सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने TV9 World SME Day कॉन्क्लेव पर कहा कि सरकार MSME की GDP में भागीदारी 40 फीसदी तक लाना चाहती है और निर्यात बढ़ाकर 60 फीसदी करना है ताकि 5 करोड़ नई नौकरियों के मौके बनें.
लेकिन, इसे हकीकत बनाने के लिए सभी को साथ मिलकर समन्वय में काम करना होगा और इस सेक्टर को सशक्त बनाना होगा. गडकरी ने इसी संदेश को साफ तौर पर इंगित किया.
आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता इसी में छिपी है कि छोटे और मध्यम उद्योग को इससे पंख लग पाते हैं या नहीं.
गडकरी ने कहा कि इन उद्योग को स्टॉक एक्सचेंज पर लाना चाहिए ताकि वित्तीय दिक्कतों का हल निकल सके.
5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को पूरा करने के सफर में कोरोनावायरस महामारी बड़ी चुनौती बनकर आई है. लेकिन, SME जिन्हें अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, वो अर्थव्यवस्था के रिकवरी में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
SMEs में प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित श्रमिकों के लिए रोजगार के मौके होते हैं. यही वजह है कि निर्यात को बढ़ाने में ये उद्योग भारत को अन्य देशों से आगे ले जा सकते हैं.
BSE प्रमुख आशीषकुमार चौहान ने भी कहा कि अगर SMEs नई ऊंचाई हासिल करना चाहती हैं तो उन्हें पारंपरिक माध्यमों के अलावा अन्य स्रोत से फंडिंग और रिसोर्स हासिल करने पर काम करना होगा.
बड़ा बनने और कुछ कर दिखाने का जुनून भी आंत्रेप्रेन्योर्स को ड्राइव कर रहा है. सही टीम और स्ट्रैटेजी के साथ एक छोटी कंपनी भी बड़ा एंटरप्राइज बन सकती हैं. दुनियाभर में ऐसे कई मिसाल हैं जहां लोगों ने सामान्य शुरुआत के बाद अविश्वसनीय ग्रोथ दिखाई है.
राज्य भी मानते हैं कि छोटे कारोबार को बढ़ावा दिया जाए. वित्तीय दबाव को कम करना होगा. साथ ही, छोटे कारोबारियों को बिना किसी अतिरिक्त संरक्षण के प्रतिस्पर्धा में बने रहने का जज्बा दिखाना होगा.