चीनी का निर्यात सितंबर में खत्म हुए मार्केटिंग ईयर 2020-21 में 20 प्रतिशत बढ़कर 71 लाख टन पहुंच गया. चीनी उद्योग की बॉडी ISMA ने कहा कि मांग बढ़ने और सरकार की ओर से बेहतर वित्तीय सहायता मिलने के कारण ऐसा हुआ. मार्केटिंग ईयर (अक्टूबर-सितंबर) 2019-20 में 59 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ था.
ISMA का कहना है कि 2021-22 के मार्केटिंग ईयर में चीनी का उत्पादन 3.1 करोड़ टन पर बरकरार रहने की उम्मीद है. शुगर की कुल उपलब्धता 3.95 करोड़ टन पहुंच सकती है. इसमें 85 लाख टन का ओपनिंग स्टॉक शामिल रहेगा. इस दौरान निर्यात 60 लाख टन और घरेलू खपत 2.65 करोड़ टन रहने की उम्मीद है. उसने यह भी कहा कि चालू मार्केटिंग ईयर में क्लोजिंग स्टॉक 70 लाख टन रह सकता है.
शुगर इंडस्ट्री बॉडी ने कहा कि 2009-10 तक भारत में चीनी का साइकलिकल प्रॉडक्शन होता था. बीते एक दशक में हम इसका अत्यधिक उत्पादन करने वाले देश बन चुके हैं.
इथनॉल की सालाना उत्पादन क्षमता 2025 तक 14 अरब लीटर पहुंचने की उम्मीद है, जो 2018 में 3.5 अरब लीटर थी. ISMA ने कहा कि लक्ष्य 2025 तक 60 लाख टन अतिरिक्त चीनी को इथनॉल तैयार करने के लिए इस्तेमाल करना है.
इथनॉल को पेट्रोल से मिलाने के लिहाज से नवंबर में खत्म हो रहे इथनॉल मार्केटिंग ईयर 2020-21 में ब्लेंडिंग का स्तर 8.5 प्रतिशत पहुंचने की उम्मीद है. साथ ही ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) को 3.25 अरब लीटर सप्लाई का अनुमान है. अगले इथनॉल मार्केटिंग ईयर में ब्लेंडिंग लेवल 10 फीसदी पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. OMC को होने वाली सप्लाई 4.25 अरब लीटर रह सकती है.
गन्ना और चीनी की महंगी कीमतों की चुनौती खत्म करने के लिए ISMA ने शुगरकेन प्राइसिंग पॉलिसी को बेहतर बनाने पर जोर दिया है. उसका कहना है कि गन्ने की कीमतें सरकार द्वारा नहीं तय की जानी चाहिए. चीनी और उसके बाय-प्रॉडक्ट्स के रेवेन्यू के आधार पर गन्ने का दाम तय होना चाहिए.