फेस्टिव सीजन से पहले जॉब मार्केट की आई दिवाली

सितंबर में ग्रामीण क्षेत्र की बेरोजगारी दर घटकर 6.06% पर आ गई, जो अगस्त में 7.64% थी. इससे देश की औसत बेरोजगारी दर 8.32% से घटकर 6.86% पर आ गई

entry of private players in space sector will help boost innovation and economy

इंडियन स्पेस एसोसिएशन के बनने से उन चुनौतियों को खत्म करने में मदद मिलेगी, जो अब तक स्पेस सेक्टर के विकास में बाधा डाल रही थीं

इंडियन स्पेस एसोसिएशन के बनने से उन चुनौतियों को खत्म करने में मदद मिलेगी, जो अब तक स्पेस सेक्टर के विकास में बाधा डाल रही थीं

कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था के विकास में कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका हमें फिर से याद दिलाई है. सितंबर में रोजगार के मोर्चे पर काफी सुधार हुआ है. खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़ने से ऐसा हो सका है. सितंबर में रूरल एरिया की बेरोजगारी दर (unemployment rate) घटकर 6.06 प्रतिशत पर आ गई, जो अगस्त में 7.64 फीसदी थी. इससे देश की औसत बेरोजगारी दर 8.32 प्रतिशत से घटकर 6.86 पर्सेंट पर आ गई.

इसमें शहरी इलाकों का योगदान काफी कम रहा है. सितंबर में इनका अनएंप्लॉयमेंट रेट 9.78 फीसदी से कम होकर 8.62 पर्सेंट पर आया है.

CMIE के मुताबिक, रोजगार का आंकड़ा सितंबर में बढ़कर 40.62 करोड़ पहुंच गया, जो मार्च 2020 से अब तक का सबसे अधिक है. बीते महीने रोजगार में वृद्धि का बड़ा कारण सैलरीड जॉब्स में बढ़ोतरी रहा. यहां तक कि दैनिक वेतन भोगियों और छोटे व्यापारियों का रोजगार आंकड़ा महामारी से पहले के स्तर से भी ऊपर पहुंच गया. वित्त वर्ष 2020 में यह 13.05 करोड़ पर था.

लेबर पार्टिसिपेशन रेट में वृद्धि

देश के लेबर मार्केट में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने वाली आबादी की गणना करने वाला लेबर पार्टिसिपेशन रेट अगस्त के 40.52 प्रतिशत से बढ़कर 40.66 फीसदी पहुंच गया.

बेरोजगारी दर का 30 दिन का औसत चालू महीने के शुरुआती दिनों में घटा है. कंस्ट्रक्शन, हॉर्टिकल्चर और पोल्ट्री फार्मिंग जैसे सेक्टरों का खासकर अच्छा प्रदर्शन रहा है. कृषि क्षेत्र के रोजगार में हल्की गिरावट देखने को मिली है. प्रवासी मजदूरों के शहर वापसी करने और कटाई का कार्य नहीं होने से ऐसा हुआ.

ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़ने से कंपनियों को फेस्टिव सीजन से पहले और सरकारी राजकोष को फायदा होगा. गुड्स और सर्विसेज क्षेत्र में काम करने वालों को मांग बढ़ने से लाभ होगा. वहीं, सरकार को MGNREGS जैसे रोजगार सृजन कार्यक्रमों पर कम खर्च करना पड़ेगा. कर राजस्व में हुई बढ़त से इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक पैसे लगाने में मदद मिलेगी. बदले में, इससे अधिक नौकरियां पैदा होंगी. फेस्टिव सीजन में भी रिटेल सेल्स जैसे क्षेत्रों में रोजगार के नए मौके बनेंगे.

Published - October 5, 2021, 05:50 IST