डिविडेंड इनकमः टैक्सपेयर्स को हर तिमाही देना होगा ब्रेकअप

Taxpayers: एडवांस टैक्स पेमेंट में ब्याज गणना पर रिलीफ क्लेम करने के लिए अपने इनकम टैक्स रिटर्न में डिविडेंड कमाई का क्वार्टर वाइज ब्रेकअप देना होगा.

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सरकार ने एक फंड हाउस के जरिए वितरित डिविडेंड को निवेशकों के हाथों कर योग्य बना दिया

सरकार ने एक फंड हाउस के जरिए वितरित डिविडेंड को निवेशकों के हाथों कर योग्य बना दिया

फाइनेंस एक्ट 2020 में किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक डिविडेंड टैक्सेशन रिजीम भी शामिल है, जिसमें शेयरधारकों के हाथों में डिविडेंड पर पहले मिलने वाली छूट (10 लाख रुपए तक) के नियम को खत्म कर दिया गया है. ये कमाई इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (‘आईटी अधिनियम’) की धारा 56(2)(i) के तहत हुआ करती थी. वित्तीय वर्ष FY21 से पहले, करदाताओं के हाथों में 10 लाख रुपये तक की लाभांश आय कर योग्य नहीं थी क्योंकि फर्मों को डिविडेंड का पेमेंट करने से पहले लाभांश वितरण कर (DDT) का भुगतान करना जरूरी था. हालांकि, जिन व्यक्तियों (Taxpayers) को 10 लाख रुपए से अधिक का डिविडेंड हासिल होता था, वे (Taxpayers) डिविडेंड की राशि पर केवल 10% टैक्स का भुगतान करते थे.

हालांकि, वित्त वर्ष 2021 की शुरुआत में, सरकार ने एक फंड हाउस के जरिए वितरित डिविडेंड को निवेशकों के हाथों कर योग्य बना दिया. टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को एडवांस टैक्स पेमेंट में ब्याज गणना पर रिलीफ क्लेम करने के लिए अपने इनकम टैक्स रिटर्न में डिविडेंड कमाई का क्वार्टर वाइज ब्रेकअप देना होगा.

आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा ने बताया “पुरानी वाली टैक्स व्यवस्था में, 10 लाख से ऊपर के डिविडेंट पर 10 फीसदी का टैक्स लगता था, और जैसे, ITR-2 और ITR-3 में पहले से ही तिमाही लाभांश की रिपोर्ट करने के लिए सेल हैं, इस प्रकार, सीबीडीटी ने ITR-1 और ITR-4 के लिए “अन्य स्रोतों से कमाई की अनुसूची” में बदलाव किया है. ITR फॉर्म के अनुसार, डिविडेंड कमाई अर्जित कर ने वाले टैक्सपेयर्स को को अपने ITR में एक त्रैमासिक (क्वार्टरली) डिसक्लोजर देना जरूरी है.” डिविडेंड से होने वाली कमाई एडवांस टैक्स के भुगतान पर ब्याज जोखिम में छूट का दावा करने के लिए तिमाही रिपोर्टिंग होना जरूरी है.

क्वार्टरली डिसक्लोजर डेट टेबल देखें

आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा ने बताया ” “इसका पालन न करने पर आईटी एक्ट की धारा 234सी के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है. जब से डिविडेंड से होने वाली कमाई टैक्स के अंतर्गत आई है, तब से टैक्सपेयर्स हर तिमाही में प्राप्त डिविडेंड कमाई पर एडवांस टैक्स के भुगतान के लिए बाध्य है. इस प्रकार, डिविडेंड कमाई की त्रैमासिक (क्वार्टरली) रिपोर्टिंग धारा 234C के तहत ब्याज की लायबिलिटी तय करने में मदद करती है, क्योंकि ब्याज प्रावधान केवल उसी तिमाही से लागू होंगे जिसमें डिविडेंड से कमाई हुई है, न कि पिछली तिमाहियों के लिए है.”

यह करदाता को कैसे प्रभावित करेगा?

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के मुताबिक अब से, एडवांस टैक्स के निपटान में होने वाली चूक को रोकने के लिए, टैक्सपेयर्स अब एक विशेष वित्त वर्ष में प्राप्त डिविडेंड इनकम के तिमाही-दर-तिमाही ब्रेकडाउन में योगदान कर सकते हैं.

एसएजी इन्फोटेक के एमडी अमित गुप्ता ने कहा कि “यहां मुद्दा यह है कि इससे इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 234 C के तहत एडवांस टैक्स पेमेंट करने में असफल रहने वालों की ब्याज के निर्धारण में काफी मददगार साबित होगा. इसके अलावा, अगर कंपनी डिविडेंड जारी करते समय टैक्स काटती है, तो कोई व्यक्ति अपने इनकम टैक्स रिटर्न पर टीडीएस क्रेडिट का दावा कर सकता है. फिर भी, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स के लिए डिविडेंड से होने वाली कमाई वाली तिमाही में एडवांस टैक्स दाखिल करना अनिवार्य कर दिया है.”

गुप्ता ने बताया कि “यदि आपके ITR में पहले से डेटा भरा हुआ है, तो यह एक स्मार्ट कदम है क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने इनकम टैक्स रिटर्न को फाइनल करने से पहले डिटेल्स की दोबारा जांच कर सकता है. हालांकि, साथ ही, टैक्सपेयर्स को ये भी नहीं भूलना चाहिए कि उन्हें वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपने आयकर रिटर्न (ITR) भरने की पहल को 1 जुलाई से शुरू कर देना चाहिए.

Published - August 7, 2021, 01:45 IST