यह वृद्धि मुख्य रूप से इसलिए नजर आ रही है क्योकि मुफ्त खाद्यान्न वितरण योजना को नवंबर तक बढ़ा दिया गया है.
साथ ही कच्चे माल और उर्वरकों के तैयार माल के वैश्विक कीमतों में तेजी आई है, जिसकी वजह से वित्त वर्ष 22 में अब तक बजट अनुमान (बीई) से ऊपर दो बार सब्सिडी समर्थन बढ़ाना पड़ा है.
हालांकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि राजकोषीय घाटा शुरू में तय लक्ष्य से कम से कम आधा फीसदी कम है.
ईटी की खबर के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार (Group Chief Economic Advisor, State Bank of India) सौम्य कांति घोष ने कहा, केंद्र का राजकोषीय घाटा, जिसमें अप्रैल-अगस्त की अवधि के दौरान कमी देखी गई है.
उम्मीद है कि बजट में रखे गए लक्ष्य से कम रहेगा और यह जीडीपी 6.2 से 6.3 की सीमा में हो सकता है, सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य को पूरा करती है और ईंधन पर बजट अनुमान से ज्यादा उत्पाद शुल्क संग्रह कि वजह से ऐसा संभव है.
उन्होंने आगे कहा, केंद्र सरकार का सकल कर राजस्व (रिफंड से पहले) वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में कोविड से पहले के स्तर को पार कर गया और दूसरी छमाही में भी यह गति जारी रहने कि उम्मीद कि जा रही है.
हमें उम्मीद है कि सरकार का सकल कर राजस्व वित्त वर्ष 22 बजट अनुमान (बीई) कि तुलना में से कम से कम 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा.
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 22 में राजकोषीय घाटा 13.8-14.8 लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है. विनिवेश यह तय करेगा कि इसमें कितनी कमी आएगी.
वित्त वर्ष 2022 के पहले पांच महीनों में बीई के अनुपात में केंद्र का राजकोषीय घाटा 18 साल के निचले स्तर 31.1 प्रतिशत पर आ गया.
वित्त वर्ष 22 के बीई में खाद्य सब्सिडी का अनुमान 2.43 लाख करोड़ रुपए रखा था, जो कि वित्त वर्ष 21 के संशोधित अनुमान कि तुलना में 42.54 प्रतिशत कम था.
हालाँकि, केंद्र ने मुफ्त खाद्यान्न वितरण कार्यक्रम प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना मई और जून के लिए फिर से शुरू किया था, लेकिन बाद में इसे नवंबर तक बढ़ा दिया गया.
इसके कारण 67,266.44 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च हुए. यह मई और जून के लिए योजना पर 26,602 करोड़ अतिरिक्त खर्च के साथ इस वित्तीय वर्ष में मुफ्त भोजन पर 93,868 करोड़ का अतिरिक्त खर्च है.