडर-रिकवरी बढ़ सकती है

खुदरा विक्रेताओं को लगता है कि अगर कीमतें स्थिर हो जाती हैं या यूपी चुनावों के लिए कम हो जाती हैं, तो अंडर-रिकवरी बढ़ जाएगी, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में कमी का कोई संकेत नहीं है. बंगाल चुनाव से पहले भी मार्च में 20 दिनों तक कीमतों के ठहराव ने अंडर-रिकवरी को एक लीटर पेट्रोल पर 4 रुपये तक बढ़ा दिया था. वहीं डीजल पर अंडर रिकवरी 2 रुपये तक बढ़ गई थी.

कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी

अमेरिका और यूरोप में ट्रेंड पॉजिटिव बने रहने के कारण 20 अगस्त से कच्चे तेल में लगातार तेजी आ रही है. बेंचमार्क ब्रेंट (Benchmark Brent) मंगलवार को 75 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया. पिछले दो हफ्तों के दौरान ही, तेल की कीमतों में लगभग 3 डॉलर प्रति बैरल ($3 a barrel) की वृद्धि हुई है.

कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहने का अनुमान

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी और ओपेक दोनों को वर्ष के दौरान ग्लोबल डिमांड को सप्लाई को आउटपेस करने की उम्मीद है. इससे निकट-मध्य अवधि में तेल की कीमतें स्थिर रहेंगी. ऑइल मार्केट को ओपेक के कई सदस्यों का भी समर्थन मिल रहा है, जो प्लान के अनुसार उत्पादन बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि मांग बढ़ रही है.

Published - September 23, 2021, 05:25 IST