भारत में घट गई अरबपतियों की संख्या, जानें कितने लोगों के पास हैं 100 करोड़ से ज्यादा

देश में अरबपतयिों की संख्या कम हुई है. वित्त मंत्री ने कहा कि 2020-21 में 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति रखने वालों की संख्या 136 थी.

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काउंसिल फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक अंडरस्टैंडिंग (CIEU-Council for International Economic Understanding) ने कहा, आईपीओ फंडिंग एक अधिक जोखिम वाला व्यवसाय है अगर यहां मुनाफा अधिक है तो घाटे की भी संभावना बनी रहती है.

काउंसिल फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक अंडरस्टैंडिंग (CIEU-Council for International Economic Understanding) ने कहा, आईपीओ फंडिंग एक अधिक जोखिम वाला व्यवसाय है अगर यहां मुनाफा अधिक है तो घाटे की भी संभावना बनी रहती है.

देश में कोरोना महामारी के बीच जहां लोगों की आय कम हुई है, वहीं 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति रखने वालों की संख्या में भी कमी आई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को राज्यसभा में इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 2020-21 में 100 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा की संपत्ति रखने वालों की संख्या 136 थी. जबकि 2019-20 में ऐसे लोग 141 थे और 2018-19 में 100 करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति रखने वालों की संख्या 77 थी.

अरबपति शब्द की कोई परिभाषा नहीं

क्या सच में लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान देश में अरबपतियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है. इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार, प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) के तहत अरबपति शब्द की कोई परिभाषा ही नहीं है. हालांकि बीते तीन साल का के दौरान फाइल की गई इनकम टैक्स डिटेल्स के मुताबिक देश में 100 करोड़ रुपये से ज्‍यादा की कुल आय दिखाने वाले लोगों की संख्या 2020-21 में 136 थी. जबकि 2019-20 में ऐसे लोग 141 लोग थे.

2016 में खत्म कर दिया गया वेल्थ टैक्स

वित्त मंत्री ने बताया कि संपदा कर (Wealth Tax) को अप्रैल, 2016 में खत्म कर दिया गया है, इसलिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) अब किसी टैक्सपेयर्स की पूरी संपदा के बारे में कोई जानकारी नहीं रखता है. उन्होंने कहा कि आधिकारिक गरीब लोगों की संख्‍या का अनुमान, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा निष्पादित घरेलू उपभोक्ता व्यय पर किए गए सर्वेक्षणों पर बेस्ड हैं.

जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सरकार ने शुरू की कई योजनाएं

निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ पर जोर देते हुए लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और उनके संपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. तेंदुलकर समिति की कार्यप्रणाली के बाद गरीबी के अनुमानों के अनुसार, 2011-12 में भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की  संख्या 27 करोड़ थी.

Published - August 11, 2021, 01:17 IST